कविता : बंद करो दहेज लेना - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 29 जुलाई 2024

कविता : बंद करो दहेज लेना

बेटी का हाथ मांगने आते मगर,

दहेज की बात पहले करवाते,

समझ नहीं आता बेटे का घर,

बसाते या किसी का घर उजाड़ते?

कहते हैं, हमें गाड़ी बंगला चाहिए,

देते हो अगर तो तुम्हारी बेटी चाहिए,

एक बाप कर भी क्या सकता है?

जब लोग बातें ही इतनी बनाते,

वह शर्म से हां कह देता है,

बेटी के खातिर सब कुछ लुटा देता है,

इसलिए लोग बेटी होना पाप मानते हैं,

बंद करो ये दहेज का लालच,

लड़की का ये अपमान नहीं तो क्या है?

उसके पिता पर बोझ नहीं तो क्या है?

मुझे अब और कुछ नहीं कहना है,

अब समाज को फैसला करना है





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भावना

कपकोट, उत्तराखंड

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