- दुनिया भर के डेटा सेंटर आ सकते हैं बाढ़, तूफ़ान और आग की चपेट में
रिपोर्ट की कुछ प्रमुख बातें:
2050 तक न्यू जर्सी, हैम्बर्ग, शंघाई, टोक्यो, हॉन्गकॉन्ग, मॉस्को, बैंकॉक और होवेस्टाडेन जैसे बड़े डेटा हब में से 20% से 64% डेटा सेंटरों को भौतिक क्षति का गंभीर जोखिम होगा। एशिया-प्रशांत क्षेत्र (APAC) जहां डेटा सेंटरों की सबसे तेज़ ग्रोथ हो रही है, वहीं जोखिम भी सबसे ज़्यादा है — 2025 में हर 10 में से एक और 2050 तक हर आठ में से एक डेटा सेंटर उच्च जोखिम में होगा। अगर जलवायु संकट को रोकने और अनुकूलन उपायों में ठोस निवेश नहीं हुआ, तो बीमा लागत 2050 तक तीन से चार गुना बढ़ सकती है। रिपोर्ट यह भी दर्शाती है कि सटीक डिज़ाइन और निर्माण में निवेश कर डेटा सेंटरों की संरचनात्मक मजबूती को बढ़ाया जा सकता है, जिससे सालाना अरबों डॉलर की बचत संभव है। XDI की रिपोर्ट यह भी साफ़ करती है कि हर जगह जोखिम एक जैसा नहीं है — एक ही देश या क्षेत्र के दो डेटा सेंटरों में भी जोखिम का स्तर अलग हो सकता है। इसलिए, ये ‘जैसा-जैसा क्षेत्र, वैसा निवेश’ वाली समझ अब ज़रूरी हो गई है। साथ ही रिपोर्ट इस बात पर ज़ोर देती है कि सिर्फ ढांचागत मज़बूती ही काफी नहीं है। अगर सड़कें, पानी की आपूर्ति या टेलीकॉम नेटवर्क — जिन पर डेटा सेंटर निर्भर हैं — खुद असुरक्षित हैं, तो किसी भी 'सुपर-रेज़िलिएंट' डेटा सेंटर का कोई मतलब नहीं रह जाता। इसलिए दीर्घकालिक सुरक्षा और डिजिटल अर्थव्यवस्था की स्थिरता के लिए अनुकूलन (adaptation) और उत्सर्जन में कटौती (decarbonisation) — दोनों साथ-साथ चलने चाहिए।

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