उन्होंने कहाकि इन दिनों गुप्त नवरात्रि चल रही है और बुधवार को मां कालरात्रि की पूजा क विधान है। माता को देवी दुर्गा के नौ रूपों में से सातवां स्वरूप कहा गया है। नवरात्र के सातवें दिन माता के इसी स्वरूप को ध्यान में रखकर इनकी पूजा की जाती है। देवी का यह नाम उनके स्वरूप के कारण से है। इस स्वरूप में माता का वर्ण काजल के समान काला है। कथा है कि शुंभ-निशुंभ और उसकी सेना को देखकर देवी को भयंकर क्रोध आया और इनका वर्ण श्यामल हो गया। इसी श्यामल स्वरूप से देवी कालरात्रि का प्राकट्य हुआ। देवी के कालरात्रि की चार भुजाएं हैं। ऊपर की दाहिनी भुजा से माता भक्तों को वर प्रदान करती हैं और नीचली दायीं भुजा से अभय देती हैं जबकि बायीं भुजाओं में माता खड्ग और कंटीला मूसल धरण करती हैं। कहीं-कहीं माता के हाथों में खड्ग और कटोरी भी बताया जाता है। माता कालरात्रि के बाल खुले हुए हैं और गले में विद्युत की माला शोभा पा रही है जिसकी चमक से ऐसे प्रतीत होता है कि बिजली चमक रही हो। क्रोध में माता की नासिका से अग्नि धधकती है। माता कालरात्रि का वाहन गर्दभ है। माता कालरात्रि के इस भंयकर स्वरूप को देखकर असुर और नकारात्मक शक्तियां भयभीत होती हैं। लेकिन माता कालरात्रि भक्तों पर परम अनुकंपा दर्शाने वाली हैं। भक्तों के लिए सुलभ और ममतामयी होने की वजह से माता को शुभंकरी भी कहा गया है।
सीहोर। शहर के सैकड़ाखेड़ी स्थित संकल्प वृद्धाश्रम परिवार के तत्वाधान में 15 दिवसीय शिव-शक्ति दिव्य अनुष्ठान का आयोजन किया जा रहा है। महोत्सव के अंतर्गत सांतवे दिवस मां कालरात्रि की पूजा अर्चना के साथ प्रवचन आदि का आयोजन किया। इस मौके पर श्रद्घा भक्ति सेवा समिति की ओर से पंडित उमेश दुबे और पंडित सुनील पाराशर आदि के मार्गदर्शन में श्रद्धालुओं ने आहुतियां दी। समिति के कार्यालय प्रभारी मनोज दीक्षित मामा ने यहां पर मौजूद हितग्राहियों से कहाकि भगवान सिर्फ आपके भाव और विश्वास को देखते है। जीवन का हर फैसला भगवान पर छोड़ दो। वह आपकी हर समय रक्षा करेगा। ईश्वर के सामने अपनी इच्छाएं रखो, इन इच्छाओं के लिए समय तय मत करो। जो जीवन में घटेगा उस पर प्रश्न मत खड़े करो, बल्कि प्रभु पर अटूट विश्वास रखो, फिर देखना प्रभु आपको गोद से नहीं उतारेंगे। भक्ति में हमारा विश्वास कमजोर नहीं होना चाहिए। सुख-दुख, संकट में हमेशा प्रभु को याद करों। बाकी सब प्रभुजी ठीक करेंगे।

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