भारतीय कार्रवाई के बाद पाकिस्तान ने 8, 9 और 10 मई को भारतीय सैन्य ठिकानों पर हमला करने की कोशिश की। पाकिस्तानी प्रयासों का भारतीय पक्ष ने कड़ा जवाब दिया तथा वायु सेना के ठिकानों, वायु रक्षा प्रणालियों, कमान एवं नियंत्रण केंद्रों तथा रडार स्थलों सहित कई प्रमुख पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठानों को भारी क्षति पहुंचाई। विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने 10 मई को घोषणा की कि भारत और पाकिस्तान भूमि, वायु और समुद्र में सभी प्रकार की गोलाबारी और सैन्य कार्रवाइयों को तत्काल प्रभाव से रोकने पर सहमत हो गए हैं। ‘ ऑपरेशन सिंदूर’ पर प्रकाश डालते हुए रक्षा मंत्रालय ने कहा कि पहलगाम हमले के जवाब में भारत की कार्रवाई “सावधानीपूर्वक तैयार योजना और खुफिया जानकारी पर आधारित दृष्टिकोण” पर केंद्रित थी, जिससे यह सुनिश्चित हुआ कि ऑपरेशन न्यूनतम क्षति के साथ संचालित किया गया। इस ऑपरेशन के बाद, पाकिस्तान ने प्रमुख भारतीय वायुसैनिक अड्डों और साजो-सामान संबंधी बुनियादी ढांचे को निशाना बनाकर जवाबी हमले शुरू किये। मंत्रालय ने कहा कि हालांकि, इन प्रयासों को भारत की व्यापक और बहुस्तरीय वायु रक्षा प्रणाली द्वारा प्रभावी ढंग से निष्प्रभावी कर दिया गया। मंत्रालय के एक बयान में कहा गया, “इस सफलता का मुख्य कारण एकीकृत कमान और नियंत्रण रणनीति (आईसीसीएस) थी, जिसने विभिन्न क्षेत्रों में वास्तविक समय में खतरे की पहचान, आकलन और रोकथाम को संभव बनाया।” बयान में कहा गया, “ऑपरेशन सिंदूर के प्रत्येक क्षेत्र में सेनाओं के बीच प्रभावशाली तालमेल था और सरकार, एजेंसियों और विभागों द्वारा पूर्ण सहयोग दिया गया।”
मंत्रालय ने कहा कि यह ऑपरेशन “भूमि, वायु और समुद्र में किया गया - यह भारतीय सेना, वायु सेना और नौसेना के बीच तालमेल का एक निर्बाध प्रदर्शन था।” इसमें कहा गया है कि भारतीय वायु सेना (आईएएफ) ने पाकिस्तान में आतंकवादी बुनियादी ढांचे के खिलाफ सटीक हमले करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसमें कहा गया है कि भारतीय वायुसेना ने नूर खान वायु सैनिक अड्डे और रहीमयार खान वायुसैनिक ठिकाने जैसे लक्ष्यों पर उच्च प्रभाव वाले हवाई अभियान चलाए। मंत्रालय ने कहा कि वायुसेना का मजबूत वायु रक्षा तंत्र सीमा पार से ड्रोन और मानवरहित विमान (यूएवी) हमलों के जवाब में भारतीय हवाई क्षेत्र की रक्षा करने में महत्वपूर्ण साबित हुआ। इसमें कहा गया है, “स्वदेशी रूप से विकसित आकाश सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली और पिकोरा तथा ओएसए-एके जैसे मंचों को एक स्तरित रक्षा ग्रिड में प्रभावी ढंग से तैनात किया गया है।” इसके साथ ही, भारतीय सेना ने रक्षात्मक और आक्रामक दोनों भूमिकाओं में अपनी तैयारी और प्रभावशीलता का प्रदर्शन किया। मंत्रालय ने कहा कि सेना की वायु रक्षा इकाइयों ने वायुसेना के साथ मिलकर काम किया तथा विभिन्न प्रणालियों की तैनाती की। इन इकाइयों ने पाकिस्तान द्वारा किए जा रहे ड्रोन हमलों का मुकाबला करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
मंत्रालय ने ऑपरेशन के दौरान भारतीय नौसेना की भूमिका पर भी प्रकाश डाला। उसने कहा, “ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय नौसेना ने समुद्री प्रभुत्व स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। एक समग्र नेटवर्क बल के रूप में काम करते हुए, नौसेना ने मिग-29के लड़ाकू जेट और अग्रिम हवाई चेतावनी हेलीकॉप्टर से लैस अपने कैरियर बैटल ग्रुप (सीबीजी) को तैनात किया। इससे समुद्री क्षेत्र में खतरों की निरंतर निगरानी और वास्तविक समय पर पहचान सुनिश्चित हुई।” कैरियर बैटल ग्रुप एक नौसेना बेड़ा होता है, जिसमें एक विमान वाहक पोत और उसके साथ कई अन्य जहाज शामिल होते हैं। मंत्रालय ने कहा, “सीबीजी ने एक शक्तिशाली वायु रक्षा कवच बनाए रखा, जिसने शत्रुतापूर्ण हवाई घुसपैठ को रोका, विशेष रूप से मकरान तट से।” इसमें कहा गया है कि नौसेना की उपस्थिति ने एक मजबूत निवारक शक्ति तैयार की तथा पश्चिमी समुद्र तट पर पाकिस्तानी वायु सेना को प्रभावी रूप से रोक दिया, जिससे उन्हें कोई भी दुस्साहस करने का मौका नहीं मिला। बयान में कहा गया, “नौसेना के पायलटों ने चौबीसों घंटे उड़ानें भरीं, जिससे क्षेत्र में भारत की तत्परता और रणनीतिक पहुंच का पता चला।” मंत्रालय ने कहा, “समुद्र पर निर्विवाद नियंत्रण स्थापित करने की नौसेना की क्षमता ने जटिल खतरे के माहौल में इसकी मिसाइल रोधी और विमान रोधी रक्षा क्षमताओं को भी प्रमाणित किया है।”
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