- सालों बाद दिखाई दिया शहर की सड़क पर आस्था का कुंभ
सीहोर। जीवन में मित्रता करो तो ऐसी करो जो मिसाल बन जाए। मित्रता का सबसे अच्छा उदाहरण है भगवान श्री कृष्ण और सुदामा की मित्रता, जिसके उदाहरण आज भी दिए जाते हैं। दोनों भले ही न मिलते हो, न बात करते हो, लेकिन दोनों के बीच प्रेम और सामंजस्य बना हुआ था। उक्त विचार गोदन सरकार सेवा समिति हनुमान मंदिर सीहोर के तत्वाधान में शहर के सिंधी कालोनी मैदान में चल रही श्रीमद भागवत कथा के सातवें दिन कथा का वाचन करते हुए संत गोविन्द जाने ने कही। उन्होंने कहा कि मित्रता सोच-समझकर करना चाहिए। क्योंकि संगत और साथ मानव जीवन को बहुत प्रभावित करते हैं। ये चाहे तो उसे महान बना सकते हैं। संत गोविन्द जाने ने सोमवार को कहा कि सबसे बड़ा तीर्थ कथा का स्थल होता है, गंगा स्नान से अधिक पुण्य मिलता है कथा का श्रवण करने से। उन्होंने जब भी मौका मिले कथा का श्रवण करें और अच्छी बात ग्रहण करें। सोमवार को कई सालों बाद भव्य कलश यात्रा निकाली गई, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल थे। उन्होंने कहा कि अपने गुरु, परमात्मा पर भरोसा होना चाहिए, इस कथा में कैंसर जैसी बीमारी से मुक्त होकर बैठे दादा इसका उदाहरण है, जिनको बाबा के नाम लेने का लाभ मिला है और आज कैंसर जैसी बीमारी से मुक्त होकर स्वास्थ्य लाभ ले रहे है। हमारी आस्था सुदामा की तरह होना चाहिए। जैसे सुदामा जी श्री कृष्ण के भक्त तो थे ही। साथ ही उनके बालसखा भी थे, लेकिन वे मन ही मन श्री कृष्ण की पूजा करते थे। वे दरिद्र थे लेकिन कभी उन्होंने भगवान को इस बारे में नहीं बताया। लेकिन प्रभु भी अपने मित्र की दरिद्रता उसे देखते ही पहचान गए और अपने मित्र को सभी सुखों से संपन्न कर दिया।
पवित्र आत्मा से परमात्मा का सुमिरन करने से ही पूजा सार्थक होती
कथा के समापन अवसर पर उन्होंने कहा कि मनुष्य को सदैव सहज और सरल स्वभाव से जीवन यापन कर अपने से पहले औरों के हित के लिए सोचना चाहिए। पवित्र आत्मा से परमात्मा का सुमिरन करने से ही पूजा सार्थक होती है। यदि हमारा मन सदैव औरों की बुराई में लीन रहे और ईश्वर की आराधना करे तो भी परमात्मा कभी खुश नहीं हो सकता। जो दूसरों के लिए अच्छा सोचता है। परमात्मा ऐसे इंसानों का कभी बुरा नहीं होने देता साथ ही जो लोग दूसरों का बुरा चाहते हैं भगवान उन लोगों का जीवन भर भला नहीं होने देते।
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