नई दिल्ली। इतिहास और साहित्य की मिश्रित परंपरा को केंद्र में रखकर लिखी गई 'नगरों की कहानियां' पुस्तक श्रृंखला पर विश्व पुस्तक मेले, दिल्ली में एक विशेष परिचर्चा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का संचालन प्रभात रंजन ने किया, जिसमें वक्ताओं ने इस श्रृंखला की विशेषताओं और महत्व पर अपने विचार साझा किए। अपूर्वा विरमानी, जो Teach for India संस्था में फेलो रह चुकी हैं, ने कहा, "बच्चों की समझ को ध्यान में रखते हुए मैंने इस पुस्तक को लिखा है। इसमें किसी भी प्रकार की जंग या दुःखद घटनाओं का उल्लेख नहीं किया गया है, ताकि पाठकों को सकारात्मक दृष्टिकोण मिले।" आयोजन में चर्चित मीडिया विशेषज्ञ विनीत कुमार ने पुस्तक की भाषा को सारगर्भित, सरल और सहज बताया। उन्होंने कहा कि किसी भी शहर का वास्तविक इतिहास केवल राजघरानों तक सीमित नहीं होता, बल्कि उसे बसाने और बनाने वाले कामगारों का इतिहास अधिक महत्वपूर्ण होता है। एन सी ई आर टी में प्रोफेसर संध्या सिंह ने इस श्रृंखला के समकालीन महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि वर्तमान समय में पठन संस्कृति को बढ़ावा देने की जरूरत है, और यह पुस्तक श्रृंखला इस दिशा में एक प्रभावी कदम है। उन्होंने कहा कि आमतौर पर इतिहास की किताबों में राजा-महाराजा और नवाबों का ज़िक्र होता है, लेकिन आम जनता गायब रहती है। इस शृंखला की सभी पुस्तकों में आम जनजीवन को प्रमुखता से रेखांकित किया गया है। अंत में प्रकाशक मीरा जौहरी ने कार्यक्रम के समापन पर सभी उपस्थित लोगों का धन्यवाद किया। साहित्य और इतिहास के इस अनूठे संगम को दर्शाने वाली 'नगरों की कहानी' श्रृंखला को एक महत्वपूर्ण और पठनीय पहल के रूप में सराहा गया।
शुक्रवार, 7 फ़रवरी 2025

दिल्ली : पठन संस्कृति को बढ़ावा देने की जरूरत : प्रो संध्या सिंह
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