भारत में 19,500 से अधिक भाषाएं, बोलियां; ये ‘विविधता में एकता’ का प्रतीक : ओ'ब्रायन - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।


शुक्रवार, 20 जून 2025

भारत में 19,500 से अधिक भाषाएं, बोलियां; ये ‘विविधता में एकता’ का प्रतीक : ओ'ब्रायन

Neil-o-briyan
तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ'ब्रायन ने देश में भाषा को लेकर छिड़ी बहस के बीच शुक्रवार को कहा कि भारत में 22 संवैधानिक मान्यता प्राप्त भाषाएं और 19,500 भाषाएं और बोलियां हैं तथा यह हमारे देश की ‘विविधता में एकता’ को दर्शाती हैं। राज्यसभा में तृणमूल कांग्रेस संसदीय दल के नेता ने एक वीडियो बयान में कहा कि 97 प्रतिशत लोग मान्यता प्राप्त भाषाओं में से एक का अपनी मातृभाषा के रूप में इस्तेमाल करते हैं, लेकिन केंद्र यह नहीं समझता है। ओ'ब्रायन ने कहा, ‘‘भारत में 97 प्रतिशत लोग संवैधानिक रूप से मान्यता प्राप्त 22 भाषाओं में से किसी एक का अपनी मातृभाषा के रूप में इस्तेमाल करते हैं। करीब 19,500 भाषाओं और बोलियों का इस्तेमाल मातृभाषा के रूप में किया जाता है। यह हमारे महान राष्ट्र की ‘विविधता में एकता’ है। अमित शाह, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं उनका ‘गिरोह’ इसे कभी नहीं समझ पाएंगे।’’ उनकी यह टिप्पणी गृह मंत्री अमित शाह द्वारा अंग्रेजी भाषा पर की गई टिप्पणी के बीच आई है। शाह ने कथित तौर पर कहा था कि जल्द ही भारत में अंग्रेजी बोलने वालों को ‘‘शर्मिंदगी महसूस होगी’’ और जो लोग भारतीय भाषाएं नहीं बोलते हैं, वे पूरी तरह से भारतीय नहीं रह जाएंगे। तृणमूल की राज्यसभा सदस्य सागरिका घोष ने कहा कि भारतीयों को किसी भी भाषा को लेकर शर्मिंदा नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘अंग्रेजी पूरे भारत में एक संपर्क भाषा है, यह आकांक्षापूर्ण है, वैश्विक लाभ प्रदान करती है और लाखों लोग अंग्रेजी का ज्ञान अर्जित करना चाहते हैं। भारत के लोगों को किसी भी भाषा को लेकर ‘‘शर्मिंदा’’ नहीं होना चाहिए।’’ संविधान की आठवीं अनुसूची में सूचीबद्ध 22 भाषाएं असमिया, बांग्ला, बोडो, डोगरी, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, मैथिली, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, उड़िया, पंजाबी, संस्कृत, संताली, सिंधी, तमिल, तेलुगु और उर्दू हैं।

कोई टिप्पणी नहीं: