हर दूसरे गली-मोहल्ले से जासूस निकल रहे हैं। यह केवल एक अफवाह नहीं, बल्कि कई बार सामने आए मामलों की सच्चाई है। विशेषकर जब ये जासूस विदेशी ताक़तों से जुड़े हों, तो यह केवल कानून-व्यवस्था की विफलता नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक गंभीर चेतावनी बन जाती है। भारत में यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा के बाद लगातार ऐसे लोगों की गिरफ्तारी हो रही है, जिनपर पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप हैं. यह बात भी सामने आई है कि इन जासूसों को 22 अप्रैल के पहलगाम हमले के बाएक्टिव किया गया था और ये पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के संपर्क में थे. इनमें से कुछ को पैसों का लालच देकर फंसाया गया तो कुछ नाम और शोहरत पाने के लिए और ये देश से गद्दारी करने के लिए तैयार हो गए. मतलब साफ है कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई पैसे का लालच देकर और हनीट्रैप के जरिए जासूसी के लिए भारत में अपने मोहरे तैयार करती है. और ड्रोन से हथियार गिराना, जवानों को हनीट्रैप में फँसाना, डेटा चुराना ये सब अब रोज़मर्रा की हकीकत बन चुकी हैं। ऐसे में बड़ा सवाल तो यही है हम कब तक आँख मूंदकर बैठेंगे? क्या अब भी सुरक्षा सिर्फ सेना और पुलिस की जिम्मेदारी है? ये देश धर्मशाला नहीं, 140 करोड़ देशवासियों का स्वाभिमान है और इससे गद्दारी करने वालों को सबक सिखाना ही होगा। यह तभी संभव हो पायेगा जब हम सजग रहे, सतर्क रहे और राष्ट्र की रक्षा सिर्फ सीमा पर ही नहीं, बल्कि हर गली में करने की मंशा जागृत होगी
खास यह है कि ज्योति मल्होत्रा जासूसी कांड के बाद हरियाणा के नूंह से गिरफ्तार एक आरोपी ने अपने कुबूलनामे में चौंकाने वाले खुलासे किए हैं. उसने बताया कि वह पाकिस्तान उच्चायोग के कर्मचारी आसिफ बलोच को देश की सैन्य गतिविधियां और खुफिया सूचनाएं भेजता था. उसने बताया कि बदले में आसिफ समय-समय पर उसे पैसे देता था. आरोपी की पहचान हरियाणा के मेवात जिले के ताओरू तहसील के कंगरका गांव निवासी हनीफ के बेटे मोहम्मद तारिफ के रूप में हुई है। उसके गिरफ्तार होते ही तो जासूसों की पूरी खेप ही समाने आ रही है। आरोपी अरमान को दिल्ली में पाकिस्तान उच्चायोग के एक कर्मचारी के साथ भारतीय सेना और अन्य सैन्य गतिविधियों के बारे में जानकारी साझा करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। यह कथित तौर पर व्हाट्सएप और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग करके लंबे समय से संवेदनशील जानकारी साझा कर रहा था। उसके मोबाइल फोन की तलाशी के दौरान, उसके पास से पाकिस्तानी फोन नंबरों के साथ साझा की गई बातचीत, तस्वीरें और वीडियो मिले। आंकड़ों के मुताबिक ऑपरेशन सिंदूर की शुरूआत के बाद से पाकिस्तान के लिए जासूसी के आरोप में कुल ग्यारह लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनके नाम कुछ इस तरह हैं- ज्योति मल्होत्रा (हरियाणा), अरमान (नूह, हरियाणा), तारीफ (नूह, हरियाणा), देवेंद्र सिंह ढिल्लों (कैथल, हरियाणा), मोहम्मद मुर्तजा अली (जालंधर, पंजाब), गजाला (पंजाब), यासीन मोहम्मद (पंजाब), सुखप्रीत सिंह (गुरदासपुर, पंजाब), करणबीर सिंह (गुरदासपुर, पंजाब), शहजाद (मुरादाबाद, यूपी), नोमान इलाही (कैराना, यूपी) आदि है। इस तरह अभी और जासूसों को खंगाला जा रहा है। इन जासूसों में एक ट्रैवल व्लॉगर से लेकर सुरक्षा गार्ड और ऐप डेवलपर तक शामिल हैं, जो सोशल मीडिया, हनीट्रैप और पैसे के लालच में फंसकर देश की संवेदनशील जानकारी पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई को लीक कर रहे थे। इस कार्रवाई ने न केवल जासूसी के नए-नए तरीकों को उजागर किया, बल्कि यह भी दिखाया कि कैसे सोशल मीडिया जैसे प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल खतरनाक मंसूबों के लिए हो रहा है।
सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, यह जासूसी नेटवर्क विशेष रूप से 20-30 आयु वर्ग के युवाओं को निशाना बनाता था, जो सोशल मीडिया पर सक्रिय थे। इनमें से कई लोग अनजाने में जाल में फंस गए, जबकि कुछ को पैसे और अन्य प्रलोभनों ने लालच में डाला। उदाहरण के लिए, ज्योति मल्होत्रा को कथित तौर पर एक फर्जी सोशल मीडिया प्रोफाइल के जरिए हनीट्रैप में फंसाया गया, जिसके बाद वह संवेदनशील जानकारी साझा करने लगीं। इसी तरह, पंजाब के मलेरकोटला से गिरफ्तार छह लोगों का समूह स्थानीय स्तर पर छोटे-मोटे काम करता था, लेकिन उन्हें सीमा पार से मिलने वाले निर्देशों के आधार पर सैन्य ठिकानों की तस्वीरें और जानकारी भेजने के लिए प्रेरित किया गया। मतलब साफ है भारत जैसे विशाल और विविधता से भरे देश में यह ज़रूरी है कि सुरक्षा तंत्र इतना सक्षम हो कि किसी भी संदिग्ध गतिविधि को समय रहते पहचाने और उस पर कड़ी कार्यवाही करे। परंतु दुख की बात है कि कुछ मौकों पर, हमारी उदारता और सहिष्णुता का दुरुपयोग किया गया है। यह देश किसी धर्मशाला की तरह नहीं चल सकता जहाँ कोई भी आकर ठहर जाए और हमारे संसाधनों व आत्मीयता का गलत फायदा उठाए। देश की सीमाएँ हों या आंतरिक सुरक्षा, हर स्तर पर सतर्कता और जागरूकता ज़रूरी है। प्रशासनिक तंत्र को चाहिए कि जाँच-पड़ताल को और मजबूत बनाए, साथ ही आम नागरिकों को भी सतर्क रहना होगा। सिर्फ सरकार पर छोड़ देने से सुरक्षा नहीं आती; देश के हर नागरिक की जिम्मेदारी है कि अगर कहीं कोई संदिग्ध गतिविधि दिखे, तो उसकी सूचना तुरंत संबंधित विभागों तक पहुँचे। यहां यह कहना उचित होगा कि सहिष्णुता और मानवता अपनी जगह है, परंतु जब बात राष्ट्रीय सुरक्षा की हो, तो कोई समझौता नहीं होना चाहिए। क्योंकि यह देश धर्मशाला नहीं, यह एक संप्रभु राष्ट्र है जिसकी रक्षा हम सबकी पहली जिम्मेदारी है।
ड्रोन और डिजिटल खतरे
भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा पर, विशेष रूप से पंजाब सेक्टर में ड्रोन के माध्यम से हथियारों, नकली मुद्रा और नशीले पदार्थों की गिरावट एक और चुनौती बनकर उभरी है। 2022 में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने 267 ड्रोन मूवमेंट रिपोर्ट कीं। यह 2021 की तुलना में 150 फीसदी से अधिक की वृद्धि थी। इसका सीधा संकेत है कि दुश्मन अब आधुनिक तकनीक और साइबर माध्यमों से हमला कर रहा है।
जासूसी के बदले रूप
आज जासूसी का दायरा केवल दस्तावेज़ों की चोरी तक सीमित नहीं है। सोशल मीडिया पर फर्जी प्रोफाइल बनाकर जवानों को हनीट्रैप में फंसाना, साइबर अटैक के ज़रिए सरकारी डेटा तक पहुंच बनाना, और स्लीपर सेल के माध्यम से भीतर से हमला करना, ये सब आधुनिक जासूसी के नए औज़ार बन चुके हैं।
सरकारी सतर्कता और नागरिक जिम्मेदारी
भारत सरकार ने इन खतरों से निपटने के लिए तकनीकी निगरानी, एंटी-ड्रोन तकनीक, इंटेलिजेंस नेटवर्क और साइबर सेल को मज़बूत किया है। लेकिन सुरक्षा केवल प्रशासन की ज़िम्मेदारी नहीं, इसमें समाज की भागीदारी भी उतनी ही अनिवार्य है। हर नागरिक की यह नैतिक ज़िम्मेदारी बनती है कि वह अपने आस-पास हो रही संदिग्ध गतिविधियों पर सतर्क दृष्टि रखे और समय रहते संबंधित अधिकारियों को सूचित करे। यह देश धर्मशाला नहीं है, जहाँ कोई भी आए, ठहरे और बिना जाँच के अंदरूनी तंत्र में घुस जाए। यह एक गर्वशाली राष्ट्र है, जिसकी सीमाएं, संस्कृति और संप्रभुता की रक्षा प्रत्येक नागरिक का धर्म है। सहिष्णुता और मानवता तब तक ही सार्थक हैं जब तक वे हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा के मूल आधारों को कमजोर न करें। आज आवश्यकता है सजगता, सतर्कता और सामूहिक चेतना की कृ ताकि कोई भी ताक़त हमारे बीच रहकर हमारी ही जड़ों को कमजोर न कर सके।
नागरिकों की भूमिका
एक राष्ट्र की सुरक्षा केवल फौज या खुफिया एजेंसियों का काम नहीं होती। हर नागरिक की जिम्मेदारी है कि यदि उसे अपने आस-पास कोई संदिग्ध गतिविधि दिखाई दे, जैसे कोई व्यक्ति लगातार फोन पर विदेशी भाषा में बातें कर रहा हो, सैन्य इलाकों की फोटो ले रहा हो या बिना ठोस कारण लंबे समय तक किराए पर रह रहा हो तो इसकी सूचना स्थानीय पुलिस या खुफिया एजेंसियों को दी जाए। भारत एक उदार राष्ट्र है, लेकिन उदारता का अर्थ यह नहीं कि हम अपनी सुरक्षा से समझौता करें। हर देश की तरह भारत को भी अपने नागरिकों और सीमाओं की रक्षा का पूरा अधिकार है। आज समय आ गया है कि हम भावनाओं से नहीं, यथार्थ से सोचें। क्योंकि अगर हर गली से जासूस निकलता रहेगा, तो केवल हमारी सीमाएं ही नहीं, हमारी पहचान भी खतरे में पड़ जाएगी। मतलब साफ है यह देश धर्मशाला नहीं है। यह 140 करोड़ भारतीयों का गर्व है. और इसकी रक्षा हर हाल में सर्वोपरि है।
सुरेश गांधी
वरिष्ठ पत्रकार
वाराणसी



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