- गांधी की वीरों वाली अहिंसा थी : रंजन
- विद्यार्थियों ने देशभक्ति गीतों के जरिये किया महापुरुषों को याद
गाजियाबाद (रजनीश के झा)। वसुंधरा स्थित मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 155वीं एवं पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की 130वीं जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में विद्यार्थियों ने देशभक्तिपूर्ण कविताओं व अपने विचारों के जरिये महापुरुषों को याद किया। इस मौके पर दिल्ली विश्वविद्यालय में हिन्दी के सहायक प्रोफेसर और गांधीवादी विचारक राजीव रंजन गिरि ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की अहिंसा वीरों वाली अहिंसा थी। उन्होंने कभी नहीं कहा था कि अगर कोई एक गाल पर थप्पड़ मारे तो तुम दूसरा गाल आगे कर दो। श्री रंजन ने दावा किया कि यह वाक्य ईसा मसीह का है जिसे गांधी जी का बताकर दुनियाभर में प्रचारित किया गया। उन्होंने यह भी दावा किया कि महात्मा गांधी सर्वधर्म को मानने वाले थे। उनकी सभी जातियों के प्रति आस्था थी। जबकि उनकी हत्या मुस्लिमपरस्त बताकर की गई। उन्होंने उनके हत्यारे नाथूराम गोडसे के अदालत में दिये गये बयानों को भी झूठा बताया और इसके लिए राजीव रंजन गिरि ने अनेक तर्क प्रस्तुत किये। उन्होंने यह भी कहा कि देशों में विभाजन की राजनीति गांधी जी ने नहीं बल्कि अंग्रेंजों ने की। मेवाड़ इंस्टीट्यूशंस की निदेशिका डॉ. अलका अग्रवाल ने शास्त्री जी और गांधी जी के प्रति अपने विचार व्यक्त करते हुए दोनों महान आत्माओं को अपने शब्द-सुमन अर्पित किये। साथ ही कहा कि गांधी जी जनता की आवाज बने, तभी गांधी जी राष्ट्रपिता कहलाये। इसी प्रकार साधारण कद-काठी होने के बावजूद शास्त्री जी ने असाधारण कार्य किये। अन्न संकट से देश की जनता को छुटकारा दिलाया। डॉ. अलका अग्रवाल ने मुख्य वक्ता राजीव रंजन गिरि को गुलदस्ता, शॉल एवं स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार मनोज मिश्र भी उपस्थित थे। कनिष्का सोनी, रोशनी, अमन, दिव्यांशी, वंदना, खुशी ओझा आदि विद्यार्थियों ने कविताएं, भाषण, एकल गान आदि प्रस्तुत कर गांधी जी के स्वच्छता, छुआछूत, अहिंसा के पाठ को दोहराया। राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का विधिवत समापन हुआ।
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