यह पूछे जाने पर कि पाकिस्तान में कितने और आतंकवादी ठिकाने बचे हैं, जिस पर सवाल दागते हुए एक अन्य सूत्र ने पूछा, पाकिस्तान कितना बड़ा है? सूत्रों ने इस बात पर भी जोर दिया कि टकराव कभी भी परमाणु संघर्ष के चरण तक नहीं पहुंचा, जिसकी पाकिस्तान की ओर से धमकी दी जाती रही है, जिसकी सेना भारत की तुलना में बहुत छोटी है।उन्होंने हालांकि बताया कि परमाणु प्रतिरोध ने इसे कुछ हद तक समानता प्रदान की है। एक वरिष्ठ सूत्र ने कहा, “हमने उनके परमाणु प्रतिरोध की धमकी को खारिज कर दिया है। हम परमाणु खतरे को गंभीरता से लेते हैं, लेकिन यह पाकिस्तान को हमारे देश में आकर आतंकवाद करने के लिए संरक्षण के रूप में काम नहीं कर सकता।” सूत्र ने कहा, “नयी बात यह है कि नियंत्रण रेखा आपकी रक्षा नहीं करेगी, अंतरराष्ट्रीय सीमा आपकी रक्षा नहीं करेगी, परमाणु धमकी आपकी रक्षा नहीं करेगी।” सूत्रों के मुताबिक, “संदेश दे दिया गया है कि आप (आतंकवादी) पाकिस्तान में कहीं भी हों, हम आपको मारेंगे। इस बार हमने सिर्फ आतंकियों पर नहीं उनके आकाओं पर भी हमला किया।” उन्होंने बताया कि भारतीय कार्रवाई ने पाकिस्तान में घुसकर आतंकवादियों को मारने के भारत के नए रुख को प्रदर्शित किया है। एक सूत्र ने कहा, “इस कार्रवाई ने ‘घर में घुस के मारेंगे’ के हमारे दृष्टिकोण को दर्शाया है।” भारत ने छह मई की देर रात आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए, जिसके बाद पाकिस्तान ने आठ, नौ और 10 मई को भारतीय सैन्य ठिकानों पर हमला करने का प्रयास किया। पाकिस्तान की कार्रवाई का भारतीय पक्ष ने कड़ा जवाब दिया और कई प्रमुख पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठानों को भारी नुकसान पहुंचाया, जिसमें हवाई अड्डे, वायु रक्षा प्रणाली, कमान व नियंत्रण केंद्र और रडार स्थल शामिल हैं।
विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने शनिवार शाम भारत और पाकिस्तान के बीच तत्काल प्रभाव से जमीन, हवा और समुद्र में सभी तरह की गोलीबारी और सैन्य कार्रवाइयों को रोकने के लिए सहमति बनने की घोषणा की थी। सूत्र ने कहा, “भारत द्वारा उठाए गए कदमों का उद्देश्य पाकिस्तान के साथ संबंधों में एक नयी सामान्य स्थिति बनाना और स्थापित करना है।” एक सूत्र ने कहा, “पाकिस्तान और दुनिया को इस नयी सामान्य स्थिति के लिए तैयार होना होगा, क्योंकि भारत को बहुत कुछ सहना पड़ा है।” सूत्रों के मुताबिक, भारत कश्मीर मुद्दे में मध्यस्थता को कभी स्वीकार नहीं करेगा और चर्चा का एकमात्र मुद्दा यह है कि पाकिस्तान अपने अवैध कब्जे वाले क्षेत्र को वापस करे। सूत्रों ने स्पष्ट किया कि जब तक पाकिस्तान द्वारा भारत के खिलाफ प्रायोजित आतंकवाद जारी रहेगा, सिंधु जल संधि स्थगित रहेगी। सूत्र ने कहा, “आतंकवाद की बहुत भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। सिंधु जल संधि सीमा पार आतंकवाद से जुड़ी है और जब तक पाकिस्तान से आतंकवाद जारी रहेगा, तब तक इसे स्थगित रखा जाएगा।” सूत्रों के मुताबिक, जब पाकिस्तान ने उधमपुर पर हमला करने की कोशिश की, तब जवाब वही था जो प्रधानमंत्री ने वादा किया था और आठ पाकिस्तानी ‘एयरबेस’ को नष्ट कर दिया गया।
उन्होंने बताया कि पाकिस्तान के ‘एयरबेस’ पर भारत द्वारा हमला किए जाने के तुरंत बाद पड़ोसी देश ने अपना सुर बदल लिया। अगली सुबह अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने विदेश मंत्री एस जयशंकर को फोन करके कहा कि पाकिस्तान को समझ आ गया है। ससस सूत्रों ने बताया कि छह मई को देर रात आतंकी ठिकानों पर हमले के बाद भारत का रुख यह था कि अगर पाकिस्तान गोलीबारी करता है तो भारत और अधिक मजबूती से जवाब देगा। ससभारत ने पहलगाम हमले के बाद नयी दिल्ली से संपर्क करने वाले देशों से कहा था कि वह पाकिस्तान के इलाकों में आतंकी ठिकानों पर हमला करेगा। सूत्र ने बताया कि संघर्ष के चरम पर प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस से कहा था कि अगर पाकिस्तान कुछ भी करता है, तो हमारी प्रतिक्रिया बहुत कड़ी होगी। सहइस बीच, सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य कार्रवाई रोकने के लिए बनी सहमति के किसी भी उल्लंघन की सूरत में सैन्य अधिकारियों को जवाबी कार्रवाई करने की पूरी छूट प्रदान की है। सेना ने कहा, “10-11 मई की दरमियानी रात को संघर्षविराम और हवाई क्षेत्र के उल्लंघन के मद्देनजर सेना प्रमुख ने पश्चिमी सीमाओं के सैन्य कमांडरों के साथ सुरक्षा स्थिति का जायजा लिया।” इसने कहा कि सेना प्रमुख ने “10 मई को दोनों देशों के सैन्य अभियान महानिदेशकों (डीजीएमओ) के बीच बातचीत में बनी सहमति के किसी भी उल्लंघन की सूरत में सैन्य अधिकारियों को सशस्त्र जवाबी कार्रवाई के लिए पूरी छूट प्रदान की है।”

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें