सीहोर। शिव प्रदोष सेवा समिति के तत्वाधान में बुधवार को आस्था और उत्साह के साथ भैरुंदा के समीपस्थ नीलकंठ नर्मदा तट पर पहुंचकर महायज्ञ का आयोजन किया गया। इस मौके पर पंडित कुणाल व्यास सहित अन्य ने सुबह पांच बजे यहां पर मौजूद विप्रजनों की उपस्थिति में शहर के सीवन नदी के तट पर आयोजित वैशाख महापर्व पर किए गए शिव-शक्ति दिव्य अनुष्ठान की हवन सामग्री का विसर्जन करते हुए नर्मदा घाट पर पार्थिव शिवलिंगों का निर्माण किया गया। महायज्ञ और पार्थिव शिवलिंग निर्माण के दौरान समिति की ओर से अमित सोनी, मनोज दीक्षित मामा, अमरनाथ प्रजापति सहित अन्य मौजूद थे। श्री दीक्षित ने बताया कि हमारे शास्त्रों में पार्थिव शिवलिंग के अभिषेक का काफी महत्व है। शिवलिंग के अभिषेक से पहले शिवलिंग बनाने के बाद गणेश जी, विष्णु भगवान, नवग्रह और माता पार्वती आदि का आह्वान करना चाहिए। फिर विधिवत तरीके से षोडशोपचार करना चाहिए। पार्थिव शिवलिंग बनाने के बाद उसे परम ब्रम्ह मानकर पूजा और ध्यान करें। पार्थिव शिवलिंग समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करता है। सपरिवार पार्थिव बनाकर शास्त्रवत विधि से पूजन करने से परिवार सुखी रहता है। शिव महापुराण के मुताबिक इस पूजन से धन, धान्य, आरोग्य और पुत्र प्राप्ति होती है। मानसिक और शारीरिक परेशानियों से भी मुक्ति मिलती है। शिव पुराण में लिखा है कि पार्थिव पूजन सभी दु:खों को दूर करके सभी मनोकामनाएं पूर्ण करता है। हर दिन पार्थिव पूजन किया जाए तो इस लोक और परलोक में भी अखण्ड शिव भक्ति मिलती है। पार्थिव पूजन से अकाल मृत्यु का डर खत्म हो जाता है। शिवजी की अराधना के लिए पार्थिव पूजन महिला और पुरूष दोनों कर सकते हैं। पार्थिव शिवलिंग बनाकर विधि-विधान से पूजा करने से दस हजार कल्प यानी करोड़ों साल तक स्वर्ग मिलता है।
बुधवार, 14 मई 2025
सीहोर : शिव प्रदोष सेवा समिति के तत्वाधान में नर्मदा तट पर किया गया महायज्ञ
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