पटना : आपातकाल और राजनैतिक परिस्थिति विषय पर परिचर्चा - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 26 जून 2024

पटना : आपातकाल और राजनैतिक परिस्थिति विषय पर परिचर्चा

Seminar-emergency
पटना. भारतीय संविधान में आपात उपबंधों को तीन भागों में बाँटा गया है. राष्ट्रीय आपात (अनुच्छेद-352), राज्यों में संवैधानिक तंत्र की विफलता/राष्ट्रपति शासन (अनुच्छेद-356) और वित्तीय आपात (अनुच्छेद-360). तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी के कहने पर तत्कालीन राष्ट्रपति फ़ख़रुद्दीन अली अहमद ने भारतीय संविधान की अनुच्छेद 352 के अधीन आपातकाल की घोषणा कर दी.राष्ट्रीय आपात (अनुच्छेद-352) के तहत 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक का 21 महीने की अवधि में भारत में आपातकाल घोषित था.आपातकाल की घोषणा का 49 साल हो गया.

       

आपातकाल और राजनैतिक परिस्थिति विषय पर परिचर्चा बोधगया के जीवनसंघम में परमेश्वर यादव उर्फ बिनोवा जी की अध्यक्षता की गई.विषय प्रवेश करते कारू जी ने 1975 की आपातकाल की वर्तमान मोदी की तानाशाही को ज्यादा खतरनाक बताया.टाटा से आए हुए एक्टिविस्ट साथी मुख्य वक्ता मंथन ने कहा कि इंदिरागांधी आपातकाल लगाने के लिए संविधान का सहारा लिया लेकिन मोदी लोकतान्त्रिक मूल्यों और संविधान से इतर जाकर इडी, सीबीआई ,चुनाव आयोग जैसे संस्थानों का दुरुपयोग कर संविधान को भी बायपास कर चुने हुए मुखमंत्री को जेल भेजने एवं मुख्य विपक्षी कांग्रेस के खातो को सील कर चुनाव लङ़ने लायक नहीं छोङना सत्ता का नाजायज इस्तेमाल नहीं तो और क्या है?इसके जिन दर्जन भर वक्ताओ ने अपनी बात कही उसके निष्कर्ष इस प्रकार है...

1. मोदी के 400 पार के मंसूबो को धत्ता बता दिया क्योंकि जनता जानती थी कि इनको 400 सीट इसलिए चाहिए कि  संविधान में दिए गए गरीबों के आरक्षण जैसे अधिकारों को समाप्त कर मनुमहाराज के संविधान को लागू कर सके.

2. 400 सौ पार इसलिए चाहिए कि बिना विपक्ष के मनमानी कर नफरत के बीज बोकर मणिपुर जैसी जातीय हिंसा कराकर बहुत को पक्ष में कर अडानी समूह को जल जमीन जंगल और पहाङ पर कब्जा दिलाकर भरपूर दोहन कर जनता को कंगाल बना कर छोङ दे और देश के 80 कङोङ जनता के हाथ में कटोरा थमा दे.

3. लेकिन जनता 240 सीट देकर सत्ता से बेदखल कर दिया और आखिर में जोड़ तोड़ कर सरकार बनाने के लिए मजबूर होना पङा.

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