आलेख : बसंत पंचमी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 1 फ़रवरी 2025

आलेख : बसंत पंचमी

Basant-panchmi
जैसे ही बसंत ऋतु आती है मन हर्षोल्लास से भर जाता है। मन में एक नई चेतना का संचार होता है। सब कुछ बहुत सुखद और खूबसूरत लगता है। मौसम अपनी छटा बिखेरता है। सारा वातावरण एकदम भावभीना होता है। सभी में एक नई स्फूर्ति का संचार होता है। हमारे देश में बसंत का अपना ही एक महत्व है। जगह-जगह बसंतोत्सव बड़ी ही खुशी के साथ मनाया जाता है। एक तो मौसम इतना सुहावना होता है उस पर शरद ऋतु उलटे पाँव लौटने को तैयार होती है और ग्रीष्म ऋतु के आगमन की तैयारी होती है। न गर्मी और न सर्दी, मंद-मंद चलती बयार बड़ी ही सुहावनी लगती है। मीठी-मीठी धूप तन और मन दोनों को प्रफुल्लित करती है। ऐसे में बसंत पंचमी पर सरस्वती जी का पूजन मन को शान्ति प्रदान करता है। बसंत में पूरा वातावरण पीले रंग में रंगा होता है। खेतों में सरसों लहलहा रही होती है। चारों ओर का वातावरण रंग और अध्यात्म में डूबा नजर आता है। हर आदमी खुशहाल नजर आता है। मौसम का इतना अच्छा नजारा इस समय देखने को मिलता है तो कवि क्या साधारण व्यक्ति का भी मन चंचल हो जाता है। हमेशा ही कवियों ने अपनी कल्पनाओं के जरिये अपनी कविताओं में बसंत ऋतु का बहुत सुन्दर चित्रण किया है और करते भी हैं। जिसे पढ़कर लगता है साक्षात् सरस्वती देवी हमारे समक्ष खड़ी हैं और एक खूबसूरत वातावरण में मन जैसे अठखेलियाँ करता प्रतीत होता है। उसको शब्दों की माला में पिरोकर कवि हर मन को श्रृंगार रस से भर देता है। ऐसा लगता है मानो सारा वातावरण ही प्रेममय और आनन्दमय हो गया है।


बसंत ऋतु वास्तव में प्रेम का भी संदेश लेकर आती है। हर मन इस मौसम में प्रेम में डूब जाना चाहता है। प्रेमी युगलों के लिये यह मौसम बड़ा ही अनुकूल है। प्रेमी युगल इस मौसम में पूरी तरह प्रेम में डूब जाते हैं। उनका मन इतना प्रफुल्लित होता है कि उन्हें पूरी सृष्टि बहुत खूबसूरत लगने लगती है। ये मौसम मन में एक नई उमंग लेकर आता है। हर मन इस समय का आनन्द उठाता है और नाचना-झूमना वातावरण को संगीतमय कर देता है। ऐसा लगता है मानो पूरी धरा पर सोना बिखरा पड़ा है और उनकी चकाचौंध में पूरा वातावरण सुनहरा हो गया है।


इस मौसम की स्फूर्ति एक ऐसे नये रक्त का संचार करती है। इससे व्यक्ति सृजनात्मक होकर अधिक कुशलता एवं सामर्थ्य के साथ कार्य करता है। इसीलिये कहा जाता है कि यह मौसम अधिक से अधिक कार्य करने के लिये भी अनुकूल है और खाने, पहनने एवं खुश रहने के लिये बड़ा ही मुफीद  है। प्रेम से भरा यह मौसम मुँह में मिश्री-सा स्वाद घोलता है और जीवन में खुशहाली लाता है। हर मन प्रेम में मगन होकर नाचता गाता है। वैसे तो बसंत पंचमी का दिन सभी के लिए महत्वपूर्ण है लेकिन सिखों के लिए भी बसंत पंचमी का दिन उपलब्धि भरा है। इस दिन सिखों के दसवें गुरु श्री गुरु गोविन्द सिंह का विवाह हुआ था। यदि बसंत पंचमी के दिन विधि विधान से मामता सरस्वती की उपासना की जाए तो विद्यार्थियों की विद्या, बुद्धि, संगीत सचनात्मकता और कला में वृद्धि होती है। बसंत पंचमी उमंग और उल्लास से भरा त्योहार है। भारतदेश की यही विशेषता है और उनमें सदैव नई ऊर्जा का संचार करती रहती है।





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डॉ. अलका अग्रवाल

(लेखिका मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस की निदेशिका हैं।)

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