- अष्टमी के दिन होगी महा निशा की आरती और सात अपै्रल को विशाल भंडारे का आयोजन
- 31 सौ से अधिक देवी मंत्रों और सप्तशती पाठ के साथ स्कंद माता की पूजा-अर्चना की
प्रतिदिन माता का श्रृंगार किया जा रहा है। महाअष्ठमी को दोपहर बारह बजे कन्याओं को हलवा-पुड़ी, खीर के साथ प्रसादी का वितरण किया जाएगा। वहीं रात 12 बजे महानिशा आरती का आयोजन किया जाएगा। इसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचेंगे। जिला संस्कार मंच के संयोजक मनोज दीक्षित मामा ने बताया कि नवरात्रि साल में दो बार आती है एक चैत्र नवरात्र और दूसरा शारदीय नवरात्र। हिंदू धर्म में चैत्र नवरात्रि का बेहद महत्व है। इसके माध्यम से मां दुर्गा की पूजा की जाती है और मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त होता है। चैत्र नवरात्रि के नौ दिनों में हर दिन का अपना खास महत्व है। हर दिन एक देवी की पूजा की जाती है। पहले तीन दिनों में मां दुर्गा की पूजा की जाती है। चौथे और पांचवें दिन मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। आखिरी चार दिनों में मां सरस्वती की पूजा की जाती है जो ज्ञान की देवी हैं। स्कंदमाता पूजा अर्चना की गई। इस मौके पर मां का फूलों से विशेष श्रृंगार किया गया था। पंडित दीक्षित ने बताया कि चैत्र नवरात्रि का पांचवां दिन है। इस दिन मां दुर्गा के पंचम स्वरूप मां स्कंदमाता का पूजन होता है। भगवान शिव और पार्वती के पहले पुत्र हैं कार्तिकेय, उनका ही एक नाम है स्कंद। कार्तिकेय यानी स्कंद की माता होने के कारण देवी के पांचवें रुप का नाम स्कंद माता है। उसके अलावा ये शक्ति की भी दाता हैं। सफलता के लिए शक्ति का संचय और सृजन की क्षमता दोनों का होना जरूरी है। माता का ये रूप यही सिखाता है और प्रदान भी करता है। भगवान शिव और पार्वती के पहले पुत्र हैं कार्तिकेय, उनका ही एक नाम है स्कंद। कार्तिकेय यानी स्कंद की माता होने के कारण देवी के पांचवें रुप का नाम स्कंद माता है। उसके अलावा ये शक्ति की भी दाता हैं। सफलता के लिए शक्ति का संचय और सृजन की क्षमता दोनों का होना जरूरी है। माता का ये रूप यही सिखाता है और प्रदान भी करता है। इस मौके पर मंदिर के प्रबंधक गोविन्द मेवाड़ा, रोहित मेवाड़ा, जितेन्द्र तिवारी, पंडित उमेश दुबे, पंडित गणेश शर्मा, सुनिल चौकसे, रामू सोनी सहित अन्य शामिल थे।
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