पटना : पहलगाम हमला, ऑपरेशन सिंदूर और आदिवासी जनसंहार पर माले का तीखा प्रहार - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 25 मई 2025

पटना : पहलगाम हमला, ऑपरेशन सिंदूर और आदिवासी जनसंहार पर माले का तीखा प्रहार

Deepankar-bhattacharya
पटना, (आलोक कुमार).माले महासचिव कामरेड दीपंकर भट्टाचार्य ने आज पटना में आयोजित संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों पर गंभीर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि पहलगाम आतंकी हमले के एक महीने बीत जाने के बावजूद अब तक देश को कोई ठोस जानकारी नहीं दी गई है और न ही किसी आतंकी की गिरफ्तारी हुई है. जब यह घटना घटी प्रधानमंत्री पहलगाम जाने की बजाय मधुबनी पहुंच गए और वहां सभा को सम्बोधित करते हुए उन्होंने आतंकियों को मिट्टी में मिला देने की बात कही. लेकिन अबतक उसमें शामिल एक भी आतंकी का सुराग नहीं मिल पाया.  ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तानी जवाबी हमले में मारे गए भारतीय नागरिकों के परिजनों को सांत्वना देने अथवा राहत प्रदान करने के लिए भी सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया है. कामरेड दीपंकर ने कहा कि देश की साम्राज्यवाद विरोधी संघर्ष की गौरवशाली विरासत रही है. शाहाबाद में वीर कुंवर सिंह के नेतृत्व में और हिंदू-मुस्लिम एकता के आधार पर भारत के पहले स्वतंत्रता संग्राम में इस क्षेत्र की अहम भूमिका रही. लेकिन आज की भाजपा सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका और ट्रम्प के समक्ष पूरी तरह आत्मसमर्पण कर दिया है. उन्होंने आरोप लगाया कि अमेरिका द्वारा भारतीयों की अपमानजनक निकासी, मनमाने टैरिफ थोपने और भारत-पाक युद्ध विराम की ट्रम्प द्वारा की गई एकतरफा घोषणा पर प्रधानमंत्री की चुप्पी उनकी विफल विदेश नीति को उजागर करती है. ऑपरेशन सिंदूर के समय दुनिया के किसी भी देश ने भारत का समर्थन नहीं किया — यह मोदी सरकार की कूटनीतिक असफलता का प्रमाण है.


पूरे विपक्ष द्वारा इन सवालों पर संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग को नकार कर सरकार सांसदों के विदेश दौरों में व्यस्त है. उन्होंने कहा कि बिहार में जनता की सुरक्षा और भ्रष्टाचार के समूल उन्मूलन के लिए इंडिया गठबंधन को सत्ता में लाना अत्यंत आवश्यक है. माले महासचिव ने छत्तीसगढ़ के नारायणपुर-बीजापुर इलाके में सीपीआई (माओवादी) के महासचिव कामरेड केशव राव सहित अनेक माओवादी कार्यकर्ताओं और आम आदिवासियों की हुई नृशंस हत्या की कड़ी निंदा की. उन्होंने कहा कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह द्वारा इस खबर को उत्सवी अंदाज़ में प्रस्तुत करना बेहद निंदनीय है. इससे स्पष्ट होता है कि सरकार 'ऑपरेशन कगार' के ज़रिए न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर आदिवासी इलाकों में एक सुनियोजित सैन्य अभियान चला रही है, ताकि माओवाद विरोधी कार्रवाई की आड़ में कॉर्पोरेट लूट और सैन्यीकरण के खिलाफ उठ रही आदिवासी आवाज़ों को कुचला जा सके. उन्होंने इस जनसंहार की न्यायिक जांच कराने और माओवादियों द्वारा घोषित एकतरफा युद्धविराम के बावजूद उन पर चल रही सैन्य कार्रवाई को तत्काल रोकने की मांग की. संवाददाता सम्मेलन में माले विधान पार्षद और स्कीम वर्कर्स यूनियन की नेता कामरेड शशि यादव ने बताया कि 20 मई से बिहार की आशा कर्मी हड़ताल पर हैं. उनकी मांग है कि सरकार पूर्व में किए गए समझौते को तत्काल लागू करे। उन्होंने रसोइया और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की लंबित मांगों को भी इसमें जोड़ते हुए सरकार से अविलंब समाधान की मांग की.


कामरेड शशि यादव ने चेतावनी दी कि यदि इन मांगों को तुरंत पूरा नहीं किया गया, तो राज्य के सभी मंत्रियों और मुख्यमंत्री का जगह-जगह घेराव किया जाएगा. काराकाट के सांसद और अखिल भारतीय किशन महासभा के राष्ट्रीय महासचिव राजाराम सिंह ने कहा कि आगामी 30 मई 2025 को भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का एक कार्यक्रम रोहतास जिला के विक्रमगंज में तय हुआ है. इस मौके पर उस क्षेत्र के किसान व आमलोग उनसे इंद्रपुरी जलाशय का यथाशीघ्र निर्माण कराने, सोन नहरों का आधुनिकीकरण कर सोन नहरों के निचले हिस्से (टेल प्वाइंट) तक सालों भर पानी का प्रबंध करने, चीर प्रतीक्षित दुर्गावती सिंचाई परियोजना, मलई बराज (मलियाबाग) परियोजना एवं उत्तर कोयल सिंचाई परियोजना कार्य यथाशीघ्र पूरा कराने और कुटकू डैम में फाटक लगाने, डालमियानगर के उद्योगों को फिर से चालू कराने और डालमियानगर में प्रस्तावित रेल कारखाना को यथाशीघ्र निर्माण कराने का प्रबंध करने, भारत माला सड़क परियोजना एवं ग्रीन फील्ड एक्सप्रेसवे के लिए किसानों की अधिग्रहित किए जा रहे कृषि भूमि का 2013 के कानून के मुताबिक वर्तमान बाजार दर से चार गुणा मुआवजा दिया जाए और किसानों से बिना समुचित मुआवजा के बलपूर्वक कृषि भूमि अधिग्रहण पर अविलंब रोक लगाने, मार्केटिंग पर राष्ट्रीय प्रस्ताव वापस लिया जाए। सभी फसलों का सी 2+50% एमएसपी की कानूनी गारंटी के साथ सरकारी खरीद की गारंटी करने व बिहार में एपीएमसी ऐक्ट को पुनर्बहाल करते हुए कृषि मंडियों को पुनः चालू करने कि मांग पर 28 मई को  शाहाबाद व मगध क्षेत्र के सभी जिलों में धरना दिया जाएगा. संवाददाता सम्मेलन में माले राज्य सचिव कामरेड कुणाल, पोलित ब्यूरो सदस्य धीरेंद्र झा और विधायक दल के उपनेता सत्यदेव राम भी उपस्थित थे.

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