- वाराणसी के चिकित्सकों की अंतरराष्ट्रीय उपलब्धि, लैप्रोस्कोपी पर आधारित शोधपत्र में प्रकाशित, प्रदेश में अग्रणी स्थान
- गाल ब्लैडर की सर्जरी में लैप्रोस्कोपी को बताया बेहतर विकल्प, लैप्रोस्कोपी अधिक सुरक्षित और सुविधाजनक
जनहित में बड़ा सुझाव
शोध में यह अनुशंसा की गई है कि सरकारी अस्पतालों में शल्य चिकित्सकों को लैप्रोस्कोपी तकनीक में विशेष प्रशिक्षण दिया जाए। इससे मरीजों को सस्ते, सुरक्षित और कम तकलीफदेह इलाज का लाभ मिल सकेगा। यह बदलाव जनस्वास्थ्य के क्षेत्र में बड़ा सुधार साबित हो सकता है।
स्वास्थ्य सेवाओं की दिशा में नई उपलब्धि
इस शोध की अंतरराष्ट्रीय मान्यता से वाराणसी चिकित्सा जगत में उत्साह है। चिकित्सालय प्रशासन ने इसे स्थानीय चिकित्सा प्रतिभा की वैश्विक पहचान बताया और कहा कि यह उपलब्धि आने वाले चिकित्सकों के लिए मार्गदर्शन और प्रेरणा बनेगी।
शोध में निम्नलिखित बिंदु उजागर हुए
लैप्रोस्कोपी विधि से रक्त हानि, दर्द, इंफेक्शन का खतरा और भर्ती अवधि में उल्लेखनीय कमी देखी गई। ओपन सर्जरी के मुकाबले लैप्रोस्कोपी में रोगी की शीघ्र रिकवरी और सामान्य जीवन में वापसी का समय कहीं कम है। निष्कर्ष में यह सुझाव भी दिया गया है कि शल्य चिकित्सकों को लैप्रोस्कोपी तकनीक में प्रशिक्षित किया जाना चाहिए, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में व्यापक सुधार हो सके।
स्वास्थ्य सेवाओं में गुणवत्ता की दिशा में पहल
यह शोध जनहित में एक महत्त्वपूर्ण संकेत देता है कि यदि राज्य के सभी सरकारी अस्पतालों में लैप्रोस्कोपी जैसी उन्नत तकनीक को अपनाया जाए और शल्य चिकित्सकों को इस विधि में प्रशिक्षित किया जाए, तो ग्रामीण व शहरी दोनों क्षेत्रों के मरीजों को बेहतर लाभ मिल सकता है। इस उपलब्धि पर वाराणसी के चिकित्सकीय एवं शैक्षणिक जगत में हर्ष व्यक्त किया गया है। दीनदयाल चिकित्सालय प्रशासन ने इसे “स्वस्थ भारत के निर्माण में स्थानीय योगदान” करार दिया है।

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