वाराणसी : ऊर्जा मंत्री और चेयरमैन को हटाने की मांग, बिजलीकर्मियों का प्रदर्शन जारी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 22 मई 2025

वाराणसी : ऊर्जा मंत्री और चेयरमैन को हटाने की मांग, बिजलीकर्मियों का प्रदर्शन जारी

  • निजीकरण और महंगी बिजली के खिलाफ संघर्ष समिति का विरोध तेज

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वाराणसी (सुरेश गांधी)। उत्तर प्रदेश में बिजलीकर्मियों का निजीकरण के खिलाफ आंदोलन लगातार दूसरे दिन भी जारी रहा। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले बनारस के बिजलीकर्मियों ने भिखारीपुर स्थित प्रबंध निदेशक कार्यालय पर जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के दौरान बिजली कर्मियों ने मांगों से संबंधित नारे लगाए और एक ज्ञापन भी प्रशासन को सौंपा। सभा को संबोधित करते हुए ई. आई.पी. सिंह ने कहा कि पावर कॉर्पोरेशन के चेयरमैन और ऊर्जा मंत्री सरकार व आम जनता को गुमराह कर रहे हैं। मार्च 2023 में हुए समझौते को न मानना और झूठे आंकड़े पेश करना सरकार की छवि खराब कर रहा है। उन्होंने प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री से दोनों अधिकारियों को बर्खास्त करने की मांग की। ई. मायाशंकर तिवारी ने कहा कि पावर कॉर्पोरेशन प्रबंधन निजीकरण की जिद पर अड़ा है और शांतिपूर्ण आंदोलन पर हड़ताल थोपना चाहता है। संघर्ष समिति ने निजीकरण की आड़ में बड़े घोटाले की साजिश का आरोप भी लगाया। संदीप कुमार ने कहा कि संघर्ष समिति ने अभी कोई हड़ताल की घोषणा नहीं की है, लेकिन चेयरमैन की चिट्ठियों के आधार पर जिला प्रशासन अनावश्यक तैयारी कर रहा है, जिससे औद्योगिक अशांति का माहौल बन रहा है। ई. एस.के. सिंह ने ग्रांट थॉर्टन कंपनी को ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट बनाए जाने पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि अमेरिका में दंडित इस कंपनी के बजाय संविदा कर्मियों की छंटनी की जा रही है।


राघवेंद्र गोस्वामी ने कहा कि निदेशक वित्त निधि नारंग को कार्यकाल समाप्त होने के बाद फिर विस्तार दिया गया है, ताकि वे ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट को क्लीन चिट दे सकें। नए निदेशक पुरुषोत्तम अग्रवाल ने इस पर आपत्ति जताई है। रमाशंकर पाल ने कहा कि यदि ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट की नियुक्ति और निजीकरण की प्रक्रिया वापस ले ली जाती है, तो कोई आंदोलन नहीं होगा। संघर्ष समिति ने आरोप लगाया कि एक लाख करोड़ की परिसंपत्तियां कुछ हजार करोड़ में बेची जा रही हैं और 42 जिलों की जमीन महज ₹1 की लीज पर निजी कंपनियों को दी जा रही है। जयप्रकाश सिंह ने कहा कि उपभोक्ताओं के सहयोग से यह आंदोलन चलाया जा रहा है और जनता को किसी प्रकार की कठिनाई न हो, इसका पूरा ध्यान रखा जा रहा है। प्रदर्शनकारी अंकुर पाण्डेय ने कहा हम चाहते हैं कि सरकार आम जनता की आवाज सुने और इस निजीकरण की प्रक्रिया को तुरंत रोके।" सरकार बिजली विभाग को निजी हाथों में सौंपकर आम जनता पर आर्थिक बोझ डाल रही है। निजीकरण के कारण न केवल बिजली की दरें बढ़ेंगी, बल्कि कर्मचारियों की नौकरी भी असुरक्षित हो जाएगी। बिजली कर्मियों ने कहा कि इससे न केवल विभागीय कर्मचारियों को नुकसान होगा, बल्कि उपभोक्ताओं को भी भारी भरकम बिलों का सामना करना पड़ेगा. सभा की अध्यक्षता ई. मायाशंकर तिवारी व संचालन अंकुर पांडेय ने किया। सभा को ई. आई.पी. सिंह, नरेंद्र वर्मा, नीरज बिंद, वेद प्रकाश राय, रमाशंकर पाल, विजय सिंह, राघवेंद्र गोस्वामी, एस.के. सिंह समेत कई पदाधिकारियों ने संबोधित किया। स्थानीय निवासियों ने भी इस विरोध को समर्थन दिया। एक नागरिक ने बताया, "हमारे घर का बिल पहले ₹1500 आता था, अब ₹2000 से ऊपर चला गया है। अगर यही हाल रहा तो गरीब आदमी का गुजारा मुश्किल हो जाएगा।"

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