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शुक्रवार, 21 जून 2024

विशेष : विवाह के बाद आत्महत्या करने की प्रवृत्ति को होम्योपैथिक दवाइयों से बदलें

Purushottam-meena
पिछल 5 महीना के दौरान 1 दर्जन से अधिक ऐसे मामले मेरी निजी जानकारी में आये हैं, जिनमें विवाह के 1 से 3 महीना के अंदर नव विवाहिताओं ने आत्महत्या करके अपने जीवन को समाप्त कर लिया है। नवविवाहिताओं की आत्महत्या की प्रवृत्ति एक गंभीर सामाजिक और मानसिक समस्या है। इसे रोकने के लिए सामाजिक जागरूकता, परामर्श सेवाएं और उचित चिकित्सा सहायता महत्वपूर्ण हैं। यह स्थिति अत्यधिक चिंताजनक है। जिस पर हर एक संवेदनशील व्यक्ति को विचार करने की जरूरत है। हमें इस विषय को समझने के लिये उन हालातों पर विचार करने की जरूरत है, जो ऐसी आत्महत्याओं की वजह हो सकते हैं।


भारतीय सामाजिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि (Indian Social and Cultural Background):

भारतीय समाज में विवाह एक महत्वपूर्ण और जटिल घटना है जो कई सामाजिक और सांस्कृतिक तत्वों से प्रभावित होती है। नवविवाहिताओं द्वारा आत्महत्या करने की प्रवृत्ति के पीछे कई सामाजिक और सांस्कृतिक कारक हो सकते हैं। जिनमें कुछ प्रमुख इस प्रकार हैं:

    1. सामाजिक और पारिवारिक दबाव: विवाह के बाद पारिवारिक अपेक्षाएँ और दबाव बहुत अधिक हो सकते हैं।

    2. समायोजन के मुद्दे: नई जगह, नए लोग और नई जिम्मेदारियों के साथ सामंजस्य बिठाना कठिन हो सकता है।

    3. दहेज और घरेलू हिंसा: दहेज की मांग और घरेलू हिंसा जैसी समस्याएं भी इस मनोवृत्ति को बढ़ा सकती हैं।

    4. भावनात्मक और मानसिक तनाव: शादी के बाद के प्रारंभिक महीनों में भावनात्मक और मानसिक तनाव बढ़ सकता है।

    5. अकेलापन और समर्थन की कमी: नए घर में अकेलापन महसूस करना और उचित सुसराल में पर्याप्त समर्थन न मिलना भी आत्महत्या की प्रवृत्ति को बढ़ा सकता है।

    6. विवाहपूर्व के यौन सम्बन्ध: विवाहपूर्व के यौन सम्बन्धों का ससुराल पक्ष को पता चल जाने के कारण होने वाले अपराधबोध की वजह से भी आत्महत्या की मनोवृत्ति बढ सकती है।

    7. यौन असंतुष्टि: विवाह के बाद यौन सम्बन्धों में असंतुष्टि, कुछ नव विवाहिता अपनी व्यथा को प्रकट नहीं कर पाती हैं और निराशा में डूबकर आत्महत्या कर लेती हैं।


होम्योपैथिक दवाइयाँ और मानसिक लक्षण (Homeopathic medicines and mental symptoms):

बहुत कम लोग जानते हैं कि होम्योपैथिक दवाइयाँ व्यक्ति की मनोवृत्ति को बदलने में सहायक हो सकती हैं, लेकिन इन्हें किसी योग्य और अनुभवी होम्योपैथ की सलाह से ही सेवन करना चाहिए। यहां पर मैं मानसिक लक्षणों पर आधारित ऐसी प्रमुख 5 होम्योपैथिक दवाइयों की जानकारी प्रदान कर रहा हूं, जो आत्महत्या की मनोवृत्ति को बदलने में सहायक हो सकती हैं:


1. Ignatia amara (इग्नेशिया अमारा):

मानसिक लक्षण:

    गहरे दु:ख और हानि की भावना। (A feeling of deep grief and loss.)

    अचानक मूड स्विंग्स और निराशा। (Sudden mood swings and depression.)

    आत्महत्या की इच्छा के साथ मानसिक तनाव।

    गहरे भावनात्मक आघात और दर्द। (Deep emotional trauma and pain.)

    अक्सर गहरी सांसें लेना और आहें भरना।


2. Aurum metallicum (ऑरम मेटालिकम):

मानसिक लक्षण:

    अत्यधिक अवसाद और निराशा। (Extreme depression and despair.)

    जीवन के प्रति अरुचि और आत्महत्या की तीव्र इच्छा।

    गंभीर उदासी और निरंतर रोने की प्रवृत्ति।

    आत्मग्लानि और आत्म-निंदा की भावना। (Feelings of remorse and self-condemnation.)

    समाज से अलगाव और अकेलापन।


3. Natrum muriaticum (नैट्रम म्यूरिएटिकम):

मानसिक लक्षण:

    पुरानी दुखद यादें और गहरे दु:ख की भावना। (Old sad memories and feelings of deep sadness.)

    समाज से अलगाव और अकेलेपन की भावना।

    आत्महत्या के विचार और निराशा।

    भावनात्मक रूप से अत्यधिक संवेदनशील। (Highly emotionally sensitive.)

    गहरे दु:ख के बावजूद सार्वजनिक रूप से अपने भावनाओं को छुपाना।


4. Arsenicum album (आर्सेनिकम एल्बम):

मानसिक लक्षण:

    अत्यधिक चिंता और आत्महत्या के विचार।

    जीवन के प्रति डर और असुरक्षा की भावना।

    स्वास्थ्य, धन और सुरक्षा के बारे में अत्यधिक चिंता।

    अत्यधिक थकान और हताशा।

    अकेलेपन और परित्यक्त होने की भावना। (Feelings of loneliness and abandonment.)


5. Nux vomica (नक्स वोमिका):

मानसिक लक्षण:

    निरंतर तनाव और चिड़चिड़ापन।

    अत्यधिक गुस्सा और हताशा।

    आत्महत्या के विचार और मानसिक थकान।

    काम का अत्यधिक बोझ और चिंता।

    अनिद्रा और निरंतर उत्तेजना।


आत्महत्याओं को रोकने के लिए सुझाव

    1. संचार में सुधार: पति-पत्नी और परिवार के बीच खुले संचार को बढ़ावा देना।

    2. सहायता समूह: नवविवाहिताओं के लिए सहायता समूह और परामर्श सेवाएं प्रदान करना।

    3. शिक्षा और जागरूकता: मानसिक स्वास्थ्य और आत्महत्या के बारे में शिक्षा और जागरूकता फैलाना।

    4. कानूनी समर्थन: दहेज और घरेलू हिंसा के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई।

    5. समाज में बदलाव: विवाह से जुड़े सामाजिक और सांस्कृतिक अपेक्षाओं में बदलाव लाने के लिए सामूहिक प्रयास।

    6. यौन पवित्रता: विवाहपूर्व यौन सम्बन्ध बनाने की प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने हेतु वैवाहिक पवित्रता के महत्व को समझना और समझाना।

    7. यौन सुख: नवविवाहिता पत्नी को यौन सुख देने में असमर्थ पतियों को अपनी स्थिति से अपनी पत्नी को स्पष्ट रूप से अवगत करवाते हुए, अपना उपचार करवाना चाहिये।

    8. परामर्श केन्द्र: वैवाहिक समस्याओं के निराकरण हेतु बड़ी संख्या में वैवाहिक विवाद एवं यौन परामर्श केन्द्रों की स्थापना बहुत जरूरी है। जिसमें काउंसलिंग के जरिये आत्मघाती प्रवृत्ति को बदला जा सकता है।


निष्कर्ष:

नवविवाहिताओं की आत्महत्या की प्रवृत्ति एक गंभीर सामाजिक और मानसिक स्वास्थ्य समस्या है। इसे रोकने के लिए सामाजिक जागरूकता, परामर्श सेवाएं और उचित चिकित्सा सहायता महत्वपूर्ण हैं। मेरा निजी अनुभव है कि होम्योपैथिक दवाइयाँ मनोवृत्ति बदलने में सहायक सिद्ध हो सकती हैं, बशर्ते किसी अनुभवी होम्योपैथिक चिकित्सक की सलाह से होम्योपैथिक दवाइयों का उचित शक्ति में सेवन किया जावे।





—डॉ. पुरुषोत्तम लाल मीणा—

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