- छात्रों में दिखा वैज्ञानिक जागरूकता और सतत आजीविका के प्रति उत्साह
डॉ. अभिषेक कुमार, वैज्ञानिक एवं परियोजना के प्रधान अन्वेषक, ने छात्रों को लाख कीटों के संरक्षण, जैव विविधता और सतत उपयोग पर एक प्रभावशाली व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि लाख कीटों से प्राप्त प्राकृतिक रेज़िन का उपयोग औषधि, सौंदर्य प्रसाधन, इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे अनेक क्षेत्रों में होता है। लाख पालन विशिष्ट वृक्षों पर लाख कीटों के पालन की पारंपरिक विधा है, जो ग्रामीणों की आजीविका और उद्योगों को प्राकृतिक रेज़िन प्रदान कर पारिस्थितिकीय सेवाएँ भी देती है। डॉ. शिवानी, प्रधान वैज्ञानिक, ने लाख कीटों के संरक्षण को पर्यावरणीय स्थिरता से जोड़ते हुए कहा कि यह प्रकृति और मानव जीवन दोनों के लिए लाभकारी है। डॉ. वेद प्रकाश, वैज्ञानिक, ने लाख कीटों से जुड़ी सामाजिक-आर्थिक संभावनाओं पर प्रकाश डालते साथ लाख उद्योग के बारे में बताया। कार्यक्रम के समन्वय में श्री उमेश कुमार मिश्र, हिंदी अनुवादक की महत्वपूर्ण भूमिका रही। कार्यक्रम का समापन एक संवाद-सत्र के साथ हुआ, जिसमें छात्रों और वैज्ञानिकों के बीच व्यावहारिक अनुभवों और नवाचारों पर संवाद हुआ। छात्रों ने कार्यक्रम को बेहद उपयोगी और प्रेरणादायक बताया तथा संकल्प लिया कि वे लाख संरक्षण और सतत विकास की इस पहल को अपने समुदायों तक पहुंचाएंगे। इस अवसर पर भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पटना हब के 40 स्नातक छात्रों ने सक्रिय सहभागिता की। छात्रों में लाख पालन और इससे जुड़ी वैज्ञानिक जानकारी को लेकर उत्साह देखने को मिला। यह आयोजन न केवल छात्रों के लिए एक ज्ञानवर्धक अनुभव बना, बल्कि लाख कीटों के संरक्षण और इसके माध्यम से आत्मनिर्भर ग्रामीण भारत की कल्पना को भी सशक्त आधार प्रदान किया।

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