- मेहंदी, सिंदूर और अनार के दाने से श्री यंत्र की अर्चन की
पंडित श्री व्यास ने सुबह यहां पर विराजमान मां लक्ष्मी, मां काली और सरस्वती की विशेष अर्चन की गई और दोपहर में आहुतियां दी गई। महालक्ष्मी की वंदना से श्रद्धालुओं को मां लक्ष्मी की कृपा से अवगत करवाया। उन्होंने कहा कि लक्ष्मी कृपा प्राप्ति के लिए श्रीयंत्र का सरल पूजन विधान है जिसकी सहायता से साधारण व्यक्ति भी विशेष लाभ प्राप्त कर सकते हैं। इस यंत्र को तांबे, चांदी और सोने किसी भी धातु पर बनाया जा सकता है। ऐसी मान्यता है कि श्रीयंत्र, मां लक्ष्मी का प्रिय यंत्र है, इसीलिए इसकी पूजा करने से देवी लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। घर में विधि-विधान के साथ श्रीयंत्र की पूजा और अराधना करने से घर में सुख-संपत्ति, सौभाग्य और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। लेकिन इसकी स्थापना और पूजा करने के लिए कुछ बातों को मानना बेहद जरूरी है। धन की देवी मां लक्ष्मी को कहा गया है, जिसकी पूजा सनातन धर्म में लक्ष्मी प्राप्ति के लिए सर्वोपरि है। हर कोई पूरी विधि विधान के साथ देवी लक्ष्मी और गणेश की पूजा अर्चना करते हैं, ताकि उनकी कृपा बनी रहे। मां लक्ष्मी होगी प्रसन्न, क्योंकि हर देवी देवता के लिए सनातन धर्म में अलग-अलग तरह के मंत्र होते हैं जो आपकी राशि और मुहूर्त के हिसाब से आपके ऊपर आने वाली बाधाओं को दूर करती है। लक्ष्मी जी का आवाह्न श्री सूक्त मंत्र के साथ, लक्ष्मी जी की आराधना और खर्चों उपचार विधि से पूजन करने से, भगवान गणेश की आराधना गणेशशास्त्रक नमक का पाठ करने से, श्री सूक्त द्वारा कमलाक्ष्य जो होता है और कमल फूल का बीज और शक्कर और घी मिश्रण करके आहुतियां देने से लक्ष्मी जी प्रसन्न होती है। ऐसा करने से लक्ष्मी जी उस घर में निवास करती है। जहां इस विधि विधान पूर्वक पूजा अर्चना होती है। शिव प्रदोष सेवा समिति के मनोज दीक्षित मामा ने बताया कि गुरुवार को पंडित श्री व्यास के मार्गदर्शन में आधा दर्जन से अधिक यजमान और श्रद्धालुओं के द्वारा गन्ने के रस से भगवान शिव का अभिषेक किया जाएगा।
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