
बेगूसराय (अरुण कुमार)। जन्म-प्रमाण-पत्र और मृत्यु-प्रमाण-पत्र अब बनाना बहुत मुश्किल हो गया है।जबकि इसको आसान करना चाहिए सभी को इसकी जरूरत पड़ती है।ये बात भाई अरमान ने अधिकृत पदाधिकारियों के दफ्तरों में चक्कर लगाते लगाते तंग आकर बताया कि देखिए सरकारी महकमे की तानाशाही। पिछले चार महीना से सांख्यिकी अधिकारी के पास मृत्यु प्रमाण पत्र प्रमाण पत्र का फॉर्म जमा है।मृत्यु के 21 दिन के अंदर मैंने मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए आवेदन दे दिया था ।आवेदन के जांच के बाद सांख्यिकी पदाधिकारी ने आवेदन के ऊपर लिखा के शपथ पत्र इसमें लगाइए। जबकि 21 दिन के अन्दर अगर आवेदक आवेदन देता है तो शपथ पत्र की आवश्यकता नहीं पड़ती है। तब भी अधिकारी महोदय के बातों को मानकर इन्होंने शपथ पत्र भी बनवाकर सलग्न किया,सांख्यिकी पदाधिकारी ने आवेदन का जांच किया तो अब लिखा मृत्यु की वजह बताइए। पदाधिकारी को मैने बताया कि प्राकृतिक मृत्यु हुई है काफी दिनों से बीमार थे , आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी इसलिए घर से इलाज चल रहा था।ये सुनने के बाद फॉर्म पर लिखे आप अपने लेटर पेड पे एक सामाजिक पंचनामा बनाकर 10 आधार कार्ड के माध्यम से गवाही दीजिए की उस व्यक्ति की मृत्यु प्राकृतिक हुई है और अपने निवास स्थान पे ही हुई है।हमने अपने लेटर पेड पर सामाजिक पंचनामा बनाया,दस आदमी का आधार कार्ड लगाया सामाजिक पंचनामा पर 20 व्यक्ति का ह्स्ताक्षर कराया उसको फॉर्म के साथ सलग्न किया तब ये फॉर्म सिस्टम पर लोड होकर जिला सांख्यिकी पदाधिकारी बेगूसराय के सिस्टम में ट्रांसफर किया गया।पिछले पन्द्रह दिनों से जिला सांख्यिकी पदाधिकारी के हस्ताक्षर का इंतजार कर रहा हूं। किन्तु अभि तक हमें मृत्यु प्रमाण पत्र नहीं मिला है।
प्रोटोकॉल के नाम पर बहुत परेशान करते हैं ये लोग।
(1) शपथ-पत्र के माध्यम से गवाही दिया गया कि मृतक की इस तारीख को अपने निवास स्थान पे प्राकृतिक मृत्यु हुई है।
(2) तीन-गवाह ने अपने आधार कार्ड पे अपना हस्ताक्षर करके गवाही दिया के मृतक की इस तारीख को अपने निवास स्थान पे प्राकृतिक मृत्यु हुई है।
(3)वार्ड-पार्षद ने हस्ताक्षर ओर मुहर लगाकर गवाही दिया की मृतक की इस तारीख को अपने निवास स्थान पे प्राकृतिक मृत्यु हुई है।
(4) विकास-मित्र (सरकारी कर्मचारी है) ने मृत्यु के स्थान पे जाकर स्थानीय लोगों से जानकारी लेकर सांख्यिकी पदाधिकारी को लिखित रिपोर्ट कर दिया कि फॉर्म में अंकित सभी जानकारी सत्य है इनको मृत्यु प्रमाण पत्र निर्गत किया जाए।
(5) सामाजिक-पंचनामा के माध्यम से गवाही दिया गया के मृतक की इस तारीख को अपने निवास स्थान पे प्राकृतिक मृत्यु हुई है।
(6)वीडियो-सर-ने-अप्रूवल दे दिया कि इनको मृत्यु प्रमाण पत्र निर्गत किया जाय।
(7)मृत्यु- का- सारा- डिटेल्स-सिस्टम पर लोड हो गया,इतने प्रक्रिया के वाबजूद भी आज चार महीना हो गया है अभी तक मृत्यु-प्रमाण-पत्र नहीं बना है।अब आप ही बताइए इतना कुछ होने के बाद भी नहीं बना रहा है तो उस पदाधिकारी को तो लोग फूल की माला तो नहीं बनाएगा।विधायक जी अपनी जगह ठीक है। बस उनसे थोड़ा सा चूक हो गया की उन्होंने भाषा का चयन ठीक से नहीं किया उनको अपनी पोस्ट के मर्यादा का ख्याल हरहाल में रखनी चाहिए थी। ये बात सच है विधायक जी की भाषा उनके पोस्ट से मैच नहीं करता है वो भी आखिर तंग आकर ही ऐसी भाषा का प्रयोग किए होंगे।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें