- कुबेरेश्वरधाम में श्रावण मास का पहला दिन-बड़ी संख्या में पहुंच रहे श्रद्धालु-30 दिन तक भक्त करेंगे अभिषेक

सीहोर। हर साल की तरह आगामी छह अगस्त को शहर के सीवन नदी तट से पंडित प्रदीप मिश्रा के मार्गदर्शन में भव्य कांवड़ यात्रा निकाली जाएगी। इस मौके पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु शामिल होंगे, इधर सावन के माह पहले दिन सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु विभिन्न नदियों का जल लेकर जिला मुख्यालय के समीपस्थ चितावलिया हेमा स्थित निर्माणाधीन मुरली मनोहर और कुबेरेश्वर महादेव मंदिर में पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया है। इसको लेकर जिला संस्कार मंच के द्वारा नगर पालिका अध्यक्ष प्रिंस राठौर और जिला प्रशासन से तत्काल सीवन नदी के तट की साफ-सफाई, प्रकाश व्यवस्था और चलित शौचालय, चैंजिंग रूम, कांवड़ यात्रा मार्ग पर कावड यात्रियों की सुरक्षा, मार्ग डायवर्ड आदि करने की अपील की है, क्योंकि यहां पर आने वाले श्रद्धालु दिन-रात इस मार्ग से धाम की ओर जा रहे है। इसको लेकर प्रशासन तत्काल ध्यान दे। बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने शहर के सीवन नदी के तट से एकत्रित होकर पैदल कांवड़ लेकर भगवान शंकर का अभिषेक किया। मंदिर परिसर में समिति के व्यवस्थापक पंडित समीर शुक्ला, पंडित विनय मिश्रा सहित अन्य ने कांवड़ में शामिल श्रद्धालुओं का भव्य स्वागत किया। विठलेश सेवा समिति के मनोज दीक्षित मामा ने बताया कि सावन का महीना भगवान शिव को बहुत प्रिय है, इस महीने भगवान शिव की पूजा अर्चना से भगवान भोलेनाथ आसानी से प्रसन्न हो जाते हैं। इसका एक आसान उपाय कांवड़ यात्रा भी है। इसके अनुसार शिव-भक्त भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कांवड़ यात्रा निकालते हैं। पवित्र नदी का जल लेकर कठिन व्रत का पालन करते हुए घर के पास या किसी पौराणिक शिवालय में जल-अर्पित करते हैं। मान्यता है कि इससे भक्त की मनोकामना पूरी होती है।
कुबेरेश्वर धाम में श्रावण मास की शुरुआत के साथ सुबह से ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं और पूजा-अर्चना में जुटे हैं। पंडित प्रदीप मिश्रा ने बताया कि देवउठनी एकादशी पर भगवान नारायण अपना कार्यभार शिवजी को सौंप देते हैं। कुबेरेश्वर धाम में पूरे महीने अभिषेक और अलग-अलग धार्मिक आयोजन होंगे। जानकारी के अनुसार श्रावण मास की शुरुआत आज से हुई है। इस दौरान श्रद्धालु हर रोज भगवान शिव की आराधना करते रहेंगे। कुबेरेश्वर धाम सहित सीहोर जिले के सभी शिव मंदिरों में विशेष पूजा अर्चना करने पहुंचेंगे। ये 9 अगस्त को रक्षाबंधन के दिन खत्म होगा। इस साल श्रावण मास पूरे 30 दिन का रहेगा। आषाढ़ मास देवशयनी एकादशी से कार्तिक मास देवउठनी एकादशी तक भगवान शंकर सृष्टि का संचालन करेंगे। श्रावण मास में शिव भक्तों के लिए रुद्राभिषेक, कावड़ यात्रा, पार्थिव शिवलिंग निर्माण और व्रत पूजन का विशेष महत्व है। इस माह में 14, 21, 28 जुलाई और 4 अगस्त को सोमवार आएंगे। 14 जुलाई को गणेश चतुर्थी है। 21 जुलाई को सर्वार्थसिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग और एकादशी का संयोग है। 28 जुलाई को विनायकी चतुर्थी और 4 अगस्त को सर्वार्थसिद्धि योग रहेगा। भक्तगण भगवान शिव को जल, दूध, दही, मिश्री, शहद, इत्र, बेलपत्र, केसर, धतूरा, शमीपत्र और बिल्व पत्र अर्पित करते हैं।
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