- वाराणसी में खिला पर्यावरण और खेल का संगम, प्रशिक्षण ले रहीं 100 से अधिक बालिकाओं ने लिया भाग
संघर्षों से शिखर तकः खिलाड़ियों की कहानियों से मिला हौसला
कार्यक्रम के संयोजक और हॉकी वाराणसी के अध्यक्ष डॉ. ए.के. सिंह ने उपस्थित खिलाड़ियों को इन अंतरराष्ट्रीय सितारों की जीवन यात्रा से परिचित कराया। उन्होंने बताया कि किस प्रकार इन खिलाड़ियों ने कठिन परिस्थितियों और अभावों के बावजूद मेहनत और लगन से विश्व मंच पर अपनी पहचान बनाई। डॉ. सिंह ने कहा, “आज खेल केवल शौक नहीं, बल्कि करियर का एक सशक्त विकल्प है। इसमें न केवल सम्मान और पहचान है, बल्कि आर्थिक स्थायित्व और भविष्य की गारंटी भी है।“
“खेलोगे तो खिलोगे“ नारे को समर्पित रहा आयोजन
यह पूरा आयोजन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नारे “खेलोगे तो खिलोगे“ को समर्पित रहा। बालिकाओं को प्रेरित करते हुए बताया गया कि खेल के माध्यम से आत्मनिर्भरता, आत्मविश्वास और अनुशासन विकसित होता है, जो जीवन के हर क्षेत्र में सफलता दिला सकता है।
अब तक 53 राष्ट्रीय खिलाड़ी दे चुका है यह मैदान
परमानंदपुर मिनी स्टेडियम का यह प्रयास कोई नया नहीं है। यहां से अब तक 53 बालिकाएं राष्ट्रीय स्तर पर वाराणसी का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। यह मैदान न केवल खेल प्रतिभाओं की नर्सरी बन चुका है, बल्कि सामाजिक जागरूकता और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी अग्रसर है। इस अभिनव पहल ने साबित कर दिया कि जब खेल और समाजसेवा एक मंच पर आते हैं, तो केवल खिलाड़ी नहीं, पूरी पीढ़ी आगे बढ़ती है। यह आयोजन आने वाली पीढ़ी को न केवल हरा-भरा भविष्य देगा, बल्कि उनके अंदर महानता की ओर बढ़ने का बीज भी बोएगा।

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