- विरोध प्रदर्शन में बड़ी संख्या में महिला कर्मचारी भी शामिल रहीं, नारेबाजी में दिखा एकजुटता का संदेश
- संघर्ष समिति के केंद्रीय पदाधिकारी कर्मचारियों को संबोधित करते हुए, निजीकरण प्रस्तावों पर खुलकर बोले।
महत्त्वपूर्ण बिंदुः
कर्मचारियों ने प्रबंधन के तीनों निजीकरण विकल्पों को किया खारिज।
शांतिपूर्ण आंदोलन को “हड़ताल“ बताकर कर्मियों को धमकाने का आरोप।
संविदा कर्मियों की छंटनी और दमनात्मक पत्रों पर जताई नाराजगी।
मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की दरख्वास
अभियंता संघ के प्रदेश महासचिव ई. जितेन्द्र सिंह गुर्जर ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि “पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों में प्रबंधन की हठधर्मिता के चलते निजीकरण का जबरन प्रयास किया जा रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से निवेदन है कि वे इस पर तत्काल प्रभावी हस्तक्षेप करें।”
हड़ताल नहीं, शांतिपूर्ण ध्यानाकर्षण आंदोलन
कर्मचारियों ने साफ किया है कि उनका यह आंदोलन हड़ताल नहीं बल्कि शांतिपूर्ण ‘ध्यानाकर्षण आंदोलन’ है, जिससे जनता को किसी प्रकार की असुविधा न हो। फिर भी, प्रबंधन इस आंदोलन को हड़ताल बताकर कर्मियों को धमकाने, ट्रांसफर करने, संविदा कर्मियों की छंटनी करने जैसे दमनात्मक कदम उठा रहा है।
मुख्यमंत्री जी पर भरोसा है : सी.बी. उपाध्याय
राज्य विद्युत प्राविधिक कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष सी.बी. उपाध्याय ने कहा, “हमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी पर पूरा विश्वास है। उनके नेतृत्व में कर्मचारियों ने 2017 में 41 फीसदी एटीएंडसी हानियों को घटाकर 2024 में 16.5 फीसदी कर दिया है। इसके बावजूद प्रबंधन गलत आंकड़े पेश कर निजीकरण को बढ़ावा दे रहा है।”
संघर्ष समिति की चेतावनी
केंद्रीय पदाधिकारी महेंद्र राय ने कहा, “हम उपभोक्ताओं की सेवा में कटिबद्ध हैं, परंतु उत्पीड़नात्मक रवैया अगर जारी रहा तो इसके परिणाम के लिए केवल प्रबंधन जिम्मेदार होगा।” समिति ने दावा किया कि पावर कॉर्पोरेशन चेयरमैन लगातार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कर कर्मचारियों को धमकी दे रहे हैं और संविदा कर्मियों की बड़े पैमाने पर छंटनी की जा रही है।
तीन घंटे का विरोध प्रदर्शन जारी
जूनियर इंजीनियर संगठन के ई. दीपक गुप्ता ने बताया कि कर्मचारियों ने आज भी दोपहर 2 बजे से शाम 5 बजे तक तीन घंटे का विरोध जारी रखा। सभा की अध्यक्षता संतोष वर्मा और संचालन अंकुर पांडेय ने किया। सभा को ई. मायाशंकर तिवारी, महेंद्र राय, सी.बी. उपाध्याय, ई. प्रीति यादव, मोनिका केशरी, रमाशंकर पाल समेत अनेक वक्ताओं ने संबोधित किया।
क्या हैं वो तीन निजीकरण विकल्प, जिन्हें कर्मियों ने नकारा
1. फ्रेंचाइज़ी मॉडलः
निजी कंपनी को विद्युत वितरण का अधिकार, लेकिन स्वामित्व पावर कॉर्पोरेशन के पास।
2. पीपीपी (पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप)ः
संचालन में निजी क्षेत्र की भागीदारी, राजस्व वसूली का अधिकार भी।
3. पूर्ण निजीकरणः
निजी कंपनी को संचालन, रखरखाव और बिलिंग समेत पूरा नियंत्रण।
कर्मचारियों का आरोपः
इन विकल्पों में कर्मचारियों की नौकरी, सेवा शर्तें और उपभोक्ताओं के अधिकारों की कोई सुरक्षा नहीं है।
घटनाक्रम एक नजर में
20 मईः निजीकरण प्रस्तावों की जानकारी सार्वजनिक हुई।
21 मईः संघर्ष समिति का आह्वान, प्रदेशभर में ध्यानाकर्षण आंदोलन शुरू।
22-23 मईः लगातार तीसरे दिन तीन घंटे का शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन।
23 मईः बनारस में बड़ा प्रदर्शन, तीनों विकल्पों को अस्वीकार करने की घोषणा।
आगे की योजनाः संघर्ष समिति की अगली रणनीति जल्द घोषित होगी।

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