वाराणसी : बिजली निजीकरण के खिलाफ बनारस की सड़कों पर फूटा जनाक्रोश - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 9 जुलाई 2025

वाराणसी : बिजली निजीकरण के खिलाफ बनारस की सड़कों पर फूटा जनाक्रोश

  • "जनता की बिजली, जनता के पास रहे"—25 करोड़ कर्मचारी संगठनों के साथ बनारस में गरजा आंदोलन
  • वक्ताओं ने चेताया अगर सरकार ने निजीकरण की प्रक्रिया नहीं रोकी, तो यह संघर्ष निर्णायक आंदोलन में बदलेगा

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वाराणसी (सुरेश गांधी)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में बुधवार को बिजली के निजीकरण और बढ़ती बिजली दरों के विरोध में ऐतिहासिक प्रदर्शन हुआ। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति उत्तर प्रदेश के बैनर तले भिखारीपुर स्थित प्रबंध निदेशक कार्यालय पर हजारों की संख्या में अभियंता, अवर अभियंता, नियमित और संविदा कर्मी, महिला कर्मचारी और तकनीकी स्टाफ एकजुट हुए। यह आंदोलन सिर्फ बनारस ही नहीं, बल्कि पूरे देशभर में फैला। बिजली विभाग के साथ-साथ रेलवे, बैंक, एलआईसी, बीमा, डाक, शिक्षक संगठन और संयुक्त किसान मोर्चा जैसे कई केंद्रीय संगठनों ने भी इसे समर्थन दिया। संघर्ष समिति का दावा है कि देशभर में लगभग 25 करोड़ अधिकारी, कर्मचारी और किसान संगठनों ने इस सांकेतिक हड़ताल में भाग लिया। धरना स्थल पर ई. पंकज जैसवाल की अध्यक्षता और सौरभ श्रीवास्तव के संचालन में हुई सभा में वक्ताओं ने सरकार की बिजली निजीकरण नीति को जनविरोधी बताया। वक्ताओं ने चेताया कि अगर सरकार ने निजीकरण की प्रक्रिया नहीं रोकी, तो यह संघर्ष निर्णायक आंदोलन में बदलेगा। उन्होंने सवाल उठाए कि जब सरकार स्वयं 2012 से 2024 तक की बिजली सुधार उपलब्धियां गिना रही है, तो फिर उसी व्यवस्था को निजी हाथों में सौंपने का औचित्य क्या है?


बनारस में नारे गूंजे— 'मुख्यमंत्री संवाद करो', 'बिजली का निजीकरण बंद करो'

प्रदर्शनकारियों के हाथों में बैनर और तख्तियां थीं जिन पर लिखा था— 'बिजली बिकेगी नहीं, संघर्ष झुकेगा नहीं', 'जनता की बिजली जनता को दो', 'बिजली का निजीकरण बंद करो', और 'बिजली की लूट बंद करो'। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि निजीकरण से— बिजली दरों में भारी वृद्धि होगी, ग्रामीण क्षेत्रों की सेवा प्रभावित होगी, संविदा और अस्थायी कर्मियों की नौकरी खतरे में पड़ेगी, और आईटीआई, डिप्लोमा, बीटेक जैसी तकनीकी पढ़ाई कर रहे लाखों छात्रों का भविष्य अनिश्चित हो जाएगा।


देशव्यापी आंदोलन का हिस्सा बना काशी

प्रदर्शनकारियों ने बताया कि बनारस समेत पूरे पूर्वांचल में विरोध प्रदर्शन चरम पर रहा। पावर हाउस, वितरण खंड कार्यालयों और बिजली स्टेशनों से कर्मियों ने कार्य का बहिष्कार कर भिखारीपुर धरना स्थल पर भाग लिया। आंदोलन को रेलवे, बैंक, बीमा और शिक्षक संगठनों से भी नैतिक समर्थन मिला।


सभा को इन नेताओं ने किया संबोधित  

सभा में ई. मायाशंकर तिवारी, ई. अनिल कुमार, ई. रामाशीष, राजेश सिंह, विजय नारायण हिटलर, अंकुर पाण्डेय, दीपक गुप्ता, रविन्द्र यादव, सौरभ श्रीवास्तव, चंदन विश्वकर्मा, मो. हारिश, उदयभान दुबे, जयप्रकाश, गजेंद्र श्रीवास्तव सहित कई वक्ताओं ने संबोधित किया।


आंदोलन के अगले चरण की चेतावनी  

संघर्ष समिति ने सरकार को स्पष्ट शब्दों में कहा है कि यदि मांगें नहीं मानी गईं, तो अगला चरण होगा विद्युत आपूर्ति से विरत होकर पूर्ण कार्य बहिष्कार। फिर इसके लिए सरकार स्वयं जिम्मेदार होगी। वक्ताओं ने कहा, अब आंदोलन केवल बिजली विभाग का नहीं, यह लोकतंत्र और जनहित की रक्षा का प्रश्न है। यह सिर्फ तारों में नहीं, दिलों में दौड़ रही चेतना है।


सरकार के सामने विकल्प— संवाद या संघर्ष

अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या सरकार इस जनचेतना का सम्मान करते हुए कर्मचारियों से संवाद करेगी या फिर टकराव की स्थिति को और गहरा होने देगी। बनारस से उठी यह आवाज़ अब राष्ट्रीय मंच पर गूंज रही है. "जनता की बिजली, जनता के पास रहे!"

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