दिल्ली (रजनीश के झा)। विश्व पुस्तक मेले में सुप्रसिद्ध लेखक नरेंद्र नागदेव द्वारा रचित उपन्यास 'हथेली पर कर्ण' का भव्य लोकार्पण और परिचर्चा समारोह आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम का संचालन साहित्यकार पवन माथुर ने किया। पवन माथुर ने अपने वक्तव्य में कहा कि यह उपन्यास महाभारत से जुड़े विभिन्न प्रसंगों को संवेदनशीलता के साथ प्रस्तुत करता है। यह केवल कर्ण की कथा नहीं कहता, बल्कि महाभारत के संग्राम की व्यापकता को भी उजागर करता है। उपन्यास की विशेषता इसकी दोहरी कथा-शैली है, जिसमें एक ओर कर्ण की संघर्ष-गाथा है, तो दूसरी ओर एक वास्तुकार की समांतर कहानी भी चलती है, जो कई नए विमर्शों को जन्म देती है। वक्ताओं में महेश ने कहा कि हमारे प्राचीन ग्रंथों को पुनः आधुनिक दृष्टिकोण से देखने की आवश्यकता है। उन्होंने इस उपन्यास को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि यह प्रश्न उठाता है कि वर्तमान समय में कर्ण की प्रासंगिकता क्या है। सरल और प्रवाहमयी भाषा में लिखा गया यह उपन्यास पाठकों को बांधे रखने में सक्षम है। कार्यक्रम में हीरालाल ने उपन्यास की मुख्य थीम का पाठ किया। वहीं, लेखक नरेंद्र नागदेव ने कहा कि कर्ण एक ऐसा पात्र है जो अपने जीवन में पाप और पुण्य, दोनों के साथ चलता है। उनके अनुसार, कुछ पात्र जीवन के पूर्वार्द्ध में कुछ और होते हैं और उत्तरार्द्ध में उनका स्वरूप बदल जाता है। कार्यक्रम के अंत में मीरा जौहरी ने सभी वक्ताओं और अतिथियों का आभार व्यक्त किया।
बुधवार, 12 फ़रवरी 2025
दिल्ली : 'हथेली पर कर्ण' का लोकार्पण और परिचर्चा संपन्न
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