दिल्ली : वर्षों पुराना शौचालय दिनदहाड़े भंडारे की आड़ में गिरा दिया गया आखिर क्यों ? - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 7 मई 2025

दिल्ली : वर्षों पुराना शौचालय दिनदहाड़े भंडारे की आड़ में गिरा दिया गया आखिर क्यों ?

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नई दिल्ली (अशोक कुमार निर्भय)। दिल्ली का ऐतिहासिक इलाका पहाड़ गंज आज बिल्डर माफिया और भ्रष्ट सिस्टम की मिलीभगत से बर्बादी के कगार पर है। गली नंबर 8, चुना मंडी में हाल ही में एक वर्षों पुराना सुलभ शौचालय दिनदहाड़े गिरा दिया गया। इसे भंडारे के नाम पर टेंट लगाकर ढहा दिया गया, और निगम मूकदर्शक बना रहा। क्योंकि सब सेटिंग से हुआ है इसलिए निगम पार्षद मनीष चड्ढा जवाब देने की बजाये खुद प्रतिक्रिया मांग रहे पत्रकार को धमका रहा है कि " मेरे से पंगा मत लो,मुझसे मत उलझो' दिक्कत आपको होगी ? जाहिर है निगम पार्षद का सीधा हाथ है इस अवैध निर्माण अथवा शौचालय तुड़वाने में ताकि वहां माफिया का होटल बन सके। वरिष्ठ भाजपा नेता रोकी भारद्वाज ने आरोप लगाया है कि नगर निगम के कुछ अधिकारी और लंबे समय से एक ही जगह पर जमे बेलदार इस साजिश में शामिल हैं। सवाल उठ रहा है – आखिर इन्हीं बेलदारों का ट्रांसफर क्यों नहीं होता? क्या ये बिल्डर माफिया के साझेदार बन चुके हैं?


पहाड़ गंज की गलियों में अवैध निर्माण आम हो चुका है। वर्षों पुरानी इमारतों को निशाना बनाकर माफिया धमकी, दबाव और पैसे के ज़ोर पर कब्जा कर रहे हैं। लोगों को मजबूर किया जा रहा है कि वे अपना घर या दुकान छोड़ दें। फिर वही संपत्ति ऊंचे दामों में बेची जाती है। यह पूरी तरह से एक संगठित रियल एस्टेट सिंडिकेट बन चुका है, जिसमें आम जनता का कोई स्थान नहीं। न कोई निरीक्षण होता है, न कोई कार्रवाई। और अगर शिकायत की भी जाती है, तो उसे फाइलों में दफन कर दिया जाता है। जब सुलभ शौचालय को गिराया गया, तब न कोई अधिकारी मौके पर था और न ही कोई वैध अनुमति दिखी। प्रशासन और निगम की चुप्पी अब सवालों के घेरे में है – क्या यह चुप्पी रिश्वत का नतीजा है? पहाड़ गंज अब डर का पर्याय बनता जा रहा है। एक समय में यह पर्यटकों और व्यापारियों का प्रिय इलाका था, आज वहां धूल, डर और माफिया का साया है। निगम का रवैया देखकर ऐसा लगता है जैसे वह बिल्डर माफिया के आगे घुटने टेक चुका है। यह मामला केवल स्थानीय नहीं, बल्कि प्रशासनिक भ्रष्टाचार, कानून-व्यवस्था और जनहित का खुला उल्लंघन है। केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और नगर निगम – तीनों पर यह ज़िम्मेदारी है कि वे कार्रवाई करें। यदि अब भी कार्रवाई नहीं हुई, तो पहाड़ गंज को एक अपराध क्षेत्र बनने से कोई नहीं रोक सकता। जनता को अब जागना होगा, सवाल पूछने होंगे, और जवाब लेना होगा – क्योंकि अब चुप रहना भी एक अपराध है।

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