- शिवमय स्वरूप में तैयार हो रहा पूर्वांचल का पहला अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम
- जनवरी 2026 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर सकते हैं लोकार्पण, ₹400 करोड़ की लागत से तैयार हो रहा महाविनिर्माण
- डिजाइन शिवमय, सुविधाएं विश्वस्तरीय, दिव्यांगजनों के लिए अलग से विशेष व्यवस्था
30,000 दर्शकों की क्षमता, अंतरराष्ट्रीय मैचों के आयोजन की तैयारी
स्टेडियम में 30,000 से अधिक दर्शकों के बैठने की सुविधा होगी। अत्याधुनिक फ्लडलाइट्स, डिजिटल स्कोरबोर्ड, मीडिया गैलरी, कॉर्पोरेट बॉक्स और प्लेयर्स लॉन्ज जैसी सभी सुविधाएं अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप तैयार की जा रही हैं। बीसीसीआई से अनुमोदन के बाद यहां टेस्ट, वनडे, टी-20 और आईपीएल जैसे बड़े टूर्नामेंट भी कराए जा सकेंगे।
खेल प्रशिक्षण का बनेगा केंद्र, पूर्वांचल की प्रतिभाओं को मिलेगा मंच
यह स्टेडियम केवल मैच आयोजन स्थल नहीं, बल्कि एक पूर्ण खेल परिसर के रूप में विकसित हो रहा है। यहां क्रिकेट अकादमी, प्रशिक्षण केंद्र और स्पोर्ट्स साइंस लैब की भी स्थापना की जा रही है, जिससे पूर्वांचल के उभरते खिलाड़ी अब मुंबई, दिल्ली या बेंगलुरु जाने को मजबूर नहीं होंगे। यह स्थान उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ (यूपीसीए) के अंतर्गत उच्चस्तरीय कोचिंग, फिटनेस और रणनीतिक प्रशिक्षण का केंद्र बनेगा।
निर्माण कार्य में तेजी, अब मार्च 2027 तक पूर्णता का लक्ष्य
हालांकि प्रारंभिक लक्ष्य मार्च 2026 था, लेकिन तकनीकी जटिलताओं और कुछ संरचनात्मक संशोधनों के चलते अब इसे मार्च 2027 तक पूरी तरह तैयार करने का संशोधित लक्ष्य रखा गया है। इसके बावजूद, जनवरी 2026 में उद्घाटन समारोह की तैयारी जोर-शोर से की जा रही है। अधिकारियों के अनुसार, आंशिक कार्य पूरा होने पर मैच आयोजन की शुरुआत हो सकती है।
खेल ही नहीं, पर्यटन और अर्थव्यवस्था को भी मिलेगा बल
गंजारी स्टेडियम के चालू होते ही वाराणसी में खेल पर्यटन को भी नया बल मिलेगा। बड़े आयोजनों के चलते होटल, परिवहन, खानपान और छोटे व्यवसायों को प्रत्यक्ष आर्थिक लाभ होगा। युवाओं के लिए रोजगार और स्वयंरोजगार के अवसर भी बनेंगे।
काशी के खेल इतिहास में दर्ज होगी यह शिलालेख जैसी उपलब्धि
पूर्वांचल में यह पहला अवसर होगा जब इतनी भव्य और समर्पित खेल अधोसंरचना तैयार की जा रही है। यह स्टेडियम काशी के गौरवगाथा में एक नया अध्याय जोड़ेगा कृ जहाँ अध्यात्म के साथ अब खेलों की शक्ति भी दुनिया देखेगी। क्षेत्रीय नागरिकों का कहना है कि गंजारी में बन रहा यह स्टेडियम न सिर्फ ईंट, पत्थर और छत का ढांचा है, बल्कि यह पूर्वांचल की आकांक्षाओं, युवाओं के सपनों और काशी की सांस्कृतिक गरिमा का प्रतीक है। इसके पूर्ण होते ही वाराणसी न केवल अध्यात्म और संस्कृति की नगरी के रूप में जानी जाएगी, बल्कि खेल महाशक्ति के रूप में भी नई पहचान पाएगी।

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