बिहार : पर्यावरण पृथ्वी पर जीवन का आधार - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 4 जून 2025

बिहार : पर्यावरण पृथ्वी पर जीवन का आधार

मानव जीवन विकास समिति कटनी में है. जो एक एनजीओ है.इस समिति का कार्यक्षेत्र मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड, बघेलखण्ड और महाकौशल क्षेत्र है.यहां के कई गांवों के हजारो किसानों के साथ मिलकर खेती की लागत कम हो.जिस पर वैज्ञानिक सोच के साथ काम किया जाता है.वह चुनौतीपूर्ण क्षेत्र प्राकृतिक खेती,  जैविक खेती, वृक्षारोपण, पानी बचाओ जैसे पर्यावरणीय संरक्षण के क्षेत्र है.इस पर काफी हद तक सफल होने का दावा मानव जीवन विकास समिति के सचिव निर्भय सिंह ने अपने काम व अनुभव के आधार पर यह लेख साझा किये हैं. 


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पर्यावरण और मानव का संबंध अत्यधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि हमारा अस्तित्व पर्यावरण पर निर्भर करता है. हमें अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता देनी चाहिए. पृथ्वी पर जीवन की दीर्घकालिक स्थिरता के लिए हमें सामूहिक प्रयासों के माध्यम से एक स्वस्थ और टिकाऊ पर्यावरण का निर्माण करना होगा. यह केवल हमारे लिए ही नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी आवश्यक है. पर्यावरण पृथ्वी पर जीवन का आधार है. यह हमारे चारों ओर का वह प्राकृतिक और मानव निर्मित ढाँचा है, जो जीवन को संभव बनाता है. हवा, पानी, भूमि, पेड़-पौधे, और जीव-जंतु मिलकर पर्यावरण का निर्माण करते हैं. इसके साथ ही, मानव की गतिविधियों और निर्माण भी इस पर्यावरण का हिस्सा हैं. पर्यावरण हमारे जीवन के हर पहलू को प्रभावित करता है, और इसकी सुरक्षा हमारी प्राथमिक जिम्मेदारी है. आज के युग में पर्यावरणीय समस्याएँ तेजी से बढ़ रही हैं, जो मानव जीवन और पृथ्वी के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा हैं. इस निबंध में, पर्यावरण के महत्व, उसके घटकों, समस्याओं और संरक्षण के उपायों पर विस्तार से चर्चा है. पर्यावरण न केवल हमारे अस्तित्व का आधार है, बल्कि यह हमारी समग्र भलाई के लिए भी महत्वपूर्ण है. पर्यावरण हमें स्वच्छ हवा, पीने का पानी, भोजन, और दवाइयां प्रदान करता है. यह जैव विविधता को संरक्षित करता है और पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन बनाए रखता है. यह भूमि, वायु, और जल के बीच आपसी संबंधों को बनाए रखता है, जिससे जीवन चक्र सुचारू रूप से चलता रहता है. पर्यावरण का महत्व केवल शारीरिक जरूरतों तक सीमित नहीं है. यह हमारी मानसिक और भावनात्मक स्थिति को भी प्रभावित करता है. हरे-भरे जंगल, स्वच्छ नदियाँ, और शांत वातावरण मानसिक शांति प्रदान करते हैं. यह मानव की रचनात्मकता और कल्पना को बढ़ावा देता है. इसलिए, पर्यावरण को संरक्षित रखना न केवल हमारी जरूरत है, बल्कि यह हमारा दायित्व भी है. इसके अलावा, यह हमारी सांस्कृतिक विरासत और परंपराओं को भी बनाए रखने में मदद करता है, जो समाज की पहचान का हिस्सा हैं.पिछले कुछ दशकों में, मानव की अंधाधुंध गतिविधियों ने पर्यावरण को भारी नुकसान पहुँचाया है. औद्योगीकरण, शहरीकरण, और प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक उपयोग पर्यावरणीय समस्याओं का मुख्य कारण हैं.

* ग्रीनहाउस गैसों के बढ़ते उत्सर्जन ने धरती के तापमान को बढ़ा दिया है. इसके परिणामस्वरूप ग्लेशियर पिघल रहे हैं, समुद्र का स्तर बढ़ रहा है, और मौसम में अप्रत्याशित परिवर्तन हो रहे हैं.

* वन हमारे पर्यावरण के संतुलन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.लेकिन अंधाधुंध वनों की कटाई ने न केवल जलवायु संतुलन को बिगाड़ा है, बल्कि वन्यजीवों का आवास भी नष्ट कर दिया है.

* जल, वायु, और भूमि का प्रदूषण पर्यावरण के लिए एक गंभीर समस्या है. औद्योगिक कचरे, रासायनिक उर्वरकों, और प्लास्टिक के अत्यधिक उपयोग ने प्राकृतिक संसाधनों को दूषित कर दिया है. मानवीय गतिविधियों के कारण कई प्रजातियां विलुप्त हो रही हैं.यह पारिस्थितिक तंत्र को संतुलित करता है और हमारे अस्तित्व के लिए खतरा पैदा करता है.


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वृक्षारोपण और वनों का संरक्षण पेड़ों का संरक्षण और अधिक से अधिक वृक्षारोपण पर्यावरण को संतुलित रखने में मदद करता है. पेड़ कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं और ऑक्सीजन प्रदान करते हैं, जिससे वायु की गुणवत्ता में सुधार होता है. नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, और जल ऊर्जा के नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग पर्यावरणीय क्षति को कम करता है. यह प्रदूषण को भी नियंत्रित करता है. प्रदूषण नियंत्रण वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करें. इसके अलावा, औद्योगिक कचरे का सही तरीके से निपटान और रासायनिक उर्वरकों का सीमित उपयोग प्रदूषण को नियंत्रित कर सकते हैं. जल संरक्षण जल हमारे जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक है. जल की बचत, पुनः उपयोग, और जल पुनर्चक्रण तकनीकों को अपनाना पर्यावरण को सुरक्षित रखने का एक महत्वपूर्ण कदम है. पुनर्चक्रण और कचरे का प्रबंधन प्लास्टिक और अन्य कचरे के पुनर्चक्रण से पर्यावरणीय नुकसान को कम किया जा सकता है. कचरे को सही तरीके से अलग करना और उसका निपटान पर्यावरण संरक्षण में सहायक है. जागरूकता और शिक्षा लोगों को पर्यावरण के महत्व और संरक्षण के उपायों के प्रति जागरूक करना आवश्यक है. पर्यावरणीय शिक्षा को स्कूलों और कॉलेजों के पाठ्यक्रम में शामिल करना एक अच्छा कदम हो सकता है. इसके साथ ही, युवाओं को यह सिखाना कि वे अपने दैनिक जीवन में कैसे पर्यावरण को संरक्षित कर सकते हैं, एक लंबी अवधि के बदलाव की शुरुआत हो सकती है. पर्यावरण और मानव जीवन के बीच सहजीवी संबंध है. पर्यावरण मानव को जीवन के लिए आवश्यक संसाधन प्रदान करता है, जबकि मानव का कर्तव्य है कि वह पर्यावरण की रक्षा करे. लेकिन दुर्भाग्य से, मानव ने अपनी स्वार्थी गतिविधियों से पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है. मानव और पर्यावरण के बीच का यह संबंध संतुलित होना चाहिए. यदि पर्यावरण असंतुलित हो जाएगा, तो मानव जीवन भी खतरे में पड़ जाएगा. इसलिए, यह हमारा नैतिक दायित्व है कि हम पर्यावरण को संरक्षित रखें.


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पर्यावरण से हमें अनगिनत लाभ मिलते हैं. यह हमें स्वच्छ वायु, पीने का पानी, भोजन, और औषधियां प्रदान करता है. यह जैव विविधता को संरक्षित करता है, जो पारिस्थितिक तंत्र को संतुलित रखने में मदद करती है. इसके अलावा, पर्यावरण हमारी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक जरूरतों को भी पूरा करता है. पर्यावरण मानव जीवन को प्रभावित करता है और उसे आकार देता है.हमारा स्वास्थ्य, जीवन शैली, और सोचने का तरीका पर्यावरण से प्रभावित होता है. स्वच्छ और स्वस्थ पर्यावरण में रहने वाले लोग शारीरिक और मानसिक रूप से अधिक स्वस्थ होते हैं. इसके अलावा, हमारा सामाजिक और सांस्कृतिक विकास भी पर्यावरण की परिस्थितियों पर निर्भर करता है. पर्यावरण हमारी धरती का आधार है और इसे संरक्षित रखना हमारी जिम्मेदारी है. आज, जब पर्यावरणीय संकट हमारे सामने खड़ा है, हमें अपने प्रयासों को दोगुना करने की आवश्यकता है. हमें न केवल व्यक्तिगत स्तर पर, बल्कि सामूहिक रूप से भी पर्यावरण की रक्षा के लिए काम करना चाहिए. पर्यावरण के असंतुलन के कारण कई प्रकार की मानव बीमारियां, पानी का संकट, मौसम का बदलाव उत्पन्न होना अपने आप मे बहुत गंभीर समस्या बनती जा रही है. समिति कटनी जिले के बड़वारा व ढ़ीमरखेड़ा ब्लाॅक और दमोह जिले के तेन्दूखेड़ा व जबेरा ब्लाॅक मे किसानों के साथ पर्यावरण संरक्षण, जैविक खेती, बायो पेस्टिसाईड यूनिट, प्राकृतिक खेती, पानी संरक्षण, वृक्षारोपण जैसे कई कामों से अच्छे परिणाम के साथ लगे है.


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आइए, पर्यावरण संरक्षण को अपने जीवन का हिस्सा बनाएँ और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वच्छ, हरित और स्वस्थ पृथ्वी का निर्माण करें. पृथ्वी केवल हमारी नहीं है, यह उन सभी प्रजातियों का घर है, जो हमारे साथ यहां रहती हैं. पर्यावरण को बचाने के लिए हमारा हर छोटा कदम बड़ा बदलाव ला सकता है. पर्यावरण के लिए संकल्पित गांव कटनी जिले के ढ़ीमरखेड़ा ब्लाॅक अन्तर्गत कई ऐसे गांव है जहां पर पर्यावरण संरक्षण के कई आयामों पर काम किया जा रहा है. जिसमे महगवां पंचायत अंतर्गत दैगवां गांव के स्व सहायता समूह (जय दुर्गा भारती समूह) की महिलाओं के द्वारा बायो पेस्टिसाइड यूनिट (बीआरसी) की स्थापना कर जो जैविक एवं प्राकृतिक खेती करने मे काफी सहायक होती हैं. समूह की महिलाएं अपने खेतों मे जैविक दवाइयां डालती ही है इसके अलावा अपने एवं आसपास के गांव में बिक्री भी करते है. जिसमें पिछले साल रवि एवं खरीफ सीजन मे लगभग 80 से 85 हजार की दवाइयों की बिक्री किया है. गांव के ही पंजाब सिंह, धन सिंह, ओंमकार सिंह, हुकुम सिंह कहते है कि हमारे गांव मे जैविक खेती का रकवा पानी संरक्षण के लिए तालाब फसल चक्रीय मे औषधीय फसलों की खेती का रकवा बढ़ा है.


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मानव जीवन विकास समिति के सहयोग से हम अपने गांव मे प्राकृतिक खेती, जैविक खेती, पानी संरक्षण, वृक्षारोपण आदि कार्य पर्यावरण संरक्षण के काम मे लगे है.इसी प्रकार ढ़ीमरखेड़ा ब्लाॅक के खंदवारा गांव के सुरेष सिंह एवं सोहन सिंह और भलवारा गांव से विजय सिंह भी उक्त कामों के साथ-साथ वर्मी खाद, नाडेप खाद और गौ-पालन के काम मे सक्रिय भूमिका निभा रहे है. इन गांव के अलावा भी मिलेट (श्रीअन्न) की खेती जिसमे कोदो, कुटकी, रागी की खेती का रकवा अच्छा बढ़ा है. ढ़ीमरखेड़ा ब्लाॅक मे ही दादर सिहुड़ी के गुमान सिंह कहते है कि हमारे गांव मे सिंचाई का साधन नही होने के कारण खरीफ की फसल अधिकतर बोई जाती है और मानव जीवन विकास समिति के संपर्क में आने के कारण हमको जैविक और पर्यावरण की दृष्टि से प्लास्टिक मुक्त गांव बनाने का काम एवं आगे की और तैयारी भी कर रहे हैं.





निर्भय सिंह

सचिव

मानव जीवन विकास समिति

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