पटना : सन् 74 आंदोलन के छात्र नेता लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 25 जून 2025

पटना : सन् 74 आंदोलन के छात्र नेता लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार

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पटना, (आलोक कुमार) . सन् 74 आंदोलन के छात्र नेता लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार राजनीति में आए.दोनों केवल राजनीति में नहीं बल्कि मुख्यमंत्री बने. मुख्यमंत्री के रूप में लालू प्रसाद यादव का दबदबा 1990 से 2005 तक रहा.उसके बाद मुख्यमंत्री के रूप में नीतीश कुमार 2005 से 2025 तक बरकरार है.वहीं दोनों के बीच बिहार की राजनीति में ‘बड़े भाई - छोटे भाई‘ वाली सियासी शैली जारी है, जो वर्षों से चर्चा का विषय रही है. राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के संस्थापक और राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव हैं.बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री (1990-1995) ‘बड़े भाई‘की छवि -राजनीतिक चतुराई, जनाधार और सामाजिक न्याय के प्रतीक रहा है. फिलहाल स्वास्थ्य कारणों से सक्रिय राजनीति में सीमित, लेकिन संगठन और निर्णयों में असरदार भूमिका निभाते हैं


जनता दल (यूनाइटेड) के नेता और बिहार के वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 2005-2025 ‘छोटे भाई‘के रूप में पहचान तब बनी जब उन्होंने 1990  में लालू के साथ मिलकर राजनीति की. बाद में गठबंधन और अलगाव के कई दौर - 2024-25 में फिर साथ आना चलता रहा. ‘बड़े-छोटे भाई‘की राजनीति का मतलब बड़ा भाई (लालू यादव)और छोटा भाई (नीतीश कुमार) से है. विचारधारा और जनाधार के संरक्षक, प्रशासन और शासन संचालन के विशेषज्ञ, संगठन और जातीय समीकरणों में मजबूत पकड़, प्रशासनिक अनुभव और संतुलित छवि और भावनात्मक अपील के साथ व्यवहारिक निर्णयकर्ता के गुण है.गठबंधन की राजनीति में लालू और नीतीश फिर एक साथ आए.राजद-जदयू का गठबंधन भाजपा के खिलाफ विकल्प के रूप में उभरा.लालू यादव राष्ट्रीय अध्यक्ष बन रहे हैं-पार्टी की  विचारधारा संभालते हैं.नीतीश कुमार सीएम बने रहते हैं-सत्ता और प्रशासनिक गठबंधन चलाते हैं.दोनों दल ‘संघर्ष में साथ, सत्ता में साझीदार‘ की नीति पर चलते हैं.


जनमानस में प्रतीकात्मक अर्थ “लालू यादव बड़े भाई हैं- सामाजिक न्याय की विचारधारा के वाहक.नीतीश कुमार छोटे भाई हैं-व्यवस्था और सुशासन की पहचान.”लेकिन समय-समय पर यह रिश्ता सत्तालोभ, अवसरवादिता और वैचारिक अस्थिरता के कारण कटु भी हुआ है. बिहार की राजनीति में ‘बड़े और छोटे भाई‘ का संदर्भ अब सिर्फ संबंध नहीं, बल्कि राजनीतिक शैली, रणनीति और गठबंधन की स्थायी बुनियाद बन चुका है. यह कभी मिलन, कभी टकराव और कभी अवसर की राजनीति के प्रतीक के रूप में देखा जाता है.


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