मधुबनी : "लखटकिया आम से महक रहा है लालगंज का बगीचा" - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 8 जून 2025

मधुबनी : "लखटकिया आम से महक रहा है लालगंज का बगीचा"

  • किसान अविनाश ने रचा फलोद्यान का अद्भुत संसार

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मधुबनी (अजयधारी सिंह/रजनीश के झा)।बिहार के मधुबनी ज़िले के लालगंज गाँव में किसान अविनाश कुमार ने अपने पुश्तैनी आवास को एक जैव विविधता से भरपूर फलोद्यान में तब्दील कर दिया है। उनके बगीचे में 30 से अधिक प्रकार के फलों के पेड़ हैं, जिनमें 22 दुर्लभ और देसी-विदेशी किस्मों के आमों की विशेष उपस्थिति है। यही नहीं, जापान का विश्वप्रसिद्ध और बेहद महंगा 'मियाजाकी आम' भी इस बगीचे की शोभा बढ़ा रहा है। अविनाश के बगीचे की खासियत यही नहीं रुकती। यहाँ अमरूद की 8 किस्में, चीकू, शरीफा, अंजीर, बेर, बेल, अनार, लीची, नींबू, जामुन, नाशपाती, फालसा, सेब, सिताफल, करौंदा, तेंबुरुनी, जंगल जलेबी, सितारा फल (स्टार फ्रूट), और केले समेत ढेरों देसी फल भी उगाए जा रहे हैं। यहाँ का माहौल इतना समृद्ध और नैसर्गिक है कि एक ही समय में 10 से अधिक पक्षी प्रजातियाँ बगीचे में विचरण करती देखी जा सकती हैं।


सबसे बड़ा आकर्षण – मियाजाकी आम:

यह वही आम है जिसकी कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में ₹2.5 लाख प्रति किलो तक जाती है। दो साल पहले अविनाश के माता-पिता ने प्रेमपूर्वक इसका पौधा लगाया था, और इस साल पहली बार इसमें 6 फल लगे हैं। सुरक्षा के लिहाज से हर फल को मच्छरदानी से ढँककर संरक्षित किया गया है। इसके साथ ही ‘रेड पाल्मर’, ‘नैम डोक माई’, ‘केसर’, ‘चौसा’, ‘दशहरी’, ‘अल्फांसो’ जैसी प्रीमियम वैरायटीज भी इस बगीचे में मौजूद हैं । अविनाश के छोटे से बगीचे में ३० से अधिक किस्म के फलों के पेड़ हैं । यहाँ आम का २२ से अधिक किस्म है ।


अविनाश कहते हैं: “ये बगीचा सिर्फ फलों का नहीं, हमारी विरासत और प्रकृति के प्रति प्रेम का प्रतीक है। हम चाहते हैं कि बच्चे और युवा पीढ़ी फिर से प्रकृति के साथ जुड़ाव महसूस करें और जैव विविधता को समझें।” इस बगीचे को देखने के लिए अब आसपास के गाँवों से किसान, पर्यावरण प्रेमी और फल शोधकर्ता आने लगे हैं। बिहार जैसे राज्य में यह बगीचा एक मिसाल बनकर उभरा है जो दर्शाता है कि इच्छाशक्ति, धैर्य और नवाचार से ग्रामीण भारत में भी वैश्विक स्तर की खेती की जा सकती है।

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