सीहोर : आज शिव महापुराण और भागवत कथा का विराम दिवस - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 16 नवंबर 2024

सीहोर : आज शिव महापुराण और भागवत कथा का विराम दिवस

  • कुबेरेश्वरधाम पर उत्साह के साथ मनाया गया भगवान श्रीकृष्ण का विवाह  उत्सव
  • भागवत कथा सुनने से आध्यात्मिक विकास होता है और भगवान के प्रति भक्ति गहरी होती है : कथा व्यास पंडित शिवम मिश्रा

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सीहोर। श्रीमद् भागवत कथा सुनने से मनुष्य का आध्यात्मिक विकास और भगवान के प्रति भक्ति गहरी होती है। भगवान की विभिन्न कथाओं का सार श्रीमद् भागवत है और मनुष्य को मोक्ष प्रदान करने वाली है। श्रीमदभागवत कथा सुनने से प्राणी को मुक्ति प्राप्त होती है। माघ महीने में श्रीमद् भागवत कथा सुनना पुण्यकारी माना जाता है। भागवत का अर्थ भक्ति, ज्ञान, वैराग्य और तारण है। उक्त विचार जिला मुख्यालय के समीपस्थ चितावलिया हेमा स्थित निर्माणाधीन मुरली मनोहर एवं कुबेरेश्वर महादेव मंदिर में जारी सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा के छठवे दिवस कथा व्यास पंडित शिवम मिश्रा ने कहे। शनिवार को कथा में भगवान का मथुरा प्रस्थान, कंस का वध, महर्षि संदीपनी के आश्रम में विद्या ग्रहण करना, कालयवन का वध, उधव गोपी संवाद, द्वारका की स्थापना और रुकमणी विवाह के प्रसंग का संगीतमय भावपूर्ण पाठ किया गया। भगवान श्रीकृष्ण रुकमणी के विवाह की मनमोहक झांकी ने सभी को खूब भाव विभोर किया।


वही शुक्रवार को पंडित शिवम मिश्रा ने भगवान श्री कृष्ण की गोवर्धन लीला का वर्णन किया। गोवर्धन पूजा करने के साथ वहां भगवान श्री कृष्ण को छप्पन भोग लगाकर आरती भी की गई। इस अवसर पर श्रद्धालु मौजूद रहे और कथा श्रवण की। हमें कभी अहंकार नहीं करना चाहिए। इंद्र के अभियान को नष्ट करने के लिए ही भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन की पूजा-अर्चना कराई थी। मनुष्य जब अच्छे काम करता है तो पूरी सृष्टि की शक्ति उसका साथ देती है और उसे सफल बनाती है। छल और छलावा ज्यादा दिन नहीं चलता। इसे भगवान भी स्वीकार नहीं करते। भागवत कथा में जीवन का सार मौजूद है केवल आवश्यकता है कि सभी उसे ध्यान से सुनें। इससे मनुष्य को परमानंद की प्राप्ति होती है। भागवत कथा सुनना प्रेतयोनि से मुक्ति दिलाता और इससे मनुष्य के सभी क्लेश दूर होते हैं। कृष्ण की लीला थी कि इंद्र को भी मजबूर कर दिया, उनके ओर से अपनी लीला से जगत का ना सिर्फ पालन किया गया, बल्कि जगत को जीवन जीने की कला भी सिखाई और आज श्रीमद् भागवत में जीवन का सार सम्माहित है। वहीं भागवत को सुनने और समझने की आवश्यकता है, इससे जीवन में परेशानी और कठिनाई दूर हो जाती है। इंद्र के अभियान को नष्ट करने के लिए ही भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन की पूजा-अर्चना कराई थी।

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