पटना : माँ के सपने को दिया जीवन, सुप्रिया से बनीं आयशा एस ऐमन - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 19 अगस्त 2025

पटना : माँ के सपने को दिया जीवन, सुप्रिया से बनीं आयशा एस ऐमन

Supriya-become-ayesha
पटना (रजनीश के झा)। भारतीय सिनेमा और मॉडलिंग की दुनिया में अपनी पहचान बना चुकीं आयशा एस ऐमन का नाम आज नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। मिस इंडिया इंटरनेशनल का ताज जीतने वाली आयशा की यात्रा संघर्ष, आत्मविश्वास और जुनून की मिसाल रही है। लेकिन उनकी सबसे बड़ी पहचान उनके करियर से ज्यादा एक भावनात्मक फैसले से जुड़ी है — अपनी माँ की अधूरी ख्वाहिश को पूरा करने के लिए ‘सुप्रिया’ से ‘आयशा’ बनने का निर्णय। आयशा बताती हैं कि उनका जन्म ‘सुप्रिया’ नाम से हुआ था और इसी नाम के साथ उन्होंने पढ़ाई में ऊँचाइयाँ हासिल कीं। एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षा में ऑल इंडिया टॉप करना हो या अंतरराष्ट्रीय मंच पर मिस इंडिया का प्रतिनिधित्व करना — ‘सुप्रिया’ उनके लिए मेहनत और जुनून का प्रतीक रही। लेकिन इन उपलब्धियों के पीछे उनकी माँ की एक अधूरी ख्वाहिश थी — बेटी का नाम ‘आयशा’ रखना। कई बार माँ ने यह इच्छा जताई, और जब चौथी बार माँ ने झुकी निगाहों और हल्की मुस्कान के साथ यह बात दोहराई, तो सुप्रिया ने उसी क्षण ठान लिया कि वह यह सपना जरूर पूरा करेंगी।


नाम बदलने का यह फैसला किसी करियर रणनीति का हिस्सा नहीं था। आयशा खुद कहती हैं, “यह सिर्फ एक बेटी का अपनी माँ की खामोश ख्वाहिश को पूरा करने का जज़्बा था।" उन्होंने अपना नाम बदलकर आधिकारिक रूप से ‘आयशा एस ऐमन’ रख लिया — जिसमें ‘आयशा’ माँ के सपनों का प्रतीक है, ‘S’ सुप्रिया के संघर्ष की निशानी और ‘ऐमन’ पारिवारिक जड़ों का प्रतिनिधित्व करता है। जब यह नाम परिवर्तन हुआ और माँ को पता चला, तो उनकी आँखों में नमी और चेहरे पर संतोष की झलक थी। आयशा कहती हैं, “उस पल ऐसा लगा जैसे मैंने कोई मुकुट नहीं, बल्कि माँ का आशीर्वाद पा लिया हो।” उनके लिए यह बदलाव पहचान का नहीं, बल्कि माँ के प्रेम और सपने की पूर्णता का प्रतीक था। आज जब कोई उन्हें ‘आयशा’ कहकर पुकारता है, तो यह सिर्फ एक नाम नहीं लगता। आयशा भावुक होकर कहती हैं, “यह नाम माँ की पुकार जैसा लगता है — ‘आशा सा’। यह नाम मैंने अपनी माँ को समर्पित किया है, जो ता-उम्र मेरे साथ रहेंगी। सुप्रिया से आयशा बनना मेरे लिए शोहरत का नहीं, माँ के सपने को पूरा करने का सफर था।”

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