उन्होंने कहा कि सरकार ने उन्हें सभी "साधन व ताकत प्रदान की है, जो आधुनिक युद्ध जीतने के लिए आवश्यक हैं।" सामरिक मामलों के विशेषज्ञ ने कहा कि इसके अलावा, तीनों सेवाओं की एकजुटता व समन्वय "बिल्कुल स्पष्ट" था। उन्होंने रक्षा, विदेश और गृह मंत्रालयों के सामंजस्य को "शानदार" बताया। उन्होंने कहा, "आप सभी ताकतों के तालमेल के बिना आधुनिक युद्ध नहीं जीत सकते।" उन्होंने यह भी कहा कि सात मई को ऑपरेशन सिंदूर से पहले की कार्रवाइयों ने "पाकिस्तान को पूरी तरह से अलग-थलग कर दिया था और जब पूरी दुनिया भारत के पीछे खड़ी थी, तो देश सशस्त्र बलों के पीछे खड़ा था।" मेजर जनरल सहगल (सेवानिवृत्त) ने कहा, "भारतीय सशस्त्र बल भारत की संप्रभुता व अखंडता के संरक्षक देवदूत के रूप में उभरे हैं।" उन्होंने कहा, "मुझे यकीन है कि पाकिस्तान फिर से लड़ने की हिम्मत नहीं करेगा। यह पाकिस्तान के हित में नहीं है। उसका सैन्य बुनियादी ढांचा खत्म हो चुका है।" मुंबई से पीटीआई वीडियो से बात करते हुए कर्नल अनिल भट (सेवानिवृत्त) ने कहा कि हो सकता है कि दोनों पक्षों के बीच इस विषय पर बात हुई हो कि "पाकिस्तान आतंकवादी समूहों का समर्थन नहीं करेगा, और यह सुनिश्चित करेगा कि उन्हें फिर से भारत में न भेजा जाए।”
उन्होंने कहा, "पाकिस्तान के इतिहास को देखते हुए यह देखना बाकी है कि क्या इसका (समझौते का) पालन करेगा और यदि करेगा तो कितनी अच्छी तरह से करेगा।” भट ने कहा, "हमें उम्मीद है कि पाकिस्तान ने कुछ सबक सीखे होंगे और वह कोई नया अध्याय नहीं खोलेगा।" ब्रिगेडियर विजय सागर धेमन (सेवानिवृत्त) ने जम्मू में कहा कि हो सकता है कि अमेरिका ने भारत के साथ समझौते को लेकर पाकिस्तान पर दबाव डाला हो। उन्होंने दावा किया कि अमेरिका नहीं चाहता कि भारत और पाकिस्तान के बीच पूरी तरह युद्ध छिड़े, क्योंकि उसकी नजर ‘क्वाड’ के जरिए हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा स्थिति पर है। उन्होंने कहा कि यह सहमति केवल सैन्य कार्रवाई रोकने के लिए है, क्योंकि आर्थिक, जल और साइबर क्षेत्रों में प्रतिबंध बरकरार हैं। वर्ष 1999 के करगिल संघर्ष में अहम भूमिका निभाने वाले ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर (सेवानिवृत्त) ने कहा कि यह "बहुत खुशी" की बात है कि दोनों पक्षों के बीच सैन्य कार्रवाई रोकने के लिए सहमति बन गई है। उन्होंने कहा, "यह प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व, हमारे सशस्त्र बलों, हमारी कूटनीति के साथ-साथ आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करने के हमारे रुख की जीत है।" लेकिन यह विशेषज्ञ कुछ और कहते हैं,,तस्वीर में ब्रह्म चेलानी,,,भारत-पाकिस्तान के बीच अचानक हुए सैन्य कार्रवाई समझौते को लेकर जियो पॉलिटिकल एक्सपर्ट ब्रह्मा चेलानी ने निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि ‘भारत ने जीत के मुंह से हार छीन ली है।
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