सीहोर : नवमी पर कन्या पूजन-भड़ली नवमी पर कन्या पूजन के बाद भोजन करवाया - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 4 जुलाई 2025

सीहोर : नवमी पर कन्या पूजन-भड़ली नवमी पर कन्या पूजन के बाद भोजन करवाया

  • सप्तशती पाठ के पश्चात पुर्णाहुति दी गई

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सीहोर। हर साल की तरह इस साल भी शहर के विश्रामघाट के समीपस्थ प्रसिद्ध मरीह माता मंदिर में आषाढ़ गुप्त नवरात्र के अंतिम दिवस भड़ली नवमी पर यहां पर श्रद्धालुओं के द्वारा अनुष्ठान किया गया। इस दौरान कन्या पूजन करने के साथ ही खीर-पुडी आदि पकवानों का भोग लगाकर मातारानी की पूजा-अर्चना की गई। कन्या-पूजन कर उन्हें भोजन करवाकर उपहार भेंट कर अनुष्ठान किया। महाआरती में श्रद्धालुओं ने भाग लिया और प्रसाद प्राप्त किया।  इस मौके पर मंदिर के व्यवस्थापक गोविन्द मेवाड़ा, रोहित मेवाड़ा, पंडित उमेश दुबे, ज्योतिषाचार्य पंडित गणेश शर्मा, जिला संस्कार मंच की ओर से जितेन्द्र तिवारी, राहुल सिंह, मनोज दीक्षित मामा, सुनील चौकसे, धर्मेन्द्र माहेश्वरी, सहित अन्य ने यहां गुप्त नवरात्रि के नौवें दिन शुक्रवार को महा आरती की। शुक्रवार की सुबह नवमी पर मां सिद्धी दात्री की पूजा अर्चना के लिए मंदिर परिसर में दिनभर माता के दर्शनों कर पूजा-अर्चना की गई। गुप्त नवरात्रि के अंतिम दिन सुबह सामूहिक रूप से पूर्णाहुति दी। भड़ली नवमी आषाढ़ माह की नवरात्रि का आखिरी दिन होता है। इस तिथि पर देवी दुर्गा के जगदंबा स्वरूप की पूजा करने का विधान है। इसके साथ ही देवी की पूजा दश महाविद्याओं के रूप में भी की जाती है, चूंकि यह नवरात्रि का आखिरी दिन है, इसलिए इस दिन कन्या भोजन का भी आयोजन किया जाता है।


भगवान शिव ने मां सिद्धिदात्री की कठोर तपस्या कर आठों सिद्धियों को प्राप्त किया था

जिला संस्कार मंच के संयोजक मनोज दीक्षित मामा ने बताया कि पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शिव ने मां सिद्धिदात्री की कठोर तपस्या कर आठों सिद्धियों को प्राप्त किया था। मां सिद्धिदात्री की अनुकंपा से ही भगवान शिव का आधा शरीर देवी हो गया था और वह अर्धनारीश्वर कहलाएं, मां दुर्गा के नौ रूपों में यह रूप अत्यंत ही शक्तिशाली रूप है। कहा जाता है कि, मां दुर्गा का यह रूप सभी देवी-देवताओं के तेज से प्रकट हुआ है। कथा में वर्णन है कि जब दैत्य महिषासुर के अत्याचारों से परेशान होकर सभी देवतागण भगवान शिव और भगवान विष्णु के पास पहुंचे। तब वहां मौजूद सभी देवतागण से एक तेज उत्पन्न हुआ और उसी तेज से एक दिव्य शक्ति का निर्माण हुआ, जिसे मां सिद्धिदात्री कहा जाता है।


नौ दिन तक की मां के विभिन्न स्वरूपों की आराधना

मंदिर के व्यवस्थापक रोहित मेवाडा ने बताया कि मरीह माता मंदिर पर हर नवरात्रि पर भव्य आयोजन किया जाता है। नौ दिवसीय गुप्त नवरात्रि पर यहां पर मौजूद श्रद्धालुओं के द्वारा विशेष अनुष्ठान किया गया था, महाष्टमी और नवमीं पर दो दिन कन्या भोज का आयोजन किया गया। वहीं सप्तशती पाठ के पश्चात पुर्णाहुति दी गई। 

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