- निजीकरण और महंगी बिजली के खिलाफ संघर्ष समिति का विरोध तेज
राघवेंद्र गोस्वामी ने कहा कि निदेशक वित्त निधि नारंग को कार्यकाल समाप्त होने के बाद फिर विस्तार दिया गया है, ताकि वे ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट को क्लीन चिट दे सकें। नए निदेशक पुरुषोत्तम अग्रवाल ने इस पर आपत्ति जताई है। रमाशंकर पाल ने कहा कि यदि ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट की नियुक्ति और निजीकरण की प्रक्रिया वापस ले ली जाती है, तो कोई आंदोलन नहीं होगा। संघर्ष समिति ने आरोप लगाया कि एक लाख करोड़ की परिसंपत्तियां कुछ हजार करोड़ में बेची जा रही हैं और 42 जिलों की जमीन महज ₹1 की लीज पर निजी कंपनियों को दी जा रही है। जयप्रकाश सिंह ने कहा कि उपभोक्ताओं के सहयोग से यह आंदोलन चलाया जा रहा है और जनता को किसी प्रकार की कठिनाई न हो, इसका पूरा ध्यान रखा जा रहा है। प्रदर्शनकारी अंकुर पाण्डेय ने कहा हम चाहते हैं कि सरकार आम जनता की आवाज सुने और इस निजीकरण की प्रक्रिया को तुरंत रोके।" सरकार बिजली विभाग को निजी हाथों में सौंपकर आम जनता पर आर्थिक बोझ डाल रही है। निजीकरण के कारण न केवल बिजली की दरें बढ़ेंगी, बल्कि कर्मचारियों की नौकरी भी असुरक्षित हो जाएगी। बिजली कर्मियों ने कहा कि इससे न केवल विभागीय कर्मचारियों को नुकसान होगा, बल्कि उपभोक्ताओं को भी भारी भरकम बिलों का सामना करना पड़ेगा. सभा की अध्यक्षता ई. मायाशंकर तिवारी व संचालन अंकुर पांडेय ने किया। सभा को ई. आई.पी. सिंह, नरेंद्र वर्मा, नीरज बिंद, वेद प्रकाश राय, रमाशंकर पाल, विजय सिंह, राघवेंद्र गोस्वामी, एस.के. सिंह समेत कई पदाधिकारियों ने संबोधित किया। स्थानीय निवासियों ने भी इस विरोध को समर्थन दिया। एक नागरिक ने बताया, "हमारे घर का बिल पहले ₹1500 आता था, अब ₹2000 से ऊपर चला गया है। अगर यही हाल रहा तो गरीब आदमी का गुजारा मुश्किल हो जाएगा।"
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