दिल्ली : एमसीडी करोलबाग जोन की नाक के नीचे अवैध होटल खड़ा - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 11 मई 2025

दिल्ली : एमसीडी करोलबाग जोन की नाक के नीचे अवैध होटल खड़ा

  • हाई टेंशन तारों के साए में लटक रही इंसानी जिंदगियां

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नई दिल्ली। व्यस्त बिजनेस हब कहे जाने पहाड़गंज स्थित प्रॉपर्टी संख्या 8421, आर्य नगर में एक बड़े घोटाले और लापरवाही और अवैध निर्माण का मामला सामने आया है। बैंक द्वारा आंशिक रूप से सील की गई इस संपत्ति पर एक बिल्डर ने मात्र 50 गज की जगह में नियमों की धज्जियाँ उड़ाते हुए अवैध निर्माण कर 'होटल ब्लू बेल्स' के नाम से एक बेड एंड ब्रेकफास्ट होटल खड़ा कर दिया है। पुराने जर्जर भवन में जहां भू-तल पर दुकानें बनाई गई हैं, वहीं भीतर गली की ओर केवल 4 फुट चौड़ा संकरा जीना ऊपर की चार मंजिला इमारत तक पहुंचने का रास्ता है। इस रास्ते की स्थिति ऐसी है कि किसी भी आपात स्थिति अथवा जैसे आग लगने या भूकंप आदि में मुसाफिरों का बाहर निकलना लगभग असंभव हो जाएगा, जिससे दर्जनों जानें खतरे में पड़ सकती हैं। इस इमारत की एक और खतरनाक विशेषता यह है कि यह हाई टेंशन बिजली के बीएसईएस खंभे से सटी हुई है। इस खंभे को लेकर पहले भी स्थानीय लोगों द्वारा शिकायतें की जा चुकी हैं। भू-माफिया के रूप में पहचाने जाने वाले बलविंदर कपूर के विरुद्ध थाना नबी करीम में शिकायत दर्ज कर एफआईआर की मांग की गई थी। शुरुआत में इस अवैध होटल को बिजली कनेक्शन देने से बीएसईएस ने इनकार किया था, लेकिन बाद में कथित मिलीभगत और मोटी रकम के लेन-देन के बाद होटल को बिजली आपूर्ति दे दी गई। यह पूरा मामला बीएसईएस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता है, यहां पहले नोटिस, फिर थाने में एफआईआर की मांग और अंत में अवैध होटल को बिजली देना, यह एक स्पष्ट संकेत है कि कैसे भ्रष्टाचार के जरिए नियमों को ठेंगा दिखाया जा रहा है।


यदि 'बेड एंड ब्रेकफास्ट' योजना की बात करें तो पर्यटन मंत्रालय से इस होटल को केवल 6 कमरों की स्वीकृति मिली है, जबकि मौके पर 9 कमरे बनाए गए हैं। यह न सिर्फ योजना के उल्लंघन का मामला है, बल्कि टैक्स और संरचनात्मक सुरक्षा से जुड़े नियमों की भी अवहेलना है। इस निर्माण की शुरुआत से ही इसकी शिकायतें एमसीडी, एसडीएम और पब्लिक ग्रीवेंस कमीशन को दी जाती रही हैं, लेकिन किसी भी सम्बंधित विभाग ने संज्ञान नहीं लिया। कारण साफ है कि अवैध निर्माण पर सभी सम्मलित सभी विभागों के भ्रष्ट अधिकारियों ने आंख मूंदकर मोटी रकम वसूल कर ली। और अवैध निर्माण,खम्बा लेंटर के अंदर लेने,गलत दस्तावजों से सील बिल्डिंग में मीटर का कनेक्शन देने आदि गंभीर अपराध होने पर भी कार्रवाई टाल दी गई। गौर करने वाली बात यह भी है कि यह पूरी इमारत एमपीएल (मैसिव पब्लिक लैंड) पर बनाई गई है, और छज्जे तक सड़क पर निकले हुए हैं। हालांकि अब पब्लिक ग्रीवेंस कमीशन ने इस मामले को गंभीर मानते हुए एमसीडी कमिश्नर को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वह अवैध निर्माण पर कानूनी कार्यवाही सुनिश्चित करें। सवाल यह है कि जब निर्माण हो रहा था, तब प्रशासन सोया क्यों था? क्या अब भी प्रशासन प्रभावशाली भू-माफिया के खिलाफ कार्रवाई करेगा या यह मामला भी फाइलों में दबा रहेगा? जनता को जवाब चाहिए, क्योंकि यह मामला केवल एक होटल का नहीं, बल्कि नागरिकों की सुरक्षा और सरकारी तंत्र की जवाबदेही का है।

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