- माता सीता भक्ति का स्वरूप है, इसलिए भगवान श्रीराम ने विवाह किया-संत उद्ववदास महाराज

सीहोर। शहर के रुकमणी गार्डन में चित्रांश समाज और अखिल भारतीय कायस्थ महासभा सीहोर के तत्वाधान में जारी सात दिवसीय संगीतमय श्रीराम कथा के चौथे दिन संत उद्ववदास ने अपने भजनों और प्रसंगों के द्वारा भगवान परशुराम के जनकपुरी आगमन और सियाराम विवाह की कथा का वर्णन किया। कथा स्थल पर श्रद्धालुओं की भीड़ नजर आई। श्रीराम के भजनों पर झूमते भक्तों के जयकारों से पूरा पंडाल गूंज उठा। उन्होंने कहाकि माता सीता भक्ति का स्वरूप है और भगवान ने उनसे विवाह से पहले धनुष बाण तोड़कर अहंकार को नष्ट किया। संत उद्ववदास महाराज ने वर्णन किया कि किस तरह अयोध्या से गाजे बाजे के साथ मिथिला आई थी मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की बारात। हर तरफ भक्ति के रंग बिखर गए। मांडवी संग भरत, उर्मिला संग लक्ष्मण और श्रुतिकीर्ति संग शत्रघ्न का विवाह सम्पन्न हुआ। सीता जी की विदाई हुई हर श्रद्धालु की आंखों से अश्रुधारा बहने लगी। मानों वो अपनी बेटी की विदाई की कथा सुन रहे हों। जानकी जी की विदाई पर मिथिला वासियों के साथ पशु-पक्षी भी विलाप करने लगे। श्रीराम कथा के दौरान संत उद्वव महाराज ने भक्तों को क्रोध पर नियंत्रण रखने की सीख दी। उदाहरण देते हुए बताया कि श्रीराम ने जब शिवजी का धनुष तोड़ा। तब भगवान परशुराम अत्यंत क्रोधित होकर मिथिला नगरी पहुंचे। लक्ष्मण के साथ हुए परशुराम संवाद का वर्णन करते हुए कहा कि वाणी हमेशा श्रेष्ठ और मधुर होनी चाहिए। जो काम तलवार नहीं करती, वह वाणी कर देती है। इसलिए वाणी और क्रोध पर नियंत्रण रहना बेहद जरूरी है।
भगवान का विराट रूप देखकर कौशल्या माता प्रफुल्लित
उन्होंने कहाकि एक बार माता कौशल्या ने श्रीराम को स्नान और श्रृंगार करा कर झूला पर सुला दिया और स्वयं स्नान कर अपने कुलदेव की पूजा कर नैवेद्य भोग लगाकर पाक गृह गई। जब वह पुन लौट कर पूजा स्थल पर आई तो उन्होंने देखा कि देवता को चढ़ाए गए नैवेद्य शिशुरूपी भगवान राम भोजन कर रहे हैं। जब उन्होंने झूला पर जाकर देखा तो वहां भी उन्होंने श्री राम को झूले पर सोते पाया। इस तरह पूजा स्थल और झूला के पास उन्होंने कई चक्कर लगाया और दोनों जगह पर उन्होंने श्रीराम को पाया। इस दृश्य को देखकर कौशल्या डर गई और कांपने लगी। माता की अवस्था देख श्री राम ने माता को अपना अद्भुत रूप दिखाया। उन्होंने दिखलाया कि उनके एक-एक रोम में करोड़ों ब्रह्मांड लगे हुए हैं। भगवान का विराट रूप देखकर कौशल्या माता प्रफुल्लित हो गई और आंखें मूंदकर भगवान के चरणों पर गिर पड़ी। भगवान श्रीराम ने माता को बहुत समझाया और कहा कि हे माता यह बात आप किसी से ना कहेंगी।
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