परंपरागत बीजों की सुरक्षा एवम् संरक्षण उत्सव - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 18 जून 2024

परंपरागत बीजों की सुरक्षा एवम् संरक्षण उत्सव

  • वागड़ अंचल में वागधारा के सहयोग से परंपरागत बीजों की सुरक्षा, संरक्षण, एवं संवर्धन के लिए एक साथ कई गांवों में मनाया गया बीजोत्सव कार्यक्रम 

Seed-festival
वर्तमान समय में कृषि क्षेत्र में बढ़ती हुई नई तकनीकों और संकर बीजों की मांग के चलते परंपरागत बीजों का महत्व धीरे-धीरे घटता जा रहा है। इस स्थिति को सुधारने और परंपरागत बीजों की महत्ता को पुनः स्थापित करने के उद्देश्य से वागधारा संस्था गठित कृषि एवं आदिवासी स्वराज संगठनों द्वारा"बीज उत्सव  कार्यक्रम" का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य उच्च गुणवत्तापूर्ण परंपरागत बीज की उपलब्धता को बढ़ानाः किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले परंपरागत देशी बीजो की उपलब्धता को सुनिश्चित करना ।परंपरागत बीजों का संरक्षण: "जलवायु के अनुकूल परंपरागत बीजों की कई प्रजातियाँ आज विलुप्त होने के कगार पर हैं" उक्त कार्यक्रम के माध्यम से इन देशी बीजों को बचाने और बढ़ावा देना है ।समुदाय स्तर पर परंपरागत बीजों को की उपलब्ध कराकर बाजार पर निर्भरता ख़त्म करना ।समुदाय में बीज संरक्षण के पारंपरिक तरीको और कृषि पद्धतियों को पुनर्जीवित करना । जनजातीय किसानों को जागरूक करना, परंपरागत बीजों के उपयोग को बढ़ावा देना, और उनके संरक्षण के तरीकों को साझा करना है।प्रकृति का मूल आधार बीज है। जिसे हमारी आदिवासी संस्कृति हमेशा से मानती आयी  है तथा हमारी संस्कृति में इसीलिए बीजों की पूजा व संरक्षण तथा सुरक्षा का महत्त्व है।


Seed-festival
बीज कृषि का मूल आधार है। समुदाय में गुणवत्तापूर्ण बीजो के लिए, बाहरी ओर बाजार पर निर्भरता बढ़ती जा रही है। वर्तमान में  ज्यादातर किसानो के हाथ से बीज निकलकर बाजार के पास चला गया है।  जो स्थानीय पर्यावरण और जलवायु के अनुकूल नहीं होते है। दूसरी ओर संकर बीज एवं आधुनिक कृषि पद्धतियों के कारण सिंचाई, जहरीले रसायन और कीटनाशको पर होने वाला खर्च भी लगातार बढ़ता जा रहा है जिससे खेती की लागत भी दिन-प्रतिदिन बढती जा रही है ओर इसलिये खेती घाटे का सौदा बनती जा रही है। हमारे परंपरागत बीज जो पोषण से भरपूर है एवं स्थानीय जलवायु के अनुकूल है उनकी उपलब्धता लगातार कम होती जा रही है। समुदाय का युवा वर्ग परंपरागत रूप से बीजों को सहेजने और संवर्धन की हमारी बीज संरक्षण की संस्कृति को भूलते जा रहे है। ऐसी परिस्थितयों में यह नितांत आवश्यक है कि हम हमारी बीज संस्कृति को पहचाने एवं समुदाय में पुनः बीज स्वराज को स्थापित करने के लिए गंभीरतापूर्वक प्रयास करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया  कृषि एवं आदिवासी स्वराज संगठन/ग्राम स्वराज समूह, सक्षम समूह और बाल स्वराज समूह के नेतृत्व में पारंपरिक वाद्य यंत्रो के साथ ग्राम भ्रमण करना एवं समुदाय को बीज उत्सव में सम्मिलित हुए  देशी बीज संरक्षण से सम्बंधित नारे लगाकर प्रचार-प्रसार करते हुए समुदाय को जागरूक किया गया और परंपरागत देशी बीजो की प्रदर्शनी लगायी गई |साथी परंपरागत देशी बीजों की गुणवत्ता के बारे में भी सभी को अवगत करवाया गया कि हमारी हमारे जो देसी बी थे वह हमारे जीवन के मुख्य आधार स्तंभ थे जो हमारे स्वास्थ्य को अनुकूल रखते थे हमें अनेकों प्रकार की बीमारियों से दूर रखते थे एवं इसी के साथ में समुदाय के साथ बीज संवाद सभा का आयोजित करके देशी बीजो के महत्त्व और संरक्षण से सम्बंधित उपायों पर संवाद स्थापित किया गया और  देशी बीजो के रखरखाव और बीजो को बढ़ावा देने से जुड़े मुद्दों पर समुदाय को संवेदनशील होने का आवाहन किया गया जिसमें परम्परागत बीजो  को सूचीबद्ध किया गया और समुदाय को बीजो को संरक्षित करने के लिए शपथ दिलवाई गई वागधारा के कियान्वयन अधिकारी परमेश पाटीदार ने कहा कि बढ़ते बाजारीकरण के दौर में आदिवासी सिंमात किसानों बीज कि बाजारी निर्भरता तो कम करने के लिए यह बीज उत्सव कारगर साबित होगा कारण परंपरागत बीज किसी भी कृषि तंत्र का मूल आधार होते हैं। यह बीज पीढ़ी दर पीढ़ी कृषि परंपराओं और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक होते हैं। इन बीजों की कई विशेषताएँ होती हैं परंपरागत बीज स्थानीय जलवायु और मिट्टी के अनुसार ढले हुए होते हैं, जिससे इनकी पैदावार अधिक होती है और इन्हें कम देखभाल की आवश्यकता होती है।जैव  यह बीज जैव विविधता को बढ़ावा देते हैं और पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में मदद करते हैं। परंपरागत बीजों से उत्पन्न फसलें पोषक तत्वों से भरपूर होती हैं, जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होती हैं। परंपरागत देशी बीजों को बचाना आवश्यक है ताकी हम आनेवाली पीढ़ी को बेहतर कल दे सकें!


Seed-festival
वागधारा के तकनीकी प्रमुख माजीद ख़ान ने बीज उत्सव कार्यक्रम पर बताया की इस कार्यक्रम में किसानों की ,सक्षम समुह महीलाओं, और कृषि एवं आदिवासी स्वराज संगठनो के पदाधिकारी अधिकतम भागीदारी सुनिश्चित की गई है। उन्हें न केवल परंपरागत बीजों के महत्व के बारे में बताया जाएगा, बल्कि उन्हें अपने अनुभव और ज्ञान को साझा करने का भी मौका मिलेगा।परंपरागत बीजों का संरक्षण के लिए  किसानों द्वारा लाए गए परंपरागत बीजों को सुरक्षित रखने के लिए सामुदायिक बीज बैंक की स्थापना  पर बल दिया  जाएगा। ताकि बीजों का संरक्षण और संवर्धन किया जा सके और किसानों के बीच आपसी सहयोग और ज्ञान के आदान-प्रदान से समुदाय का निर्माण होगा, जिससे उन्हें कृषि संबंधी समस्याओं को सुलझाने में मदद मिले लोगों ने अपने-अपने घरों में गुणवत्तापूर्ण परंपरागत बीज उत्पादित करने और बीज संरक्षण की परंपरागत विधियों का प्रयोग करते हुए बीजों को संरक्षित करेंगे गाँव के प्रत्येक परिवार के पास परंपरागत बीजों की उपलब्धता हो उसके लिए प्रयास करने की शपथ ली। आज कुशलगढ़ के चरखनी,देवदा साथ, घाटोल के कुआनिया,अंतकालिया 162 सहभागियों के द्वारा 42 प्रकार के परम्परागत बीजो कुशलगढ़ के चरखनी एवं देवदा साथ में 177 लोगों के द्वारा खरिफ फसल के लिए 32 प्रकार के परम्परागत बीज, झालौद के रायपुर गांव में 74 किसानों ने खरीफ फसल के लिए 50 प्रकार के बीजों की मध्यप्रदेश के बाजना भुदान खुर्द के उत्सव में सेकंडों लोगों ने 24 प्रकार के परम्परागत बीजो की सुरक्षा एवं संरक्षण की शपथ ली बीज उत्सव कार्यक्रम में सोहननाथ योगी हेमंत आचार्य प्रशांत थोरात चंद्रकांत तिवारी एवं रोहित जैन इत्यादि के   द्वारा राजस्थान , मध्यप्रदेश, गुजरात के तीनों राज्यों की अलग-अलग गांव में जाकर आज के कार्यक्रम को मनाया गया एवं लोगों को खरीफ की ऋतु के लिए जानकारी प्रदान की गई है.

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