दिल्ली : जयंती रंगनाथन के नवीनतम कहानी संग्रह 'मिडिल क्लास मंचूरियन' का लोकार्पण - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 7 फ़रवरी 2025

दिल्ली : जयंती रंगनाथन के नवीनतम कहानी संग्रह 'मिडिल क्लास मंचूरियन' का लोकार्पण

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नई दिल्ली (रजनीश के झा)। विश्व पुस्तक मेले में सुप्रसिद्ध लेखिका जयंती रंगनाथन के नवीनतम कहानी संग्रह 'मिडिल क्लास मंचूरियन' का भव्य लोकार्पण और परिचर्चा का आयोजन किया गया। अपने वक्तव्य में जयंती रंगनाथन ने कहा, "'मंचूरियन' सिर्फ एक व्यंजन नहीं, बल्कि एक रूपक (Metaphor) है। मैं अपने आसपास जो देखती और सुनती हूँ, वही अपनी कहानियों में उतारती हूँ। मेरे पात्र जीवंत और वास्तविक हैं। यह कहानी संग्रह मेरे चालीस वर्षों के अनुभव का निचोड़ है।" ऋषभ सिंह ने पुस्तक के शीर्षक को रोचक बताया और जयंती रंगनाथन के संस्मरण ‘मुंबई मेरी जान’ की चर्चा की।


शिल्प रस्तोगी ने कहा कि जयंती रंगनाथन किस्से-कहानियों का इनसाइक्लोपीडिया लगती हैं। उन्होंने इस संग्रह की कहानियों को संवेदनशीलता और मनोविज्ञान से भरपूर बताया। एकता नायर ने कहा कि संग्रह की कहानियाँ हमारे बीच की, मध्यम वर्ग की कहानियाँ हैं, जो उनकी वास्तविकता को उजागर करती हैं। गायत्री मनचंदा ने जयंति के पात्रों की प्रशंसा करते हुए कहा, "उनके किरदार बहुत खूबसूरत होते हैं और आम आदमी की आवाज बनते हैं। कहानियों के अंत में जो अप्रत्याशित मोड़ (Twist) आता है, वह पाठकों को आकर्षित करता है।" क्षमा शर्मा ने अपने विचार साझा करते हुए कहा, "जयंती रंगनाथन की कहानियाँ अत्यंत संवेदनशील और प्रभावशाली हैं। मैंने उनकी सभी रचनाएँ पढ़ी हैं और उनकी लेखनी में गजब की ऊर्जा है। उनकी कहानियों की स्त्री पात्र बेहद साधारण, हमारे बीच की महिलाएँ लगती हैं।" उन्होंने यह भी कहा कि यह संग्रह मध्यम वर्ग के जीवन के संघर्षों को सामने लाता है और मानसिक स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण विषयों को रेखांकित करता है। "मिडिल क्लास हमेशा पछतावे में जीता है, लेकिन यह संग्रह मध्यम वर्ग के अनुभवों को सेलिब्रेट करता है," उन्होंने कहा। इस कार्यक्रम में कई साहित्य प्रेमियों और लेखकों की उपस्थिति रही, जिन्होंने 'मिडिल क्लास मंचूरियन' को एक महत्वपूर्ण और सामयिक कहानी संग्रह बताया।इस कार्यक्रम का संचालन पंकज सुबीर ने किया। उन्होंने कहा कि इस संग्रह की कहानियाँ मध्यम वर्ग के जीवन से गहराई से जुड़ी हुई हैं, जिससे पाठक स्वयं को इनमें देख सकते हैं। अंत में मीरा जौहरी जी ने सभी का धन्यवाद किया।

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