बसंत ऋतु वास्तव में प्रेम का भी संदेश लेकर आती है। हर मन इस मौसम में प्रेम में डूब जाना चाहता है। प्रेमी युगलों के लिये यह मौसम बड़ा ही अनुकूल है। प्रेमी युगल इस मौसम में पूरी तरह प्रेम में डूब जाते हैं। उनका मन इतना प्रफुल्लित होता है कि उन्हें पूरी सृष्टि बहुत खूबसूरत लगने लगती है। ये मौसम मन में एक नई उमंग लेकर आता है। हर मन इस समय का आनन्द उठाता है और नाचना-झूमना वातावरण को संगीतमय कर देता है। ऐसा लगता है मानो पूरी धरा पर सोना बिखरा पड़ा है और उनकी चकाचौंध में पूरा वातावरण सुनहरा हो गया है।
इस मौसम की स्फूर्ति एक ऐसे नये रक्त का संचार करती है। इससे व्यक्ति सृजनात्मक होकर अधिक कुशलता एवं सामर्थ्य के साथ कार्य करता है। इसीलिये कहा जाता है कि यह मौसम अधिक से अधिक कार्य करने के लिये भी अनुकूल है और खाने, पहनने एवं खुश रहने के लिये बड़ा ही मुफीद है। प्रेम से भरा यह मौसम मुँह में मिश्री-सा स्वाद घोलता है और जीवन में खुशहाली लाता है। हर मन प्रेम में मगन होकर नाचता गाता है। वैसे तो बसंत पंचमी का दिन सभी के लिए महत्वपूर्ण है लेकिन सिखों के लिए भी बसंत पंचमी का दिन उपलब्धि भरा है। इस दिन सिखों के दसवें गुरु श्री गुरु गोविन्द सिंह का विवाह हुआ था। यदि बसंत पंचमी के दिन विधि विधान से मामता सरस्वती की उपासना की जाए तो विद्यार्थियों की विद्या, बुद्धि, संगीत सचनात्मकता और कला में वृद्धि होती है। बसंत पंचमी उमंग और उल्लास से भरा त्योहार है। भारतदेश की यही विशेषता है और उनमें सदैव नई ऊर्जा का संचार करती रहती है।
डॉ. अलका अग्रवाल
(लेखिका मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस की निदेशिका हैं।)
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