- श्रद्धालुओं ने गुरु चरणों में नवाया शीश, भजन-पूजन और भंडारे से भक्ति की बही गंगा, 151 मुस्लिमों ने भी ली गुरु दीक्षा
- गुरुवार को आस्था, श्रद्धा और समर्पण से सराबोर रहा समूचा क्षेत्र, गुरु महिमा पर स्वामीजी ने दिए प्रेरक संदेश
"गढ़वाघाट व सतुआ बाबा, आश्रम में उमड़ा जनसैलाब"
काशी के अन्य मठों में भी छाया भक्ति का रंग
तुलसीघाट स्थित अखाड़ा गोस्वामी तुलसीदास में शिष्यों ने देव विग्रहों के साथ-साथ महंत प्रो. विश्वंभरनाथ मिश्र की पूजा कर गुरु परंपरा को नमन किया। पातालपुरी मठ के महंत बालक दास ने बताया, “गुरु से ही जीवन जीने की दिशा मिलती है। सनातन धर्म ही वह पथ है जो शांति और सह-अस्तित्व का मार्ग दिखाता है।” राम जानकी मठ, श्री विद्या मठ, धर्म संघ, अन्नपूर्णा मठ, अष्टदशभुजा मंदिर सहित सभी बड़े आश्रमों में दिन भर पूजा, भजन, प्रवचन और आरती का सिलसिला चलता रहा। बाबा कीनाराम स्थली क्रींकुंड शिवाला में सुबह आरती, श्रमदान के बाद अघोरेश्वर की समाधियों का पूजन का विधान किया गया। पड़ाव स्थित अवधूत भगवान राम आश्रम में पीठाधीश्वर गुरु पद संभव राम का पूजन अर्चन किया गया।सद्भावना की अनूठी मिसाल
गुरु पूर्णिमा के अवसर पर इस बार सामाजिक समरसता का अद्भुत दृश्य भी देखने को मिला। पातालपुरी मठ में 151 मुस्लिम भाइयों ने महंत बालक दास से गुरु दीक्षा लेकर ‘गुरु दक्षिणा’ अर्पित की। सभी ने पूजा-अर्चना के बाद भंडारे का प्रसाद भी ग्रहण किया।
परंपरा का जीवंत उत्सव
काशी में गुरु पूर्णिमा मात्र एक पर्व नहीं, बल्कि गुरु-शिष्य परंपरा की जीवंत चेतना है। यह परंपरा आश्रमों, गुरुकुलों और साधु-संतों के सान्निध्य में आज भी उतनी ही प्राणवान है, जितनी सदियों पहले थी। हर युग में, हर काल में गुरु ही वह ज्योति रहे हैं, जिन्होंने अज्ञान के अंधकार को मिटाकर जीवन को धर्म, विवेक और श्रद्धा से प्रकाशित किया है। शहर के विद्यालयों, गुरुकुलों और सामाजिक संस्थानों में भी गुरुपूर्णिमा पर कार्यक्रम आयोजित किए गए। विद्यार्थियों ने अपने शिक्षकों का पूजन कर सम्मान किया। सांस्कृतिक कार्यक्रमों में गुरु भक्ति पर आधारित गीतों और कविताओं की प्रस्तुति दी गई।
गुरु का स्थान परमात्मा से भी ऊपर – स्वामी शरणानंद जी
अपने उद्बोधन में स्वामी शरणानंद जी महाराज ने गुरु की महत्ता पर गहराई से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा— “गुरु केवल कोई व्यक्ति नहीं, वह एक चेतना है। वह अज्ञान को दूर कर आत्मज्ञान का प्रकाश देता है। ईश्वर तक पहुंचने का मार्ग गुरु ही दिखाता है। जो व्यक्ति गुरु के प्रति श्रद्धावान है, वह कभी भी पतन की ओर नहीं जाता।” उन्होंने युवाओं को आह्वान किया कि वे सच्चे गुरु की शरण लें और जीवन में संयम, सेवा और साधना को अपनाएं।
गांवों में भी गुरु वंदना का उत्साह
वाराणसी के ग्रामीण क्षेत्रों में भी गुरुपूर्णिमा को लेकर विशेष उत्साह देखने को मिला। हरहुआ, चोलापुर, सेवापुरी, बड़ागांव, बड़ागल और राजातालाब क्षेत्र के विभिन्न आश्रमों व गुरुकुलों में भक्तों ने गुरु पूजन किया। जगह-जगह भंडारे, रुद्राभिषेक, संत प्रवचन और भजन संध्याएं आयोजित हुईं। चोलापुर के श्रीराम तपोवन आश्रम में ब्रह्मचारी बालमुकुंद जी ने गुरु की परंपरा पर प्रकाश डाला। सेवापुरी के नीलकंठधाम में महिला भक्तों ने विशेष रुप से साप्ताहिक पाठ और कन्या पूजन किया। राजातालाब स्थित योग साधना केंद्र में सूर्य नमस्कार, ध्यान साधना और गुरु मंत्र दीक्षा का विशेष आयोजन किया गया।
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