- अभिनेत्री काजल यादव का विशेष इंटरव्यू
‘चार ननद की एक भौजाई’ जैसी पारिवारिक कहानी का हिस्सा बनने का अनुभव कैसा रहा?
काजल यादव : यह अनुभव मेरे लिए बेहद खास रहा। फीलमची भोजपुरी के साथ काम करना मेरे लिए गर्व की बात है, और यह मेरी इस चैनल के साथ पहली फिल्म है। इतने खूबसूरत पारिवारिक विषय से जुड़ना और संवेदनशील कहानी का हिस्सा बनना मेरे करियर का एक यादगार मोड़ बन गया है।
रिश्तों की गहराई और भावनाओं को दिखाने वाली कहानी से जुड़ना आपके लिए कितना मायने रखता है?
काजल यादव : इस फिल्म में दिखाया गया है कि रिश्तों की अहमियत क्या होती है। एक ऐसी कहानी का हिस्सा बनना, जिसमें प्यार, संघर्ष और भावनाएं पूरी तरह से रची-बसी हों – यह हर अभिनेत्री का सपना होता है। मुझे बेहद खुशी है कि मैं इस किरदार का हिस्सा बन पाई।
सुधा का किरदार निभाना आपके लिए कितना चुनौतीपूर्ण रहा?
काजल यादव : सुधा का किरदार भावुक और मजबूत स्त्री का प्रतीक है। हर सीन एक इमोशनल रोलरकोस्टर की तरह था। किरदार को सच्चाई से जीना एक कलाकार के तौर पर मेरे लिए सीख और चुनौती दोनों था।
क्या आपने इस किरदार के लिए खास तैयारी की थी?
काजल यादव : हां, मैंने यूट्यूब पर उन लड़कियों की कहानियां देखीं जिनका रंग सांवला है और जो समाज में संघर्ष कर पहचान बना रही हैं। उनकी जर्नी ने मुझे इस किरदार को आत्मसात करने में मदद की।
रजनीश मिश्रा जैसे निर्देशक के साथ पहली बार काम करने का अनुभव कैसा रहा?
काजल यादव : रजनीश सर के साथ काम करना हर कलाकार का सपना होता है। उन्होंने हर सीन को गहराई से समझाया और हम कलाकारों को किरदार से जोड़ने में मदद की। मैं खुद को सौभाग्यशाली मानती हूं कि मुझे उनके साथ काम करने का मौका मिला।
रक्षाबंधन के दिन इस फिल्म की रिलीज को आप कितना खास मानती हैं?
काजल यादव : यह फिल्म भाई-बहन के रिश्ते की मिठास और त्याग की भावना को दर्शाती है। इसलिए रक्षाबंधन से बेहतर कोई दिन नहीं हो सकता इसकी रिलीज़ के लिए। यह फिल्म एक भावना है, जिसे हर कोई महसूस करेगा।
फिल्म में महिला सशक्तिकरण की झलक है—आपके लिए यह कितना संतोषजनक रहा?
काजल यादव : यह किरदार मेरे लिए व्यक्तिगत रूप से बेहद संतोषजनक रहा। सुधा का संघर्ष, उसकी दृढ़ता और संवेदनाएं हर दर्शक को छू जाएंगी। यह किरदार मेरी सोच से पूरी तरह मेल खाता है।
क्या ‘चार ननद की एक भौजाई’ भोजपुरी सिनेमा में आए बदलाव का प्रतीक है?
काजल यादव : बिल्कुल। यह फिल्म पारिवारिक मूल्यों को नई दृष्टि से पेश करती है। भोजपुरी सिनेमा अब नये विषयों और मजबूत कहानियों को जगह दे रहा है, और यह फिल्म उसी दिशा में एक अहम कदम है।
आप अपने दर्शकों से क्या कहना चाहेंगी जो इस फिल्म को रक्षाबंधन पर देखने जा रहे हैं?
काजल यादव : मैं सभी दर्शकों से निवेदन करूंगी कि वे इस फिल्म को अपने पूरे परिवार के साथ ज़रूर देखें। यह फिल्म आपको भावनाओं से जोड़ेगी, रिश्तों को मजबूत बनाएगी और परिवार में प्यार बढ़ाएगी।

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