वाराणसी : अगर अधिकारी फोन उठाते तो इतनी शिकायतें नहीं होतीं : अरविन्द कुमार - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।


शुक्रवार, 11 जुलाई 2025

वाराणसी : अगर अधिकारी फोन उठाते तो इतनी शिकायतें नहीं होतीं : अरविन्द कुमार

  • जनसुनवाई के दौरान उपभोक्ताओं ने खोली बिजली विभाग की पोल, दरों में बढ़ोतरी पर जताई आपत्ति
  • व्यवस्था में सुधार लाने के लिए विभागीय स्तर पर स्पष्ट जवाबदेही तय करनी होगी

Jan-sunwai-varanasi
वाराणसी (सुरेश गांधी)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग की ओर से शुक्रवार को आयोजित जनसुनवाई ने एक बार फिर दिखा दिया कि बिजली व्यवस्था में सुधार अब ज़रूरत ही नहीं, जन-आवश्यकता बन चुकी है। उपभोक्ताओं को सिर्फ बिल नहीं, सुविधा चाहिए, और यह आवाज अब नजरअंदाज नहीं की जा सकती। बिजली व्यवस्था की हकीकत को आईने की तरह जिस तरह सामने ले आई है, वो इस बात का संकेत है कि पूर्वांचल में बिजली व्यवस्था सुचारु रुप से नहीं चल रही है। यही वजह है कि उपभोक्ताओं, उद्यमियों और बुनकरों की पीड़ा सुनने के बाद आयोग के चेयरमैन अरविंद कुमार ने अधिकारियों की कार्यशैली, खराब सेवा और संवादहीनता पर जमकर नाराजगी जताई। उन्होंने मंच से खुले शब्दों में कहा, “अगर बिजली निगम के अधिकारी उपभोक्ताओं के फोन समय से उठाते और शिकायतों को गंभीरता से लेते, तो इतनी समस्याएं इकट्ठा ही नहीं होतीं। उपभोक्ता संवाद अब केवल औपचारिकता नहीं, प्राथमिकता होना चाहिए।” उन्होंने कहा, “उपभोक्ताओं की समस्याओं को सुनना और तत्काल कार्रवाई करना अधिकारियों की नैतिक और प्रशासनिक ज़िम्मेदारी है।“ “व्यवस्था में सुधार लाने के लिए विभागीय स्तर पर स्पष्ट जवाबदेही तय करनी होगी।“ “सिर्फ दरों की बात करना पर्याप्त नहीं है, जब तक सेवा गुणवत्ता न सुधरे।“ बिजली दरों में बढ़ोतरी के सवाल पर आयोग अध्यक्ष ने सीधा जवाब नहीं दिया लेकिन कहा कि “दर निर्धारण एक प्रक्रिया है, जिसमें सभी पक्षों की बातों को गंभीरता से सुना जाएगा।”


ग्रामीण से लेकर शहरी उपभोक्ता तक नाराज

वाराणसी और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से आए उपभोक्ताओं ने बताया कि मीटर में गड़बड़ी महीनों तक नहीं सुधारी जाती, शिकायतों पर फोन तक नहीं उठते और बिलिंग में भारी गड़बड़ियां हैं। कई उपभोक्ताओं ने कहा कि उन्हें गलत बिल भेजे जाते हैं और सुधार के लिए कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ते हैं। एक महिला उपभोक्ता ने जनसुनवाई में आकर रोते हुए बताया कि “बिना खपत के पांच हजार रुपये का बिल भेजा गया, तीन बार चक्कर लगाने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हुई।”


बुनकरों ने कहा : बिजली नहीं तो रोजगार कैसे चलेगा?

बुनकर समुदाय से जुड़े प्रतिनिधियों ने कहा कि कम वोल्टेज और लगातार ट्रिपिंग से हथकरघा उद्योग ठप पड़ने की कगार पर है। काशी की पहचान माने जाने वाले बनारसी वस्त्र उद्योग को यह बिजली संकट धीरे-धीरे खत्म करता जा रहा है।


उद्योगपतियों ने जताई चिंता : लागत बढ़ रही, उत्पादन घट रहा

लघु एवं मध्यम उद्योग क्षेत्र के प्रतिनिधियों की ओर से आरके चौधरी ने बताया कि “अनियमित बिजली आपूर्ति से मशीनें बार-बार बंद हो जाती हैं। इससे न केवल उत्पादन प्रभावित हो रहा है बल्कि श्रमिकों को समय पर भुगतान में भी दिक्कत आ रही है।”


जनसुनवाई में उठी प्रमुख समस्याएंः

फोन न उठाना,                    शिकायत पर अधिकारी कॉल रिसीव नहीं करते

मीटर में गड़बड़ी                  खराब मीटर महीनों तक नहीं बदले जाते

गलत बिलिंग                         उपभोक्ताओं को वास्तविक खपत से कई गुना अधिक बिल

ट्रिपिंग और फाल्ट                गर्मी में रोजाना कई बार बिजली ट्रिप होती है

कम वोल्टेज                          ग्रामीण क्षेत्रों में बल्ब तक नहीं जलते

अधिकारियों का रवैया         उपेक्षा भरा, संवेदनहीन व्यवहार


अधिकारी सुधारें कार्यशैली, तय हो जवाबदेही

अरविंद कुमार ने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा कि शिकायतों पर त्वरित और समयबद्ध कार्रवाई की जाए. उपभोक्ताओं से संवाद प्रणाली को मज़बूत किया जाए. प्रत्येक डिवीजन स्तर पर जवाबदेही तय हो. बिलिंग और मीटर प्रणाली में पारदर्शिता लाई जाए, बुनकर और औद्योगिक क्षेत्रों की समस्याओं को प्राथमिकता मिले.


उपभोक्ता कहिन

वाराणसी जैसे सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और औद्योगिक शहर में बिजली सेवा की गुणवत्ता केवल तकनीकी नहीं, सामाजिक और आर्थिक मसला है। जनसुनवाई में उपभोक्ताओं की एक सुर में उठी आवाज़ें बताती हैं कि सेवा और जवाबदेही के बीच खाई गहरी हो गई है। चेयरमैन अरविंद कुमार का साहसिक बयान सराहनीय है, लेकिन असली असर तभी दिखेगा जब ज़मीनी अमला जागेगा और सिस्टम की चुप्पी टूटेगी। उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार समेत कई उद्यमियों और आम नागरिकों ने कहा कि “जब तक मूलभूत सुविधाएं और आपूर्ति व्यवस्था बेहतर नहीं होती, तब तक किसी भी प्रकार की दर वृद्धि को न्यायसंगत नहीं ठहराया जा सकता।“

कोई टिप्पणी नहीं: