सीहोर : शिव-शक्ति दिव्य अनुष्ठान के तीसरे दिन शिव के अभिषेक के साथ हनुमान चालीसा पाठ - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 15 अप्रैल 2025

सीहोर : शिव-शक्ति दिव्य अनुष्ठान के तीसरे दिन शिव के अभिषेक के साथ हनुमान चालीसा पाठ

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सीहोर। शिव प्रदोष सेवा समिति के तत्वाधान में एक माह तक आयोजित होने वाले शिव शक्ति दिव्य अनुष्ठान वैशाख महापर्व के तीसरे दिन यहां पर मौजूद श्रद्धालुओं के द्वारा सुबह सात बजे से शिव लिंग का अभिषेक किया गया और उसके पश्चात हनुमान चालीसा पाठ और राम चरित्र मानस का पाठ का आयोजन किया गया। यहां पर नियमित रूप से समिति के पंडित पवन व्यास और कुणाल व्यास के द्वारा वैशाख पर पूरे माह दिव्य अनुष्ठान का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें क्षेत्रवासियों के अलावा अन्य श्रद्धालु शामिल हो रहे है। पंडित श्री व्यास ने बताया कि देवों के देव महादेव की पूजा-अराधना करने से भगवान अपने भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। शिवलिंग की पूजा में अभिषेक का खास महत्व होता है। शिवलिंग पर अभिषेक करने के बाद से अन्य पूजा विधियों की शुरुआत की जाती है। भगवान शिव तो शिवलिंग पर अभिषेक करने से ही प्रसन्न हो जाते हैं और आशीर्वाद देते हैं।


उन्होंने बताया कि शिवलिंग पर जल, दूध, दही गंगाजल जैसे कई द्रव्यों से अभिषेक की जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हम कितने तरीकों से शिवजी का अभिषेक कर सकते हैं। इस बारे में शिवपुराण में विस्तार से बताया गया है। कहा जाता है कि शिवजी ने स्वयं अपने अभिषेक के महत्व के बारे में बताया है। शास्त्रों में भी कामना प्राप्ति के अनुसार अनेक तरह के द्रव्यों से शिवजी के अभिषेक के बारे में बताया गया है। भगवान शिव की भक्ति का सबसे सरलतम आराधना में से एक है ऊं नम शिवाय मंत्र का जाप और पार्थिव शिवलिंगों का निर्माण, सतयुग में स्वर्ण, त्रेतायुग में रत्न, द्वापर युग में पारद व कलयुग में पार्थिव शिवलिंग का अधिक महत्व है। कलयुग में अमीर-गरीब या कोई भी जाति का हो, पार्थिव शिवलिंग बना कर भगवान शिव की आराधना कर सकता है। 108 पार्थिव निर्माण और रुदाभिषेक के दौरान ने कहे। ऊं नम शिवाय के मंत्रों का जाप कर 108 पार्थिव शिवलिंगों का यहां पर मौजूद श्रद्धालुओं ने निर्माण कर पंचामृत से अभिषेक किया। यहां पर जारी पार्थिव शिवलिंगों के निर्माण के साथ ही अन्य धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। जिसमें महामृत्यंजय और ऊं नम शिवाय के मंत्रों का जाप कर 108 पार्थिव शिवलिंगों का यहां पर मौजूद श्रद्धालुओं ने निर्माण कर पंचामृत से अभिषेक किया।  पार्थिव शिवलिंग का महत्व बताते हुए कहा कि चंद्रमा को राजा दक्ष के श्राप से क्षय रोग हो गया था। मुक्ति पाने के लिए चंद्रमा ने पार्थिव शिवलिंग बना कर शिव भगवान की आराधना कर मुक्ति पाई थी। पार्वती माता ने भी शिव को पाने के लिए पार्थिव शिवलिंग बना कर आराधना कर भगवान को प्राप्त किया, तब भगवान शिव ने प्रसन्न होकर माता पार्वती को वरदान दिया था कि कलयुग में जो भी वैशाख मास में पार्थिव शिवलिंग बनाकर जो मेरी आराधना करेगा, उसकी सभी मनोकामना पूर्ण होकर अर्थ, धर्म, काम व मोक्ष को प्राप्त करेगा।

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