- कुबेरेश्वरधाम से प्रतिदिन होगा एक बेटी का विवाह, हर साल में 365 कन्याओं का विवाह
- 20 क्विंटल से अधिक शुद्ध घी के हलवे का भोग लगाकर किया वितरण, हर रोज 100 क्विंटल से अधिक भोजन प्रसादी दिन-रात वितरण
- चार स्थानों पर किया जा रहा निशुल्क पोहे का वितरण, धाम पर 10 क्विंटल से अधिक नश्ते का किया वितरण
पंडित प्रदीप मिश्रा की शिव महापुराण कथा सुनने के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा है। श्रद्धालुओं का जुनून इस कदर है कि बूढ़े लड़खड़ाते कदम भी एक किलोमीटर का सफर खुशी-खुशी तय कर रहे हैं। कथा खत्म होने के बाद लाखों श्रद्धालु अपने घर तक पहुंचने के लिए तमाम कष्ट सहन कर रहे हैं। हजारों श्रद्धालु ऐसे हैं जो महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, बिहार, उत्तर प्रदेश ही नहीं हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड, राजस्थान और मध्य प्रदेश से कथा सुनने आ रहे हैं। वे रात को पंडाल में ही रात गुजार रहे हैं। रात को पंडाल में एक अद्भुत दुनिया नजर आ रही है। छोटे-छोटे बच्चों के साथ परिवार के लोग और बुजुर्ग भगवान शंकर की भक्ति में झूम रहे हैं। वे बस यही कह रहे हैं... जिस पर भोले बाबा का हो आशीर्वाद...उसका क्या दुनिया के कष्टों से सरोकार। हर-हर महादेव। कथा के दौरान पंडित श्री मिश्रा ने कहा कि हमें भगवान के प्रति निष्ठा होनी चाहिए। द्वारकाधीश के मित्र होने के बाद भी सुदामा अपना सादा जीवन बसर कर रहा था, लेकिन पत्नी के निवेदन पर वह अपने मित्र के पास जाता है तो उसकी सारी परेशानियों का निदान हो गया, इसी तरह आपको कर्म के साथ भगवान का जाप करना पड़ेगा, उसके बाद आपकी समस्याओं का निराकरण होना शुरू हो जाएगा।
शंकर भगवान का चरित्र विश्वास का चरित्र
शंकर भगवान का चरित्र विश्वास का चरित्र है, जिस दिन अगर शिवजी के प्रति भाव अथवा भरोसा जागृत ना हो सके तो आप शिव महापुराण में जाना, उसके बाद अगर विश्वास और भरोसा जागृत होया, तारेगा भी महादेव और मारेगा भी महादेव तो आपका कल्याण हो जाएगा। महादेव आपको कभी डूबने नहीं देगा, उस पर सच्चा विश्वास होगा तो वह हाथ पकड़ कर खींच कर बाहर कर देगा। शिव महापुराण की कथा कहती है शिव जी को आपसे न बेल पत्र चाहिए न चावल का दाना चाहिए। शंकर भगवान को आपसे कुछ भी नहीं चाहिए, शिवजी तो कहते हैं मैं भी भगवान के नाम में डूबा रहता हूं। तुम भी परमात्मा के नाम में डूबे रहो मैं तुम्हारा सब कार्य करके चले जाऊंगा। तुम आश्रित हो जाओ और भगवान के भरोसे जीना प्रारंभ कर दो।
कुछ पत्रों का उल्लेख किया
हम दुनिया के भरोसे पर जीते हैं। पर परमात्मा के भरोसे नहीं जी पाते, हम उसके आश्रित नहीं हो पाते, कभी ऐसा भी होता है कि हमारा पुण्य भी पाप में बदल जाता है। कथा के बीच में कथा वाचक प्रदीप मिश्रा ने कुछ पत्रों का उल्लेख करते हुए बताया कि कुछ माताओं ने उन्हें पत्र भेजा है। उनमें से कुछ पत्रों को मिश्रा ने भक्तों को पढ़कर सुनाया। उन्होंने बताया कि कथा का श्रवण करने आई सोनभद्र से पुष्पा जायसवाल का पत्र है, जिसमें उन्होंने लिखा है कि उनके पति और दोनों बेटे कुछ नहीं करते थे, कथा से प्रेरित होकर उन्होंने भगवान शिव की भक्ति की और आज उनके पास जमीन, मकान, दुकान और फैक्ट्री है, पति समेत दोनों बेटे आज धंधे में व्यस्त है। इसी प्रकार रायसेन की किरण ने बताया कि उनके पुत्र को चार साल से नौकरी की तलाश थी, जब मैंने उसे पढ़ाई के साथ शिव की भक्ति करने का उपाय बताया तो वह आज पुलिस विभाग में कार्यरत है और वर्तमान में कुबेरेश्वरधाम पर उसकी ड्यूटी लगी हुई है।
प्रदीप मिश्रा की कथा सुनने अमेरिका से पहुंचा परिवार
अमेरिका से आए परिवार ने बताया- वह प्रदीप मिश्रा जी की कथा सुनने के लिए तमाम जगहों पर जाते हैं। उनकी कथा सुनकर एक अलग ही प्रकार की अनुभूति होती है। मन शांत हो जाता है। परिवार के लोगों ने बताया कि वह कथा समाप्त होने तक धाम के पास में ही होटल लेकर रह रहे हैं।
प्रशासन ने किया इंतजाम
भीड़ को देखते हुए पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा के कारण इंतजाम किए हुए हैं। एक दर्जन से जगहों पर पार्किंग की व्यवस्था की गई है। पुलिस के आला अधिकारियों के अलावा एक हजार से ज्यादा संख्या में पुलिसकर्मी लगाए गए हैं। ट्रैफिक पुलिस व्यवस्था बनाने की कोशिश कर रही है लेकिन कथा के आरंभ और अंत में वाहनों के अलावा श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ आता है।
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