नालंदा विश्वविद्यालय पर विदेशी आक्रांताओं के बर्बर आक्रमण को ज्ञान की परंपरा पर प्रहार बताते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, “1192 के आसपास बख्तियार खिलजी ने नालंदा विश्वविद्यालय की लाइब्रेरी को जला दिया, और वो महीनों तक जलती रही। पर ज्ञान की ज्योति बुझी नहीं — भारत आज भी विश्व का सबसे बड़ा ज्ञान भंडार है। विज्ञान में जो कुछ भी आज हो रहा है, उसकी जड़ें हमारी प्राचीन परंपरा में मौजूद हैं।” डॉ. ललित नारायण मिश्रा और डॉ. जगन्नाथ मिश्र की दूरदृष्टि की सराहना करते हुए उन्होंने कहा, “इस कॉलेज को यूजीसी द्वारा विशिष्ट पहचान दी गई है — एक ऑटोनॉमस कॉलेज होते हुए यह मान्यता एक बड़ी उपलब्धि है। मैं इस संस्था से जुड़े सभी लोगों को बधाई देता हूं — यह संकाय और छात्रों के सामूहिक प्रयास का परिणाम है।” राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा, “ वैदिक सिद्धांतों में कहा गया है — 'सा विद्या या विमुक्तये'; अर्थात् ज्ञान वही है जो मुक्ति की ओर ले जाए। हमारे देश में शिक्षा हमेशा मूल्य-आधारित रही है। किसी भी कालखंड में शिक्षा का न तो व्यवसायीकरण हुआ है और न ही इसे एक वस्तु के रूप में देखा गया है। हमारी जो शिक्षा प्रणाली है, वह चरित्र निर्माण करती है, हमें जीवन मूल्यों से जोड़ती है। मैं आज की थीम — 'भारतीय ज्ञान परंपरा और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का दृष्टिकोण' — की प्रशंसा करता हूँ। यह विषय गंभीर महत्त्व का है, निर्णायक प्रभाव डालने वाला है और यह हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था एवं विकास की दिशा को परिभाषित करेगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का उद्देश्य है — कुशल पेशेवरों, संतुष्ट नागरिकों, रोजगार उत्पन्न करने वालों, ज्ञानी मानवों को तैयार करना और एक ऐसा भारत बनाना जो वास्तव में हमारे सामूहिक सपनों का प्रतिबिंब हो।”
बिहार के सपूत डॉ राजेंद्र प्रसाद की भूमिका को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा, “जब सोमनाथ मंदिर का उद्घाटन हुआ, तो भारत के पहले राष्ट्रपति और इस भूमि के सपूत डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने विरोधों के बावजूद डटकर उसे संपन्न किया। जैसे वे संविधान सभा में डटे रहे, वैसे ही यहां भी — बिना विचलित हुए। संविधान सभा में बहस, संवाद, विमर्श और मनन हुआ — कभी व्यवधान उत्पन्न नहीं हुआ। यही लोकतंत्र है।” उन्होने आगे कहा, “डॉ. राजेन्द्र प्रसाद और डॉ. आंबेडकर ने मिलकर संविधान निर्माण में उच्चतम मानक स्थापित किए। आज जब देश की प्रथम आदिवासी महिला राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु उसी विरासत को आगे बढ़ा रही हैं — यह बिहार की आत्मा की निरंतरता है।” अपने भाषण में सामाजिक न्याय पर प्रकाश डालते हुए श्री धनखड़ ने कहा, “मेरा सौभाग्य है कि मैं उस समय केंद्र में मंत्री था जब मंडल आयोग लागू हुआ। और आज, जब मैं राज्यसभा का सभापति हूं, कर्पूरी ठाकुर जी को भारत रत्न से सम्मानित होते देखना मेरे लिए गौरव की बात है। सामाजिक न्याय की नींव में बिहार का योगदान अमिट है।” आपातकाल का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा “ 25 जून — यह दिन भारतीय लोकतंत्र का सबसे काला अध्याय है। संविधान की हत्या की गई। उस समय लोकतंत्र की ज्योति जलाने का कार्य किया बापू जयप्रकाश नारायण ने। सम्पूर्ण क्रांति केवल एक राजनीतिक आंदोलन नहीं था — वह राष्ट्र के पुनर्जागरण की पुकार थी।” इस कार्यक्रम के अवसर पर बिहार सरकार के उद्योग मंत्री श्री नीतीश मिश्र, अंबेडकर यूनिवर्सिटी, मुजफ्फरपुर के कुलपति प्रोफेसर दिनेश राय, एलएन मिश्रा कॉलेज के निदेशक श्री मनीष कुमार आदि उपस्थित रहे।

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें