आलेख : कांग्रेस से अलगाव ने की दिल्ली में भाजपा की राह आसान - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 14 फ़रवरी 2025

आलेख : कांग्रेस से अलगाव ने की दिल्ली में भाजपा की राह आसान

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नई दिल्ली (विजय सिंह), दिल्ली में लगभग ढाई दशक बाद भारतीय जनता पार्टी ने पूर्ण बहुमत प्राप्त कर जीत का परचम लहराया है और अब नई सरकार गठन करने की ओर अग्रसर हैं. हमारे पाठकों को भी इस बात का इल्म रहा होगा,जब दिल्ली में चुनाव पूर्व, चुनाव लड़ने की रणनीति बनाते हुए आम आदमी पार्टी के सर्वेसर्वा अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में देशव्यापी विपक्षी पार्टियों के साझा "इंडिया गठबंधन" के सबसे प्रमुख घटक दल देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस से इतर होकर अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया था. यह कोई साधारण फैसला नहीं था, बल्कि जानकार मानते हैं कि यह अहंकार में लिया गया केजरीवाल का एक ऐसा आत्मघाती निर्णय था, जिसकी पृष्ठभूमि में भारतीय जनता पार्टी के जीत की गूंज सुनाई दे रही थी. जिस राजनीतिक दल के साथ मिलकर आप केंद्र की राजनीति में भारतीय जनता पार्टी को शिकस्त देकर सत्ता कब्जाने का हसीन ख्वाब पाल रहे हों,उसी दल के विरोध में आप राज्य की राजनीति में चुनाव लड़ने पर आमादा हों तो नतीजा तो सिफर ही होगा और फिर जब लड़ाई "सबका साथ, सबका विकास" से हो तो एक "साथी का हाथ" तो आपके साथ अपेक्षित है. एकला चलो की नीति हर समय कारगर ही होगी, ऐसा कहीं कोई घोषित नियम तो लिखा नहीं है. अब अगर आज की परिस्थिति में यह कहा जाए कि अरविंद केजरीवाल ने जिस रणनीति या अहंकार में दिल्ली विधानसभा  चुनाव में कांग्रेस से गठजोड़ तोड़कर अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया था, उसी रणनीति को स्वीकार कर राहुल गांधी की कांग्रेस ने अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को धूल चटा दी. आंकड़े भी इसी ओर इंगित करते हैं कि जहाँ जहाँ आम आदमी पार्टी हारी है, वहाँ कांग्रेस ने 15-20 प्रतिशत ज्यादा वोट हासिल कर नरेंद्र मोदी के नाम से उदीयमान भारतीय जनता पार्टी को 46 प्रतिशत मत प्राप्त कर जीत का मार्ग प्रशस्त किया. 


सबसे महत्वपूर्ण सीट,यानि नई दिल्ली विधानसभा क्षेत्र से, जहाँ आम आदमी पार्टी के कर्णधार अरविंद केजरीवाल भाजपा के पर्वेश  साहब सिंह वर्मा से 4089 वोटों से पराजित हुए, वहाँ कांग्रेस के संदीप दीक्षित को 4568 वोट मिले. इसी तरह जंगपुरा में उपमुख्यमंत्री रहे मनीष सिसोदिया मात्र 675 वोटों से भाजपा के तरविंदर सिंह मारवाह से चुनाव हार गए जबकि जंगपुरा में कांग्रेस को 7350 वोट प्राप्त हुए. संगम विहार में भारतीय जनता पार्टी 344 वोटों से जीती है, जबकि वहीं कांग्रेस को 15863 वोट मिले. छतरपुर में भाजपा ने 6239 वोटों से जीत हासिल की,जबकि कांग्रेस को 6601 मत प्राप्त हुए. यमुना नगर में भारतीय जनता पार्टी ने  38667 मत पाकर जीत दर्ज की, जबकि कांग्रेस को छतरपुर में 27019 और आम आदमी पार्टी के 18617 मत प्राप्त हुए. राजेंद्र नगर में भाजपा के उमंग बजाज ने 46671 मत प्राप्त कर आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी को  1231 मतों से पराजित किया, वहीं कांग्रेस को 4015 मतदाताओं का साथ मिला. त्रिलोकपुरी में भाजपा 392 मतों से जीती, जबकि कांग्रेस को 6147 वोट मिले. मादीपुर में आप उम्मीदवार 10899 वोटों से हारी,  जबकि कांग्रेस ने 17958 मत प्राप्त किए. बादली विधानसभा क्षेत्र में आप प्रत्याशी 15163 वोटों से हार गई जबकि कांग्रेस प्रत्याशी 41071 मत प्राप्त करने में सफल रहे. तिमारपुर में भाजपा ने आम आदमी पार्टी को 1168 वोटों से हराया,जबकि कांग्रेस ने 8313 मत हासिल किए. ग्रेटर कैलाश में  भाजपा की शिखा रॉय ने आम आदमी प्रत्याशी को 3188 वोटों से हराया जबकि कांग्रेस को 6147 मत मिले. महरौली में कांग्रेस को 9338 मत मिले, वहाँ भाजपा ने 1782 मतों के अंतर से जीत दर्ज की. मालवीय नगर चुनाव क्षेत्र में कांग्रेस को 6770 मत मिले, वहीं भाजपा के सतीश उपाध्याय ने आप प्रत्याशी को 2131 मतों के अंतर से हराया. नांगलोई में भाजपा ने आम आदमी पार्टी को 26251 मतों से हरा कर विजय हासिल की जबकि कांग्रेस को वहाँ 32028 मत मिले.आंकड़ों से स्पष्ट है कि यदि अरविंद केजरीवाल कांग्रेस का साथ दिल्ली विधानसभा चुनाव में नहीं छोड़ते तो शायद परिणाम अन्यत्र हो  सकते थे. कई विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा की जीत और कांग्रेस को मिले मतों में काफी फर्क है,लेकिन "मैं ही मैं हूँ" की अरविंद केजरीवाल की नीति ने उनकी व आम आदमी पार्टी की हार की राह तय कर, विगत 27 वर्षों  से दिल्ली वापसी का इंतजार कर रही भारतीय जनता पार्टी को शानदार 48 सीटों के साथ जीत का मार्ग आसान कर दिया.

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