हम नादान से परिंदे हैं,
क्यों हमें करते हो परेशान?
यूं तो हम लड़कियां हैं,
क्यों हमें रुलाते हो?
यूं ही हमेशा सताते हो?
क्या तुम ये भूल जाते हो?
घर में तुम्हारी भी बहन है,
कोई उसे भी करेगा परेशान,
फिर क्या बीतेगी तुम पर?
सोच कर हो जाओगे हैरान,
फिर क्यों करते हो हमें परेशान?
बगिया की फूलों की तरह हैं हम,
क्यों हमारे पैरों में कांटे चुभाते हो,
नादान परिंदों की तरह हैं हम,
फिर क्यों हमें सताते हो॥
आंचल
कपकोट, उत्तराखंड
चरखा फीचर्स

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