- कांग्रेस ने सैन्य टकराव रोकने के संबंध में अमेरिका द्वारा भारत और पाकिस्तान की ओर से घोषणा किए जाने के बाद रविवार को सरकार से जवाब मांगा कि क्या उसने कश्मीर पर तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार कर ली है?
आधिकारिक सूत्रों ने रविवार को कहा कि भारत कश्मीर मुद्दे पर कभी भी मध्यस्थता स्वीकार नहीं करेगा और इस पर चर्चा का एकमात्र मुद्दा यह है कि पाकिस्तान अपने अवैध कब्जे वाले क्षेत्र को वापस करे। पायलट ने कहा कि पीओके भारत का हिस्सा है और देश ने 1994 में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) को वापस लेने का संकल्प लिया था। उन्होंने कहा, ‘‘क्या उस रुख में कोई बदलाव आया है? क्या शर्तें हैं, क्या हालात हैं, क्या मुद्दे हैं जिन पर वे बात करेंगे और तीसरा देश कौन है जो भारत को निर्देश देगा कि हमें कहां और कब, कैसे बैठक करनी चाहिए। यह ऐसा सवाल है जिसका जवाब दिया जाना चाहिए।’’ विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने शनिवार को घोषणा की कि भारत और पाकिस्तान भूमि, वायु और समुद्र में सभी प्रकार की गोलाबारी और सैन्य कार्रवाइयों को तत्काल प्रभाव से रोकने पर सहमत हो गए हैं। पायलट ने पूछा, ‘‘किस शर्त पर संघर्ष विराम की घोषणा की गई है और इसकी क्या गारंटी है कि ऐसी घटनाएं दोबारा नहीं होंगी, क्योंकि कल की घटनाओं (उल्लंघन) के बाद कोई विश्वसनीयता नहीं बची है। हम उन पर कैसे विश्वास कर सकते हैं और इसकी क्या गारंटी है कि ऐसी घटनाएं दोबारा नहीं होंगी?’’ कांग्रेस नेता ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में जो लिखा है, उस पर भी ध्यान देना चाहिए, जहां उन्होंने कश्मीर पर बयान दिया है। उन्होंने कहा कि इस पर सरकार को अपना पक्ष स्पष्ट करना चाहिए। पायलट ने कहा, ‘‘कश्मीर एक द्विपक्षीय मुद्दा है और मुझे लगता है कि इसका अंतरराष्ट्रीयकरण करने का प्रयास उचित नहीं है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘एक विशेष सत्र बुलाया जाना चाहिए और 1994 के प्रस्ताव को फिर से अपनाया जाना चाहिए, तथा यह स्पष्ट किया जाना चाहिए कि किसी तीसरे पक्ष की भागीदारी स्वीकार नहीं की जाएगी।’’
पायलट ने कहा, ‘‘यह स्पष्ट रूप से कहा जाना चाहिए कि किसी तीसरे पक्ष की भागीदारी स्वीकार नहीं की जाएगी। यह एक द्विपक्षीय मुद्दा है और यह भारत और पाकिस्तान का मुद्दा है, और अमेरिका सहित किसी भी देश को द्विपक्षीय मुद्दे में हस्तक्षेप करने की गुंजाइश नहीं होनी चाहिए।’’ उन्होंने जोर दिया कि भारत की घोषित विदेश नीति बहुत स्पष्ट है जहां मध्यस्थता की कोई गुंजाइश नहीं है। पायलट ने कहा कि पहलगाम हमले के बाद भारत सरकार को सभी दलों और लोगों से अभूतपूर्व समर्थन मिला। उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय सशस्त्र बलों की वीरता, बहादुरी और पेशेवराना रवैया अद्वितीय है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं सरकार से तत्काल एक सर्वदलीय बैठक बुलाने का आग्रह करता हूं। हम सभी को अपने सैनिकों और सशस्त्र बलों की कार्रवाई पर गर्व है, जिन्होंने पाकिस्तान को सबक सिखाया है।’’ कांग्रेस नेता ने कहा कि सोशल मीडिया पर अमेरिका की तरफ से की गई घोषणाओं के बाद कई सवाल उठे हैं। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने दो दिन पहले कहा था कि ‘‘इससे (दोनों देशों के सैन्य टकराव से) हमारा कोई लेना-देना नहीं है’’ लेकिन उसके बाद अमेरिकी विदेश मंत्री, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति ने ‘‘संघर्ष विराम’’ की घोषणा की और बाद में भारत और पाकिस्तान ने भी सैन्य कार्रवाई समाप्त करने की घोषणा की। उन्होंने अमेरिकी बयान में कश्मीर के उल्लेख और वार्ता ‘तटस्थ स्थल’ पर होने संबंधी विदेश मंत्री की टिप्पणी का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘क्या सरकार ने इस मध्यस्थता को स्वीकार कर लिया है? सरकार ने किन शर्तों के तहत इसे स्वीकार किया है? इससे सवाल उठते हैं।’’ पायलट ने कहा, ‘‘अमेरिकी राष्ट्रपति ने गलत कहा कि वे (भारत-पाकिस्तान) हजारों वर्षों से लड़ रहे हैं, जबकि वह भूल गए कि कुछ वर्ष पहले तक दोनों एक ही देश थे।’’ कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘यदि अमेरिका की ओर से इस तरह से संघर्ष विराम की घोषणा की जाती है, तो इससे कई सवाल उठते हैं।’’ उन्होंने याद दिलाया कि 1971 के युद्ध के दौरान अमेरिका ने कहा था कि वे बंगाल की खाड़ी में अपना सातवां बेड़ा तैनात कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली तत्कालीन सरकार ने वही किया जो सर्वोच्च राष्ट्रीय हित में था। पायलट ने कहा, ‘‘हम उस सरकार को याद कर रहे हैं जब राष्ट्रीय हित सर्वोच्च था।’’

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