- 501 से अधिक पार्थिव शिवलिंग का निर्माण कर लिया रुद्राभिषेक

सीहोर। शहर के सीवन तट पर हनुमान मंदिर गोपालधाम में शिव प्रदोष सेवा समिति के तत्वाधान में एक माह तक आयोजित होने वाले शिव शक्ति दिव्य अनुष्ठान वैशाख महापर्व का आयोजन किया जा रहा है। महोत्सव के अंतर्गत सोमवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के द्वारा 501 से अधिक पार्थिव शिवलिंग का निर्माण कर रुद्राभिषेक किया। मंगलवार को यज्ञाचार्य पंडित पवन व्यास और पंडित कुणाल व्यास के मार्गदर्शन में सुबह भगवान शिव की पूजा अर्चना के साथ ही दोपहर में हनुमान चालिसा, सुंदरकांड और राम चरित्र मानस पाठ आदि का आयोजन किया जाएगा। पंडित श्री व्यास ने सोमवार को बताया कि रुद्राभिषेक करना शिव आराधनाओ में सर्वश्रेष्ठ तरीका माना गया है। रुद्राभिषेक के रुद्राष्टक अध्यायी पाठ के मंत्रों का वर्णन ऋग्वेद, यजुर्वेद और सामवेद में आया है। रुद्र का मतलब होता है कि जो संसार के जीवों के कष्टो को देखकर जिसका हृदय द्रवित हो जावे, उसे रूद्र कहते हैं। संसार में भगवान शिव इतने भोले भंडारी हैं कि वह अपने भक्तों का दुख कष्ट देख नहीं सकते इसीलिए शास्त्रों में उनका नाम रूद्र रखा है ऐसे रुद्र का अभिषेक पूजन मनुष्य के लिए अत्यंत कल्याण कारी होता है रुद्राभिषेक का मतलब है, भगवान रुद्र के ऊपर जल की धारा लगाकर रुद्राष्टक अध्यायी के मंत्रों से किसी भी वस्तु में भगवान शिव को अभीषिक्त करना, जिससे वह कल्याण करने के लिए भक्तों के सामने प्रकट हो जावें और उन्हें अभी अविचल भक्ति प्रदान कर उनके कष्टों का निवारण करें। रुद्राष्टाध्यायी द्वारा भगवान शिव के ऊपर जो धारा गिरती है। रुद्राभिषेक में शिवलिंग को अनेक वस्तुओं से जैसे दूध, दही, शहद, शक्कर, घी, फल का रस,भांग मिश्रित जल, भस्म मिश्रित जल तथा औषधीय के मिश्रण से बने जल से पवित्र स्नान कराकर उसकी पूजा-अर्चना की जाती है। कथा दूध और जल के मिश्रण से धारा लगाकर रुद्राभिषेक किया जाता है शिवलिंग का अभिषेक आशुतोष शिव को शीघ्र प्रसन्न करके साधक को उनका कृपापात्र बना देता है। तथा रुद्राभिषेक से मनुष्य के सारे पाप-ताप धुल जाते हैं। भगवान श्री राम ने लंका पर कूच करने से पहले भगवान शिव की पार्थिव पूजा की थी। कलयुग में भगवान शिव का पार्थिव पूजन कूष्माण्ड ऋषि के पुत्र मंडप ने किया था। शनिदेव ने अपने पिता सूर्यदेव से शक्ति पाने के लिए काशी में पार्थिव शिवलिंग बनाकर पूजन किया था। माता पार्वती ने भी भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए पार्थिव शिवलिंग बनाकर ही पूजन किया था। भगवान चंद्रमा ने अपने ससुर दक्ष प्रजापति के द्वारा दिए गए श्राप को मिटाने के लिए पार्थिव शिवलिंग का ही निर्माण पूजन किया था। इस पार्थिव शिवलिंग से सौराष्ट्र में सोमनाथ शिवलिंग ज्योतिर्लिंग के रूप में विख्यात है घुष्मा नाम की ब्राह्मण पत्नी ने पार्थिव शिवलिंग बनाकर पूजन किया था उसी से घुश्मेश्वर महादेव प्रकट हुए जो की ज्योतिर्लिंग के रूप में विख्यात है। नर नारायण ने भारतीय शिवलिंग बनाकर पूजन किया इस पारसी से केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग प्रकट हुआ। अत रुद्राभिषेक परमात्मा को सन्मुख प्रकट कर उनकी भक्ति प्राप्त करने का एकमात्र उपाय है।
आज किया जाएगा हनुमानाष्टक का पाठ
शिव प्रदोष सेवा समिति की ओर से मनोज दीक्षित मामा ने बताया कि मंगलवार को राम चरित्र मानव, सुंदरकांड के अलावा हनुमानाष्टक का पाठ किया जाएगा। संकट मोचन हनुमानजी की भक्ति में हनुमानाष्टक का पाठ करते हैं हनुमानजी उनकों संकट से पार लगा देते हैं।
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