वाराणसी : हिटलर की तानाशाही की पुनरावृत्ति थी इंदिरा का आपातकाल : रामाशीष जी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 25 जून 2025

वाराणसी : हिटलर की तानाशाही की पुनरावृत्ति थी इंदिरा का आपातकाल : रामाशीष जी

  • संजय गांधी ने चलवाया था उच्च न्यायालय के 1700 कमरों पर बुलडोजर, प्रेस पर थी पूरी पाबंदी
  • काशी में ‘आपातकाल में राजनीतिक अस्थिरता’ संगोष्ठी का आयोजन, आपातकाल के दर्दनाक पहलुओं को किया उजागर

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वाराणसी (सुरेश गांधी)। जर्मनी में 1933 में हिटलर द्वारा जिस प्रकार मौलिक अधिकारों का दमन कर तानाशाही स्थापित की गई थी, उसी का भारत में 42 वर्षों बाद पुनरावृत्ति इंदिरा गांधी के आपातकाल में देखने को मिली। यह बात प्रज्ञा प्रवाह के अखिल भारतीय केंद्रीय कार्यकारिणी सदस्य रामाशीष जी ने बुधवार को काशी में आयोजित संगोष्ठी में कही। विश्व संवाद केंद्र काशी और संस्कार भारती के संयुक्त तत्वावधान में ‘आपातकाल में राजनीतिक अस्थिरता’ विषयक संगोष्ठी लंका स्थित माधव सभागार में आयोजित की गई थी।


आधी रात में लगाया गया था आपातकाल

रामाशीष जी ने कहा कि 25 जून 1975 को दिल्ली के रामलीला मैदान में जनता युवा मोर्चा द्वारा आयोजित विशाल रैली से घबराकर उसी रात अनुच्छेद 352 के तहत देश में आपातकाल लागू कर दिया गया। इससे पहले 12 जून 1975 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इंदिरा गांधी के चुनाव को भ्रष्टाचार के चलते अवैध घोषित कर दिया था।


लोकतंत्र के काले अध्याय की 50वीं बरसी

उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के इस काले अध्याय ने सिर्फ राजनीति नहीं, समाज के हर क्षेत्र को प्रभावित किया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विपक्षी दलों और पत्रकारों को निशाना बनाया गया। वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को जेल में अमानवीय यातनाएं दी गईं।


एक लाख स्वयंसेवकों ने दी गिरफ्तारी

रामाशीष जी ने बताया कि 14 अगस्त 1975 से 26 जनवरी 1976 तक एक लाख स्वयंसेवकों ने सत्याग्रह करते हुए गिरफ्तारी दी थी। यातनाओं के कारण 98 स्वयंसेवकों की मृत्यु भी हो गई थी।


बुलडोजर चलवा दिए गए थे हाईकोर्ट के 1700 कमरे

उन्होंने बड़ा खुलासा करते हुए बताया कि आपातकाल के दौरान संजय गांधी के निर्देश पर उच्च न्यायालय के 1700 कमरों पर बुलडोजर चलवाए गए थे, लेकिन प्रेस पर प्रतिबंध के चलते यह समाचार दबा दिया गया था।


संविधान में जबरन जोड़े गए शब्द

आपातकाल के दौरान इंदिरा गांधी ने संविधान की मूल भावना के विपरीत 42वां संशोधन करते हुए ‘पंथनिरपेक्ष’ और ‘समाजवादी’ शब्दों को जबरन संविधान की प्रस्तावना में जोड़ दिया।


दूसरा स्वतंत्रता संग्राम था आपातकाल

संघ के वरिष्ठ स्वयंसेवक रामसूचित पाण्डेय ने आपातकाल के अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि उस समय वे काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के गणित विभाग में कार्यरत थे। पुलिस और सीआईडी अधिकारी उनसे प्रतिदिन पूछताछ करते थे और संघ भवन को गिरा दिया गया था। उन्होंने कहा कि संघ के लिए आपातकाल ‘दूसरा स्वतंत्रता संग्राम’ था।


गरिमामय रहा कार्यक्रम

कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्कार भारती काशी महानगर के अध्यक्ष रामवीर शर्मा ने की। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। संचालन डॉ. प्रेरणा चतुर्वेदी ने किया। कार्यक्रम का सह-आयोजन केवी जनकल्याण ट्रस्ट द्वारा किया गया। इस अवसर पर संघ के वरिष्ठ प्रचारक जागेश्वर जी, संस्कार भारती के उपाध्यक्ष प्रेमनारायण, संजय सिंह, प्रमोद पाठक, प्रज्ञा प्रवाह के क्षेत्र संयोजक डॉ. कमलेश शर्मा, सुष्मिता सेठ, विष्णु भाई, सुधीर, दिनेश, डॉ. आशीष सहित बड़ी संख्या में मातृशक्ति और गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।

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